विधायकों के अपमान पर विधानसभा अध्यक्ष के सख्त निर्देश, कलेक्टर कराए प्रोटोकॉल का पालन

-प्रोटोकाल से जुड़ी पांच शिकायतों पर कार्रवाई नहीं जारी किया रिमाइंडर

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Vidhan sabha

भोपाल: मध्यप्रदेश के विधायक और पूर्व विधायक चाहते है कि मध्यप्रदेश और प्रदेश के बाहर यात्रा के दौरान टोल नाकों पर उन्हें मुफ्त फास्टटेग मिले या नाकों पर जमा किया गया टोल टैक्स उन्हें रिएंबर्स किया जाए। विधानसभा सचिवालय ने इस संबंध में संसदीय कार्य विभाग को प्रस्ताव दिया है।

शासन स्तर पर सहमति मिलने पर इसे लागू किया जाएगा। वहीं सामान्य प्रशासन विभाग के जरिए प्रदेश के सभी कलेक्टरों को नोटिस जारी करवाया जाएगा कि जिलों में विधायकों, सांसदों के प्रोटोकाल का ध्यान रखा जाए और निचले स्तर पर भी इसका पालन सुनिश्चित कराया जाए। प्रोटोकाल उल्लंघन की शिकायतों में से पांच पर अब तक कार्यवाही नहीं की गई है। अब विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम इसके लिए मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के साथ बैठक करेंगे।

विधायकों के प्रोटोकाल उल्लंघन की कुल 29 शिकायतें थी। इनमें से बीस पर संबंधित विभागों के अधिकारियों ने जवाब दे दिया है। चार मामलों पर कार्यवाही प्रक्रियाधीन है और पांच मामलों में विभागों ने कोई जवाब नहीं दिया है। इसको लेकर संबंधित विभागों को सामान्य प्रशासन विभाग के एसीएस विनोद कुमार की ओर से रिमाइंडर जारी किए गए है।

विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का कहना है कि विधायकों के प्रोटोकॉल उल्लंघन के कुछ मामले ढाई से तीन साल पुराने है। इन पर कार्यवाही नहीं हो पाई है। इसको लेकर अब वे मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के साथ बैठक करेंगे।

वर्तमान की दो और पूर्व विधायकों की एक कार का टोल टैक्स भरेगी सरकार-
मध्यप्रदेश के मौजूदा विधायकों को एक वाहन पर जीरो टोल वाला फास्टटैग जारी किया जाएगा। मध्यप्रदेश में एमपीआरडीसी के 72 टोल पर जीरो टोल वाला फास्टैग जारी होगा वहीं एनएचएआई के 52 टोल पर भी इसकी सुविधा देने प्रावधान किया जाएगा।

वहीं प्रदेश के बाहर यात्रा करने पर लगने वाले शुल्क के भुगतान के लिए इस फास्टैग में दो सौ से तीन सौ रुपए की राशि जमा की जाएगी ताकि प्रदेश के बाहर वाहन जाने पर फास्टैग ब्लैकलिस्टेड नहीं हो। वहीं मौजूदा विधायकों के एक अन्य वाहन और पूर्व विधायकों के वाहनों पर जमा होंने वाले टोल टैक्स की रसीद जमा कराने पर शासकीय स्तर पर यह शुल्क उन्हें वापस किए जाने का प्रावधान भी किया जाएगा। विधानसभा सचिवालय ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर संसदीय कार्य विभाग को दिया है। वहां से वित्त के साथ चर्चा के बाद इसे लागू किया जाएगा।

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कलेक्टर नीचे नहीं पहुंचाते प्रोटोकाल के मामले-
प्रदेश के विधायकों के प्रोटोकाल के मामले, उन्हें जिले की बैठकों, कार्यक्रमों में ना बुलाए जाने, कार्ड पर उनका नाम नहीं लिखे जाने के मामले कलेक्टर सामान्य तौर पर अपनी अधीनस्थ अफसरों तक नहीं पहुंचाते। विधानसभा अध्यक्ष ने जीएडी के एसीएस विनोद कुमार से कहा है कि डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, एसडीओपी सहित जिले के तमाम अफसरों को निर्देशित किया जाए कि विधायकों और सांसदों के प्रोटोकाल का ध्यान रखा जाए।