ऐसी वाणी बोलिए…

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ऐसी वाणी बोलिए…

सांसद की शपथ लेने से पहले ही गाल पर पड़े थप्पड़ की गूंज कंगना के कानों में ताउम्र गूंजती रहेगी। दरअसल यह कंगना के कर्कश स्वरों की प्रतिध्वनि गाल के जरिए कानों तक पहुंची है। जिस तरह कंगना को तीखा बोलने के लिए जाना जाता है, जिनके स्वर कहीं भी किसी को भी आहत कर सकते हैं। और सबसे बड़ी बात यह कि खुद कंगना को इससे कोई फर्क कभी नहीं पड़ा और न कभी इसका अहसास हुआ कि उनकी जहरीली वाणी ने कितनों को आहत किया है। पर संवैधानिक पद पर पहुंचने से पहले 37 साल तक की उम्र का हिसाब एक सीआईएसएफ महिला कांस्टेबल के थप्पड़ ने चुकता कर दिया है। अब सांसद बनने के बाद शायद कंगना की यह सोच बनना जरूरी है कि वाणी से कोई आहत न हो और कठोर शब्दों का इस्तेमाल भी इस तरह किया जाए कि अपनी भावना से सबको अवगत करा दिया जाए और किसी के दिल पर खंजर की तरह न चुभे।
मामला यही है कि हिमाचल में मंडी से नवनिर्वाचित बीजेपी सांसद और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को थप्पड़ मारा गया। चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर बीजेपी सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत से बदसलूकी की गई। सांसद की ओर से दी गई शिकायत में सामने आया है कि वह चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर पहुंची थीं। उन्हें फ्लाइट से दिल्ली आना था। सिक्योरिटी चेक इन के बाद जब वह बोर्डिंग के लिए जा रही थीं, इसी दौरान एलसीटी कुलविंदर कौर (सीआईएसएफ यूनिट चंडीगढ़ एयरपोर्ट) ने उन्हें थप्पड़ मारा। उसके बाद कंगना रनौत के साथ यात्रा कर रहे शख्स मयंक मधुर ने कुलविंदर कौर को थप्पड़ मारने की कोशिश की। बाद में आरोपी सीआईएसएफ कर्मी को हिरासत में ले लिया गया। उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई।
पर असल बात तो इसके बाद ही सामने आई। इसी बीच सीआईएसएफ कर्मी का वीडियो भी सामने आया, जिसमें उसने किसान आंदोलन को लेकर दिए गए कंगना रनौत के बयान से नाराजगी जताई। कुलविंदर कौर ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के दौरान कंगना रनौत ने पंजाब की महिलाओं के बारे में घटिया बयान दिया था। कंगना ने कहा था कि पंजाब की महिलाएं पैसों के लिए किसान आंदोलन में शामिल होती हैं।  उसने बताया कि ‘इसने बोला था किसान आंदोलन में 100-100 रुपये में महिलाएं बैठती थीं। वहां मेरी मां भी थी’। और दिल का दर्द यही था कि मां का अपमान बेटी कभी सहन नहीं कर सकती। कुलविंदर जैसी बेटी ने इस अपमान को अपने दिल में दफन कर रखा था, जो कंगना को देखकर ही ज्वालामुखी बनकर फूट गया।
अब मां तो मां है। इससे कंगना को सबक लेना चाहिए कि अब तक उनका जो भी नजरिया रहा हो, वह ठीक है। पर अब उन्हें जनप्रतिनिधि और संवैधानिक पद पर पहुंचने के बाद मर्यादा, संयम, विनम्रता और वाणी की मधुरता का ख्याल जरूर रखना चाहिए। शायद इसीलिए कबीर दास जी पहले ही नसीहत देकर गए हैं कि
‘ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए, औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए।’ यानि कि कबीर दास जी हमें यह समझाते हैं कि हमेशा ऐसी भाषा बोलनी चाहिए जो सामने वाले को सुनकर अच्छी लगे और उन्हें सुख की अनुभूति हो और साथ ही खुद को भी आनंद का अनुभव हो।
उम्मीद यही है कि कंगना के मन को कबीरदास जी की बात अच्छी लगेगी और फिर उन्हें किसी कुलविंदर का तमाचा नहीं खाना पड़ेगा…।