
SOPA’s Demand to Govt: सोपा ने सरकार से भावांतर भुगतान योजना लागू करने की मांग की
इंदौर: सोयाबीन प्रोसेसर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से वर्तमान मूल्य समर्थन योजना (PSS) की जगह भावांतर भुगतान योजना लागू करने की मांग की है। संगठन का कहना है कि इससे न केवल किसानों को सीधी और त्वरित राहत मिलेगी बल्कि सरकार पर पड़ने वाला वित्तीय बोझ भी आधा हो जाएगा।
सोपा के चेयरमैन डॉ. डेविश जैन ने अपने पत्र में बताया कि विपणन वर्ष 2024-25 (अक्टूबर 2024–सितंबर 2025) के दौरान सोयाबीन की मंडी कीमतें लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹4,892 प्रति क्विंटल से नीचे रहीं। इसका मुख्य कारण आयात शुल्क में कटौती और डिस्टिलर्स ड्रायड ग्रेन्स विद सॉल्यूबल्स (DDGS) की प्रतिस्पर्धा के चलते सोयाबीन तेल और खल की कीमतों में आई गिरावट है।
सरकार ने किसानों की मदद के लिए NAFED और NCCF के माध्यम से 20 लाख टन सोयाबीन की खरीद की, लेकिन प्रशासनिक खर्च, भंडारण, बर्बादी और कमीशन सहित भारी लागत उठानी पड़ी। बाद में इस स्टॉक की नीलामी ₹10,000 प्रति टन की छूट पर की गई, जिससे सरकार को लगभग ₹2,000 करोड़ का नुकसान हुआ। अब जबकि 2025-26 के लिए MSP बढ़कर ₹5,328 प्रति क्विंटल हो गया है, लेकिन बाजार की स्थितियां जस की तस बनी हुई हैं।
सोपा ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि मौजूदा हालात जारी रहे तो सरकार को पिछले साल से दोगुना सोयाबीन खरीदना पड़ सकता है, जिससे नुकसान ₹5,000 करोड़ से अधिक पहुंच सकता है।इस परिप्रेक्ष्य में, सोपा ने सुझाव दिया है कि भावांतर भुगतान योजना के तहत किसानों को बाजार भाव और MSP के बीच का अंतर सीधे उनके बैंक खातों में दिया जाए। इससे किसानों को तुरंत राहत मिलेगी, सरकारी खर्च आधा हो जाएगा और अनावश्यक लॉजिस्टिक व भंडारण लागत से भी बचा जा सकेगा।डॉ. जैन ने यह भी जोर दिया कि योजना को इस प्रकार डिज़ाइन किया जाए कि लाभ केवल वास्तविक किसानों तक पहुंचे और किसी प्रकार की गड़बड़ी या दुरुपयोग की गुंजाइश न रहे।





