Solar Mission Launch : सोलर मिशन आदित्य L1 लॉन्च, 63 मिनट में अर्थ ऑर्बिट में पहुंचेगा!
Bangalore : सूर्य के अध्ययन के अपने ‘मिशन आदित्य’ के तहत ISRO ने शनिवार को’ आदित्य L1′ लॉन्च कर दिया। आदित्य सूर्य की स्टडी करेगा। शनिवार सुबह 11.50 बजे PSLV-C 57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से आदित्य L1 को लॉन्च किया गया। रॉकेट PSLV आदित्य को पृथ्वी की निचली कक्षा में छोड़ेगा। करीब 63 मिनट 19 सेकंड बाद आदित्य 235 x 19500 Km की ऑर्बिट में पहुंचेगा।
चीन भी सोलर मिशन लॉन्च कर चुका है। चीन का भेजा गया मिशन धरती के ऑर्बिट में है। जबकि ‘इसरो’ का ‘आदित्य एल1 मिशन’ उससे बाहर होगा। ‘आदित्य एल1 मिशन’ एक प्रतिशत दूरी तक ही जाएगा। मतलब, सूरज 15 करोड़ किलोमीटर दूर है तो यह मिशन 15 लाख किलोमीटर दूरी तक जाएगा। सूरज के तापमान से उपकरणों को नुकसान न पहुंचे, इसके लिए स्पेशल अलॉय इस्तेमाल किया गया है।
सूरज पर कई तरह के कण और ऊर्जा रहती है। वह ऊर्जा कई तरह की तरंगों के रूप में निकलती है। पराबैंगनी किरणों को सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा का ही एक प्रकार माना जाता है। सूरज के बाहरी हिस्से का तापमान ज्यादा होता है तो वहां कण वाष्पित होते रहते हैं।
भारत का ‘आदित्य L1 करीब 4 महीने बाद लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज पर आसानी से रिसर्च किया जा सकता है। इस मिशन की अनुमानित लागत 378 करोड़ रुपए है। आदित्य स्पेसक्राफ्ट को L1 पॉइंट तक पहुंचने में करीब 125 दिन लगेंगे। ये दिन 3 जनवरी 2024 को पूरे होंगे। अगर मिशन सफल रहा और आदित्य स्पेसक्राफ्ट लैग्रेंजियन पॉइंट 1 पर पहुंच गया, तो नए साल में इसरो के नाम ये बड़ी कामयाबी होगी।
क्या होता है लैगरेंज पॉइंट-1
लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमेटिशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में L1 नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच है, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रीफ्यूगल फोर्स बन जाता है। ऐसे में इस जगह पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी से दोनों के बीच स्थिर रहता है और एनर्जी भी कम लगती है। पहला लैगरेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है।
ग्रहण बेअसर, इसलिए भेजा गया
आदित्य यान को सूर्य और पृथ्वी के बीच हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। इसरो का कहना है कि L1 पॉइंट के आस-पास हेलो ऑर्बिट में रखा गया सैटेलाइट सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देख सकता है। इससे रियल टाइम सोलर एक्टिविटी और अंतरिक्ष के मौसम पर भी नजर रखी जा सकेगी।
7 इक्विपमेंट्स जो सूर्य को समझेंगे
L1 यानी सूर्य-पृथ्वी के लैग्रेंजियन पॉइंट पर रहकर सूर्य पर उठने वाले तूफानों को समझेगा। यह लैग्रेंजियन पॉइंट के चारों ओर की कक्षा, फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फियर के अलावा सबसे बाहरी परत कोरोना की अलग-अलग वेब बैंड्स से 7 इक्विपमेंट्स के जरिए टेस्टिंग करेगा। आदित्य L1 के सात इक्विपमेंट्स कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर एक्टिविटी की विशेषताओं, पार्टिकल्स के मूवमेंट और स्पेस वेदर को समझने के लिए जानकारी देंगे। आदित्य L-1 सोलर कोरोना और उसके हीटिंग मैकेनिज्म की स्टडी करेगा।
पूरी तरह स्वदेशी है आदित्य L1
आदित्य L1 देश की संस्थाओं की भागीदारी से बनने वाला पूरी तरह स्वदेशी प्रयास है। बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) विजुअल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ ने इसके पेलोड बनाए हैं। जबकि इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे ने मिशन के लिए सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजर पेलोड विकसित किया है।