

Sound of 3rd World War : भारत-पाकिस्तान जंग कहीं तीसरे विश्व युद्ध की आहट तो नहीं!
New Delhi : दूसरे विश्व युद्ध को आठ दशक हो गए। लेकिन, उसकी गूंज आज भी लोगों के मन में जिंदा है। अब यह डर दोबारा सिर उठा रहा है। एक ताज़ा अंतरराष्ट्रीय सर्वे के मुताबिक, अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के करोड़ों लोग मानते हैं कि अगले पांच से दस सालों में तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है। रूस को इसका सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है।
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हालात जंग जैसे बन गए। मगर दुनिया इस वक्त जिस दौर से गुजर रही है, उसमें तीसरे विश्व युद्ध की आहट कहीं ज्यादा डरावनी और वैश्विक है। एक नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट ने इस डर की तारीख तय कर दी। रिपोर्ट के मुताबिक, न केवल भारत-पाकिस्तान बल्कि अमेरिका, रूस और पश्चिमी यूरोप भी ऐसे टकराव की दिशा में बढ़ रहे हैं, जिसका अंत एक विकराल युद्ध हो सकता है और वो है वर्ल्ड वॉर थ्री।
ये युद्ध सिर्फ पारंपरिक हथियारों से नहीं, बल्कि परमाणु बमों की तबाही लेकर आ सकता है। दूसरे विश्व युद्ध को बीते भले ही 80 साल हो गए हों, लेकिन उसका खौफ अब नए रूप में लौट रहा है। इस सर्वे में यह भी सामने आया कि लोग न केवल संभावित परमाणु युद्ध से डरे हैं, बल्कि उन्हें अपने ही देशों की सैन्य तैयारी और वैश्विक साझेदारों पर भी भरोसा नहीं है। इतिहास को वर्तमान से जोड़ते हुए लोगों ने यह भी माना कि नाजी जैसे अपराध आज फिर से कहीं भी दोहराए जा सकते हैं।
न्यूक्लियर तबाही का खतरा
ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन के 41% से 55% लोगों ने माना कि अगले दशक में तीसरा विश्व युद्ध काफी संभव या संभावित है। अमेरिका में भी 45% लोगों की राय कुछ ऐसी ही है। सर्वे में शामिल लोगों में से 68% से 76% को लगता है कि यह युद्ध परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के साथ होगा। 57% से 73% लोगों को लगता है कि इससे जानमाल की हानी 1939-45 के युद्ध से भी ज्यादा होगी। हर चार में से एक को डर है कि इससे दुनिया की अधिकांश आबादी मारी जा सकती है।
रूस और अमेरिका पर भी शक
यूरोप और अमेरिका में अधिकांश लोगों ने रूस को तीसरे विश्व युद्ध की सबसे बड़ी आशंका बताई। पश्चिमी यूरोप में 72% से 82% और अमेरिका में 69% लोगों ने रूस को प्रमुख खतरा माना। दिलचस्प बात यह कि अमेरिका को लेकर भी यूरोप के लोग संदेह में हैं। स्पेन (58%), जर्मनी (55%) और फ्रांस (53%) के लोगों ने माना कि अमेरिका के साथ बढ़ता तनाव भी यूरोप की शांति के लिए बड़ा खतरा है।
हमारी सेना तैयार नहीं
इटली से लेकर यूके तक अधिकांश लोगों को लगता है कि यदि युद्ध हुआ, तो उनका देश उसमें शामिल होगा जैसा 66% से 89% लोगों ने कहा है। लेकिन, अपनी सेनाओं पर भरोसा कम। इटली में सिर्फ 16% और फ्रांस में 44% लोगों को लगता है कि उनकी सेना उन्हें बचा पाएगी। इसके उलट, 71% अमेरिकियों को अपनी सेना पर भरोसा है।
सारा जोर इतिहास पढ़ाने पर
फ्रांस (72%), जर्मनी (70%) और ब्रिटेन (66%) के लोगों ने कहा कि वे अच्छी जानकारी रखते हैं। स्पेन में यह संख्या सबसे कम (40%) रही। 77% फ्रेंच नागरिकों को स्कूलों में दूसरे विश्वयुद्ध से यही शिक्षा मिली। जबकि, ब्रिटेन में सिर्फ 48% और स्पेन में केवल 34% को. 80% से ज्यादा लोग मानते हैं कि दूसरा विश्व युद्ध आज भी प्रासंगिक है और इसे स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए.
फिर हो सकते हैं नाज़ी जैसे अपराध
अमेरिका के 52% नागरिकों को लगता है कि उनके देश में नाजी जर्मनी जैसे अपराध फिर हो सकते हैं। यूरोप में भी 31% (स्पेन) से 50% (जर्मनी) तक लोगों ने यही चिंता जताई। 59% लोगों को लगता है कि किसी और यूरोपीय देश में भी ऐसी घटनाएं दोहराई जा सकती हैं। ज्यादातर देशों (40% से 52%) में लोगों ने अमेरिका को दूसरा विश्व युद्ध जीतने में सबसे बड़ा योगदानकर्ता माना।
17% से 28% ने सोवियत संघ को श्रेय दिया. यूके में 41% लोगों ने ब्रिटेन को सबसे अहम माना पर बाकी देशों में यह संख्या सिर्फ 5% से 11% रही। नाटो को सबसे ज्यादा (52% से 66%) लोगों ने WWII के बाद शांति बनाए रखने में प्रमुख भूमिका निभाने वाला माना। संयुक्त राष्ट्र को भी बड़ी संख्या में लोगों ने महत्वपूर्ण बताया। यूरोपीय यूनियन को भी 45% से 56% लोगों ने शांति का रक्षक माना।