खूबसूरत बनने की चाह का जानलेवा जोखिम (The Deadly Risk Of Wanting To Be Beautiful);
कन्नड़ अभिनेत्री चेतना राज की ‘फैट फ्री’ सर्जरी के बाद मौत हो गई है। उनका वजन बढ़ रहा था, जिसे वे कम कराना चाहती थी। लेकिन, वजन कम होने के बजाए वे इस दुनिया से ही विदा हो गई! बताया गया कि उनके फेफड़ों में पानी भर गया था, जो मौत का कारण बना! दरअसल, ये कॉस्मेटिक सर्जरी का ही एक हिस्सा है, जो अकसर खूबसूरत (Beautiful) बनने की चाह में खतरा बन जाता है। अब डॉक्टर पर लापरवाही का दोष लगाया जा रहा है! ये सही हो या गलत, पर जो होना था, वो हो गया! ये इस तरह का पहला और आखिरी मामला नहीं है! खूबसूरत (Beautiful) बनने की कोशिश में कई अभिनेत्रियों के साथ ऐसे हादसे हो चुके हैं। कोई दुबला होना चाहती है तो कोई अपने होंठों को, नाक को या शरीर के किसी ख़ास अंग को आकर्षक बनाने के लिए इस तरह का जोखिम मोल लेती हैं! मात्र 21 साल की चेतना राज की मौत उसी तरह का हादसा है।
फ़िल्मी अभिनेत्रियों और सभ्रांत वर्ग में खूबसूरत (Beautiful) दिखने के लिए कॉस्मेटिक सर्जरी करवाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इस वजह से जान जाने का जोखिम भी बढ़ा। सवाल उठता है, कि आख़िर लड़कियां यह जोख़िम उठाती ही क्यों है! शरीर की सुंदरता का अपना एक मापदंड है। लेकिन, कोई बड़े घर की महिला या अभिनेत्री सुंदर काया पाने के लिए जान गंवा दे, तो यह आसानी से गले उतरने वाली बात नहीं है। यह पहला मामला नहीं है, जब कॉस्मेटिक सर्जरी के दौरान कोई मौत हुई है। किंतु, तन की सुंदरता के आगे मन में उठने वाले इन सवालों के जवाब कहाँ है!
सुंदरता के मायने क्या हैं, क्या इसका कोई पैमाना है! इसका जवाब शायद कहीं नहीं मिलेगा। खूबसूरत (Beautiful) दिखने की चाहत में युवक और युवतियां क्या कुछ नहीं करते! खासकर फ़िल्मी दुनिया से जुड़े हुए चेहरे तो इसके लिए कई जोखिम उठाने से पीछे नहीं रहते। जिन्हें समाज एक तबका रोल मॉडल की तरह देखता है, उसके नकली चेहरे पर भला कौन भरोसा करेगा! सामान्यतः खूबसूरती के लिए क्रीम और उबटन लगाने, मसाज कराने का चलन है! लेकिन, खूबसूरत (Beautiful) बनने के लिए चेहरा तो नहीं बदलाया जा सकता। कई बार यह सनक जान तक ले लेती है और चेतना राज उसका उसी का एक उदाहरण है।
युवाओं की प्लास्टिक सर्जरी और कॉस्मेटिक सर्जरी करवाने की सनक बढ़ रही है। इसका नतीजा यह है कि एम्स हॉस्पिटल में एक दशक में इस तरह की सर्जरी करने वालो की संख्या तीन गुना बढ़ गई। लेकिन, क्या सुंदरता की चाह में जान को जोख़िम में डालना सही है! सुंदरता किसे आकर्षित नहीं करती। हर कोई चाहता है कि वह खूबसूरत और सबसे अलग दिखे। उम्र बढ़ने के साथ यह चाहत कई गुना बढ़ जाती है। मेडिकल साइंस की तरक्की ने यह राह आसान कर दी है। सामान्यतः प्लास्टिक कॉस्मेटिक सर्जरी चोट, जलने के निशान को छुपाने के लिए की जाती थी। पर, अब इसका उपयोग खूबसूरती की चाहत रखने वाले ज्यादा करने लगे।
ये सच है कि कॉस्मेटिक सर्जरी से मनचाही सुंदरता पाई जा सकती है। लेकिन, वह वास्तविक नहीं होती। इस कारण वह शरीर के दूसरे अंगों से मेल नहीं खाती और बेमेल नजर आती है। पिछले कुछ समय से इस तरह की सर्जरी से मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है। आंकड़ो के मुताबिक भारत प्लास्टिक सर्जरी कराने वालों की संख्या विश्व में चौथे स्थान पर है। देश में कॉस्मेटिक सर्ज़री का बाजार 30 फ़ीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है। सोचने वाली बात यह भी है कि क्या ऐसी सर्जरी से सभी खूबसूरत हो जाएंगे! कई बार इससे लोगों की जान तक चली जाती है। फिर भी सुंदरता पाने के चक्कर में लोग अपनी जान जोखिम में डालकर कॉस्मेटिक सर्जरी करवा रहे है।
वास्तव में प्लास्टिक सर्जरी ग्रीक भाषा का एक शब्द है। जिसका अर्थ है ‘रिशेपिंग’ या रिकेन्ट्रक्शन। इसकी शुरुआत 2500 साल पहले महर्षि सुश्रुत ने की थी। भारतीय चिकित्सा के जनक सुश्रुत ने अपनी सुश्रुत संहिता में इसका जिक्र भी किया। वर्तमान समय में प्लास्टिक सर्जरी की छह शाखाएं है। कॉस्मेटिक, ट्रामा, रिकेन्ट्रेक्टिव, माइक्रो, बर्न और मेक्सियोफेशियल। ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन’ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 15 करोड़ लोग अपनी खूबसूरती बढ़ने के लिए इस तरह की सर्जरी का सहारा ले रहे है। फिल्म और मॉडलिंग करियर से जुड़े युवा इस सर्जरी के जरिए खूबसूरती पाने की कोशिश करते हैं।
बात खूबसूरती की निकली है, तो हाल की एक घटना का जिक्र करना जरूरी है। पिछले आस्कर अवार्ड समारोह की घटना को शायद कोई भूला नहीं होगा, जिसमें विल स्मिथ ने कॉमेडियन क्रिस रॉक को मंच पर आकर थप्पड़ मार दिया था। इसलिए कि क्रिस रॉक ने विल स्मिथ की पत्नी जेडा के बालों का मज़ाक उड़ाया था। क्या यह मज़ाक जेडा के लिए मानसिक प्रताड़ना नहीं था! सुंदरता के निर्धारित मानकों पर फीट नहीं बैठने पर महिलाओं को उपहास का पात्र बना दिया जाता है। क्या स्त्री का जन्म महज सौन्दर्य की मूरत बनने के लिए ही हुआ है! क्या आंतरिक सुन्दरता का वर्तमान समय में कोई महत्व नहीं रह गया। एक शोध की माने तो दुनिया मे 72 फीसदी लड़कियां सुन्दरता के लिए दबाव में जीने को मजबूर हो रही है।
आज भी हमारे समाज में सबसे पहले लड़की की खूबसूरती को देखा जाता है। जबकि, लड़कों के साथ ऐसा नहीं होता है। वह जैसा भी है, समाज उसे स्वीकार लेता है, फिर यह दवाब महिलाओं के लिए ही क्यों होता है! क्या स्त्री की पहचान उसके रूप से ही की जाना सही है। ऐसे में उसके गुणों की कोई अहमियत नहीं रह जाती। लड़कियों को स्वयं इस मिथक से बाहर आना होगा। उन्हें बताना होगा कि वह जैसी है, वैसी ही खूबसूरत है, उन्हें किसी कॉस्मेटिक सर्जरी की जरूरत नहीं है। क्योंकि, कॉस्मेटिक सर्जरी से जो खतरे उभरते हैं चेतना राज उसका ताजा प्रमाण है।