Solar Energy: भारी बिजली बिलों से बचने नगरीय निकायों में स्ट्रीट लाइट अब सौर उर्जा से चलाने की तैयारी

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Solar Energy: भारी बिजली बिलों से बचने नगरीय निकायों में स्ट्रीट लाइट अब सौर उर्जा से चलाने की तैयारी

 

भोपाल: नगरीय निकायों में स्ट्रीट लाईट के बिजली बिलों के भुगतान को लेकर अक्सर बिजली कंपनियों से अब नहीं जूझना पड़ेगा। भारी-भरकम बिजली बिलों के भुगतान से बचने अब नगरीय निकायों में स्ट्रीट लाईट को सोलर उर्जा से चलाने की तैयारी है। विभाग की राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी ने इस संबंध में अधिकारियों कोे निर्देशित भी किया है।

प्रदेश में अलग-अलग क्षेत्रों में अक्सर नगरीय निकायों द्वारा समय पर बिजली बिलों का भुगतान नहीं करने के कारण बिजली कंपनियां कनेक्शन काट देती है और शहरी क्षेत्रों में स्ट्रीट लाईट बंद रहने से अंधेरा पसरा रहता है। इससे शाम और रात्रि के समय सढ़कों के गढ्ढों, जानवरों के आवागमन और अन्य वाहनों तथा पैदल यात्रियों के दिखाई नहीं देने के कारण वाहन दुर्घटनाएं भी होती रहती है। बिजली कंपनियां बार-बार नगरीय निकायों और नगरीय आवास एवं विकास संचालनालय को बार-बार नोटिस और रिमांइडर जारी करती रहती है। उर्जा विभाग और नगरीय विकास एवं आवास विभाग के बीच बकाया बिलों को लेकर अक्सर ठनी रहती है। नगरीय निकायों की माली हालत भी खराब है जिसके कारण बकाया बिजली बिलों का लंबे समय तक भुगतान नहीं हो पाता। भारी बिलों के भुगतान न हों पाने पर कनेक्शन काट दिए जाते है।

अब नगरी विकास एवं आवास विभाग इससे निजात पाने के लिए प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में स्ट्रीट लाईट को सोलर पैनलों के जरिए सौर उर्जा से संचालित करने की तैयारी में है। संपूर्ण प्रदेश में इस समय 11 लाख स्ट्रीट लाइट है। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन में साढ़े तीन लाख स्ट्रीट लाईटें पीपीपी मोड पर स्मार्ट सिटी व अन्य योजना के माध्यम से एलईडी स्ट्रीट में परिवर्तित कर दिया गया है। इनका संचालन पीपीपी मोड पर किया जा रहा है।

शेष 11 नगर निगमों में तीन लाख स्ट्रीट लाइटे है। एक लाख से अधिक आबादी वाली नगर पालिकाओं में तीन लाख स्ट्रीट लाईटे है। एक लाख से कम जनसंख्या वाली नगर पालिकाओं, नगर परिषदों में डेढ़ लाख स्ट्रीट लाइटे है। अब इन स्ट्रीट लाईटों को सौर उर्जा के माध्यम से संचालित करने की तैयारी है। ऐसा हुआ तो हर माह आने वाले भारी-भरकम बिजली बिलों के भुगतान से नगरीय निकायों पर पढ़ रहे आर्थिक बोझ से मुक्ति मिल सकेगी और स्ट्रीट लाइटों को बंद-चालू करने के लिए लगे अमले के खर्च से भी निजात मिल सकेगी। ये स्ट्रीट लाइटें अंधेरा होंने पर स्वत: चालू हो जाएंगी और उजाला होते ही स्वत: बंद हो जाएंगी। नवीन एवं नवकरणीय उर्जा विभाग के माध्यम से इनके लगाने पर मिलने वाली सबसिडी का लाभ भी नगरीय निकायों को मिल सकेगा। दस साल पहले कुछ निकायों में सौर उर्जा से स्ट्रीट लाईटें लगाई गई थी अब इसमें से नब्बे फीसदी लाइटें बैटरी खराब होंने के कारण बंद हो चुकी है। इन सबको अब फिर से सौर उर्जा के माध्यम से संचालित किया जाएगा।