देव उठनी एकादशी पर बाल विवाह रोकथाम की विशेष मुहिम: मंत्री निर्मला भूरिया के निर्देश पर प्रदेशभर में सतर्कता और जागरूकता अभियान

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देव उठनी एकादशी पर बाल विवाह रोकथाम की विशेष मुहिम: मंत्री निर्मला भूरिया के निर्देश पर प्रदेशभर में सतर्कता और जागरूकता अभियान

भोपाल। देव उठनी एकादशी के अवसर पर मध्यप्रदेश सरकार ने बाल विवाह की रोकथाम के लिए प्रदेशव्यापी विशेष अभियान की शुरुआत की है। महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया के निर्देश पर यह मुहिम “बाल विवाह मुक्त मध्यप्रदेश” के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक सशक्त कदम मानी जा रही है।

मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया ने अपने संदेश में कहा कि- “बाल विवाह न केवल एक सामाजिक कुप्रथा है, बल्कि यह बालिकाओं के अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य और भविष्य के साथ गंभीर अन्याय है। इसे समाप्त करने के लिए सरकार, समाज और परिवार- तीनों को समान रूप से आगे आना होगा।”

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देव उठनी एकादशी के बाद पारंपरिक रूप से विवाह समारोहों का शुभ समय आरंभ होता है। इस दौरान बाल विवाह की संभावनाएं बढ़ने के कारण विभाग ने सभी जिलों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। प्रत्येक ग्राम और वार्ड में विशेष सूचना दल गठित किए जा रहे हैं जिनमें शिक्षक, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, स्वसहायता समूह की सदस्य, शौर्यादल की अध्यक्ष, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत प्रतिनिधि और समाज के जागरूक नागरिक शामिल हैं। ये दल क्षेत्र में होने वाले विवाहों की निगरानी करेंगे और किसी भी संदिग्ध बाल विवाह की सूचना तुरंत कंट्रोल रूम या बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी को देंगे।

प्रदेश के सभी जिलों में 24×7 कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं। इन कंट्रोल रूमों के दूरभाष नंबरों का व्यापक प्रचार-प्रसार समाचार पत्रों, सोशल मीडिया और स्थानीय माध्यमों से किया जा रहा है। बाल विवाह की सूचना मिलते ही तत्काल कार्रवाई के लिए उड़न दस्ते भी तैनात किए गए हैं।

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विभाग द्वारा परियोजना और आंगनवाड़ी स्तर पर जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इनमें जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, धार्मिक संस्थाओं और नागरिकों से बाल विवाह रोकथाम में सक्रिय सहयोग की अपील की जा रही है। साथ ही बालिकाओं के हित में संचालित योजनाओं—जैसे लाड़ली लक्ष्मी योजना की जानकारी दी जा रही है।

अभियान के तहत सही उम्र में विवाह के महत्व और कम उम्र में विवाह के दुष्परिणामों पर विशेष जोर दिया गया है। इनमें कम उम्र में गर्भधारण से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में वृद्धि, शिक्षा में बाधा और स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। विभाग ने चाइल्ड हेल्पलाइन 1098, महिला हेल्पलाइन 181 और बाल विवाह मुक्त भारत पोर्टल (stopchildmarriage.wcd.gov.in) के प्रचार को भी अभियान का अहम हिस्सा बनाया है।

भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक बाल विवाह की दर को 23.3 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने तथा वर्ष 2030 तक देश को बाल विवाह मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 एवं मध्यप्रदेश बाल विवाह प्रतिषेध नियम, 2007 के तहत बाल विवाह करना या कराना दंडनीय अपराध है, जिसके लिए सजा, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।

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देव उठनी एकादशी, जो इस वर्ष 1 नवम्बर 2025 को मनाई जाएगी, के अवसर पर यह विशेष सतर्कता एवं जनजागरूकता मुहिम पूरे प्रदेश में एक साथ संचालित की जा रही है। इसका उद्देश्य है- बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को समाप्त कर एक सुरक्षित, शिक्षित और सशक्त बालिकाओं वाला “बाल विवाह मुक्त मध्यप्रदेश” बनाना।