Soybean Crisis : मध्यप्रदेश में सोयाबीन की फसल पर संकट, MSP ₹8000 करने की मांग!
Bhopal : सोयाबीन की खेती के लिए देश में मध्यप्रदेश को जाना जाता है। यही वजह है कि इसे ‘सोया प्रदेश’ भी कहा जाता है। लेकिन, इस बार सोयाबीन उत्पादक किसानों की हालत खराब है। फसल का रकबा बढ़ने के बावजूद किसानों को सोयाबीन का उचित मूल्य नहीं मिल रहा। कई इलाकों में फसल कीड़ों से भी प्रभावित हुई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस बार सोयाबीन का रकबा बढ़ा है।
राजस्थान की सीमा से लगे मंदसौर जिले की मल्हारगढ़ तहसील में सोयाबीन की फसल पर बड़ा संकट मंडरा रहा। यहां के किसान सोयाबीन की फसल में इल्ली और पीले मोजैक के प्रकोप से परेशान हैं। इसके चलते उन्हें अपनी सोयाबीन कम दाम पर बेचना पड़ रही है। मल्हारगढ़ इलाके में कम बारिश ने भी किसानों की समस्या को बढ़ाया है।
मंदसौर जिले में तीन जगह ऐसे मामले सामने आए, जहां किसानों ने अपनी खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाकर उन्हें नष्ट कर दिया। पिछले दिनों एक किसान ने अपनी 7 एकड़ से अधिक खड़ी सोयाबीन की फसल पर ट्रैक्टर चला दिया था। क्योंकि, किसान अपनी फसल को मंडी में बेचने गया, जिसका उसे उचित मूल्य नहीं मिला। इसके बाद किसान ने खेत में लगी फसल को ही नष्ट कर दिया।
कांग्रेस नेता और प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने प्रदेश की भाजपा सरकार को समर्थन मूल्य के मुद्दे पर घेरा। कांग्रेस नेताओं ने सोयाबीन की गिरती कीमतों पर चिंता जताई है। इस बार सोयाबीन की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे गिर गई। पिछले साल के मुकाबले इस बार सोयाबीन की कीमत 15% कम है।
कांग्रेस नेताओं ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा पूरा नहीं करने पर बीजेपी सरकार को घेरा और कहा कि महंगाई चार गुना बढ़ गई। इस कारण गरीब, मजदूर और मिडिल क्लास पर बुरा असर पड़ रहा है। कांग्रेस नेताओं ने राज्य सरकार से सोयाबीन की फसल के संकट को दूर करने और किसानों को राहत देने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है।
किसान खेतों में खड़ी सोयाबीन की फसल पर ट्रैक्टर चला रहे हैं। पिछले दिनों मंदसौर जिले के एक किसान का यही करते हुए वीडियो भी सामने आया था!
लेकिन, #MP_सरकार पर किसानों की पीड़ा का कोई असर नहीं हुआ।किसानों की परेशानी का सबसे बड़ा कारण है सोयाबीन की #MSP पर खरीद नहीं होना। सरकार…
— Umang Singhar (@UmangSinghar) August 27, 2024
समर्थन मूल्य 8 हजार रुपए क्विंटल करने की मांग
क्षेत्र के किसानों का कहना है कि खेती घाटे का सौदा बन गई है। उनकी फसलें कीटों या प्राकृतिक आपदाओं से बर्बाद हो जाती हैं। किसानों ने सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए कि इस साल सोयाबीन का रकबा बढ़कर 125.11 लाख हेक्टेयर हो गया। ऐसे में सोयाबीन के लिए 8,000 रुपए क्विंटल का समर्थन मूल्य दिया जाना चाहिए।