
तो अब चीन बनाएगा संयुक्त राष्ट्र में भारत को स्थाई सदस्य…!
कौशल किशोर चतुर्वेदी
‘विनाशकाले विपरीत बुद्धि’… जैसा कटु वचन फिलहाल ‘वाशिंगटन’ पर सटीक बैठ रहा है। जो काम शायद नामुमकिन था वह ‘ट्रंप’ के टैरिफ कारनामों ने मुमकिन कर दिया है। और कुछ समय बाद यह तस्वीर साफ होने वाली है जब ट्रंप के लिए यह बात चरितार्थ हो जाएगी कि ‘अमेरिका का राष्ट्रपति, न घर का रहा न घाट का’। यह ट्रंप ही है जिसकी वजह से आज चीन और भारत के रिश्ते एक बार फिर मधुरता की चाशनी में डूब रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में चीन ने तियानजिन में न केवल रेड कार्पेट बिछाया बल्कि ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्रीराम’ के नारों की गूंज, चीन से वाशिंगटन तक पहुंच गई। मोदी के लिए भारतीय समुदाय का प्यार उमड़ पड़ा। दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन तो एक बहाना है या संयोग मात्र है लेकिन यहां होने वाली मोदी, जिनपिंग और पुतिन की बैठक ट्रंप के इरादों को तहस-नहस करने में पूरी तरह से सक्षम है। जापान और भारत के बीच बुलेट ट्रेन पॉलिटिक्स में यह भी साफ हो गया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए अब भारत का समर्थन जापान करेगा। और मोदी, जिनपिंग, पुतिन के बीच होने वाली गुफ्तगू के बाद यह भी साफ हो जाएगा कि अब तक भारत की स्थाई सदस्यता का कट्टर विरोधी रहा चीन ही अब आगे बढ़कर भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनवाने में सीधा सहयोग कर सकता है। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध समाप्त करवाने के लिए ट्रंप ने जिस तरह पुतिन पर शिकंजा कसने की कोशिश की थी, अब पुतिन का यूक्रेन पर पलटवार ट्रंप के चारों तरफ चीत्कार की धुन जरूर बजा रहा होगा। और अब यदि ट्रंप का पागलपन जारी रहा तो वही दृश्य सामने दिखने वाला है जहां ट्रंप घर और बाहर दोनों तरफ से ही नकारे जाएंगे।
फिर एक बार चीन की तरफ नजर डालते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान दौरे के बाद अब चीन पहुंच गए हैं। वह तियानजिन में होने वाले शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हैं। एयरपोर्ट पर रेड कार्पेट बिछाकर उनका भव्य स्वागत किया गया। भारतीय समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे। हाथों में तिरंगा थामे लोगों ने भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाए। छोटे बच्चों ने भी मोदी से मुलाकात की और उन्हें जय श्रीराम कहकर अभिवादन किया। चीन में मोदी के स्वागत के लिए पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुआ। चीनी कलाकारों ने भारतीय वाद्य यंत्रों जैसे संतूर, तबला और सितार पर धुन बजाकर पीएम का स्वागत किया। मोदी ने हाथ हिलाकर सभी का अभिवादन स्वीकार किया और भारतीय समुदाय से गर्मजोशी के साथ मुलाकात की। दुनिया की निगाहें इस दौरे पर सिर्फ एससीओ समिट की वजह से नहीं हैं बल्कि मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय वार्ता पर विशेष तौर पर टिकी हैं। सात साल बाद दोनों नेताओं की आमने-सामने मुलाकात होगी। पिछले सालों में तनावपूर्ण रहे भारत-चीन रिश्तों को नई दिशा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इस बीच अमेरिकी राजनीति में भी इस दौरे पर चर्चा है। ट्रंप प्रशासन के ट्रेड एडवाइजर ने रूस-यूक्रेन जंग की तुलना करते हुए कहा कि यह अब ‘मोदी वॉर’ बन चुका है। दरअसल भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा और अमेरिकी दबाव को ठुकरा दिया। इसी मुद्दे पर ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। अब जब मोदी की मुलाकात राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से होगी तो माना जा रहा है कि ऊर्जा और टैरिफ का मसला भी उठ सकता है।
तो एक बार फिर तियानजिन का दृश्य देखते हैं। पीएम मोदी चीन के तियानजिन एयरपोर्ट पहुंचे, तो उनकी अगुवानी चीनी पीएम ली कियांग ने की। न सिर्फ मोदी की अगुवानी में चीनी डेलिगेशन खड़ा मिला बल्कि रेड कार्पेट बिछाकर उनका शानदार स्वागत भी किया गया। चीन में पारंपरिक तरीके से लाल रूमाल हाथ में लेकर कलाकारों ने उनके सम्मान में नृत्य किया।भरतनाट्यम कलाकारों के एक समूह ने उनके सामने नृत्य किया और वे काफी उत्साहित भी नजर आए। वहीं एक ग्रुप ने वाद्य यंत्रों के जरिये वंदे मातरम की धुन बजाई, जिसे प्रधानमंत्री मंत्रमुग्ध होकर सुनते हुए दिखे।
यह दृश्य और यह उम्मीदें सब कुछ बयां कर रही हैं। और इसमें कोई संशय नहीं है कि जापान के बाद अब मोदी चीन को फतह करने की दिशा में कदम आगे बढ़ा चुके हैं। भारत-जापान संबंधों के रोडमैप का सबसे अहम हिस्सा है- ‘इंडिया-जापान जॉइंट विजन फॉर द नेक्स्ट डिकेड’… इसमें आर्थिक विकास से लेकर सुरक्षा, तकनीक, नवाचार, स्वास्थ्य, सतत विकास, मोबिलिटी और आपसी आदान-प्रदान तक कई अहम क्षेत्रों को शामिल किया गया है। और अब इसी तरह का विजन रूस और चीन के साथ भी सामने आ सकता है। राजनाथ सिंह की यह बात सौ फीसदी सही है कि राजनीति में कोई स्थाई दुश्मन नहीं होता। और ऐसे में जब ने दुश्मन का दुश्मन दोस्त बनता है तो दोस्ती का वह रंग कुछ ज्यादा गाढ़ा और उम्मीदों भरा होता है। भारत और जापान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधार की मांग की है। इसके अलावा दोनों ही देशों ने एक दूसरे की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का समर्थन भी किया है। वह चीन ही है, जिसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों और इन दोनों देशों की सदस्यता का अब तक पुरजोर विरोध किया है। पर ट्रंप के टैरिफ वॉर ने वैश्विक समीकरणों को नई करवट लेने को मजबूर कर दिया है। ऐसे में अब यह उम्मीद की जा सकती है कि भारत के साथ संबंधों के नए कैनवास पर चीन अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थाई सदस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा… पर इतना सब होने के बावजूद भी ‘टर्म्स एंड कंडीशंस’ के रूप में यह अनिवार्य रूप से शामिल किया जा सकता है कि ‘आंख मूंद कर भरोसा करने’ वाली भारत की सूची में रूस तो शामिल है लेकिन चीन को शामिल नहीं किया जा सकता…।
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं। लेखक के रूप में पांच पुस्तकें प्रकाशित हैं। इसमें दो काव्य संग्रह ‘जीवन राग’ और ‘अष्टछाप के अर्वाचीन कवि’, दो राजनीतिक पुस्तकें ‘द बिगेस्ट अचीवर शिवराज’ और ‘सबका कमल’ एवं एक व्यंग्य संग्रह ‘मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं’ शामिल हैं।





