Special on Ganesh Chaturthi: पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति भोपाल के पटल पर गणेश स्थापना और वन्दनाएँ
कल तक एक असमंजस था! गणेश प्रतिमाएं खुद बनाई जाय या केवल खरीदी जाय और इसी विषय पर चर्चा चल रही है कि मूर्तियाँ खरीदें या खुद बनाएं .तब आज यह निष्कर्ष निकला कि यह विषय विवाद का नहीं व्यक्ति की इच्छा का है ,अवसर का है और आत्मिक सुख का भी है ,यह सृजन का ,आस्था का और पर्यावरण के साथ साथ कलात्मक संतुष्टि का भी है .यदि आप कोई कला सिख लेते हैं तो कई लोगों को प्रशिक्षित करके रोजगार के योग्य बना सकते हैं .आपकी जैसी इच्छा हो वो करने के लिए ही तो पर्व और त्यौहार है , हमारे हर पर्व का हमारी अर्थ व्यवस्था से भी सम्बन्ध है तभी तो हजारों पकवानों के बावजूद दिवाली पर भाड भूंजने वालों की भी दिवाली हो तो लाइ और चावल की धानी की परम्परा है .झाडू खरीदने की .बर्तन लेने .सोना चांदी लेने और मिटटी के दिए कुमार के रोजगार से जुड़े हैं .लेकिन हर व्यक्ति अपनी सुविधा और पसंद से चयन कर परम्परा का निर्वाह करता ही है यही स्वस्थ त्यौहार होते हैं .तो मूर्ति बनाई जाय तो आत्म सुख और कलात्मकता भी है और सृजन का सुख भी . और हम उस मेहनत उस श्रम का मोल भी समझ पाते है .—-
मूर्तिकार महिमा श्रीवास्तव
मूर्तिकार से लेते हुए भी उसकी कलात्मकता उसकी मेहनत का ही मोल दे रहे होते है .हमारे लिए जो सहज ,सुखद है वह करना चाहिए .देखा देखी या कहे अनुसार नहीं .दोनों ही स्थिति हमारी आस्था की ही पहचान है .स्वस्थ मन से आपके पास जैसे भी गजानंद महाराज आयें या बनाएं पूजन और लड्डू सुखद और शुभ आनंद देने वाले ही होंगे .अगर अपने मूर्ति खुद बनाई है और आप सक्षम है तो मूर्तिकार की मदद के लिए एक मूर्ति खरीद कर आस्थावान जरूरत मंद को लेकर दे दीजिये इस तरह दो लोगों की मदद कर सकते है वही सच्ची पूजा है बोलो गजानंद महाराज की जय .देखिये इस समूह ने प्रतिमाएं स्वयं बनाई भी और कलाकारों से पार्थिव प्रतिमाएं लेकर कितना रंगारंग आस्था का मंच रचा —
–संकल्पना और सम्पादन -डॉ स्वाति तिवारी
पटल पर स्थापना- डॉ .रूचि बागड़देव -श्रीमती आशा रूचि बागड़देव हैदराबाद
पुष्प सज्जा मानुषी भार्गव
गणेश जी प्रथम पूज्य है ,विध्नहर्ता है और भोले भाले देवता है .सबसे ज्यादा प्रयोग उन्ही पर होते है वे कभी क्रिकेट खेलते हुए ,सारंगी तबले बजाते हुए .फोन करते हुए .सब रूप में अच्छे लगते है .हमारी ग्रामीण बहनें और विवाह में तो गोबर गणेश भी पूजनीय ही है तो बस किसी की चिंता ना करें गणेश जी सबके हैं वे खुद ही देख लेंगे .कला को भी और रोजगार को भी .
भोग मोदक ,लड्डू ,पान सुपारी – वन्दिता श्रीवास्तव
गणेश जी कागज पर भी चित्रित किये गए हैं और वे प्रकृति में पुष्प रूप में स्वयं ही प्रगट हुए ही दोनोंही हमारे पटल पर विराजे हैं .
चित्रांकन –डॉ. सुनीता फडनिस श्री महेश बंसल जी के बगीचे से आयें है इस पटल तक
पटल पर आगमन का आग्रह अनुरोध और न्योता दिया प्रभा जैन इंदौर ने
1.पधारो गणपति
पधारो रे पधारो गणपति देवा,जागे भाग्य हमारे।
विघ्न विनाशक तुम हो,सुख करता दुःख में सहारे।
जय हो जय हो मंगलमूर्ति प्यारे।,,,,,,
भाग्य निर्माता हो तुम ,ज्ञान समृद्धि बढाते,
तुम्हारी आरती मंगल ,हम भक्ति भाव से गाते।
जय हो जय हो तुम ही मन भाते……
वक्रतुंड तू ,सिद्धि विनायक,शिव पार्वती पुत्र गणपति,अर्पित तुम्हें,पसंदीदा मोदक सारे। जय हो जय हो,चरण स्पर्श भक्त करें तुम्हारे……
मुझ पामर भक्त मस्ती, दो ऐसी सदा तुम शक्ति,,
कष्ट सहन कर ,रम जाऊँ गुण गान भक्ति।
जय हो जय हो , मात्र संकट में नाम जपूं तुम्हारे……….
प्रभा जैन
2.”आस्था बची रहे”
“आस्था बची रहे”
तुम्हें अर्पण के लिए ही सही
बचे रहे इस तरह
कुछ अरण्य चंदन के
बचे रहे कुछ खेत
ईख,चावल और हल्दी के
मोदक,अक्षत,तिलक के लिए
चढ़ती रहे सनई की बेंतों पर
पान की बेलें
और तने रहे सुपारी के पेड़
महकती रहे लवंग और तीक्ष्णगंधा
खिलते रहे उपवनों में
गुड़हल, गुलाब,और गेंदा
बचा रहे गंगा में जल
जमी रहे तटों पर दूब
और होता रहे मौली का सूत
वो कैलाश भी बचा रहे
जहां बीता होगा
तुम्हारा बचपन
सच पूछो तो
बची रहे तुम में आस्था
ताकि तुम्हारे अर्पणों के प्राप्य में
बचाएं रहे हम
थोड़ी थोड़ी प्रकृति
जिसके बचे रहने पर ही
बची रहेगी
हमारे बचे रहने की उम्मीद।
इरानाथ श्रीवास्तव
3 . प्रथम प्रणाम ।
महिमा श्रीवास्तव वर्मा का
भाद्र माह पख शुक्ल है, तिथि चतुर्थ है आज।
जन-मन हर्षित हो रहा, जन्म लिये गणराज।।
षडमुख भ्राता हैं बड़े, दूजे अनुज गणेश ।
माता जिनकी पार्वती, भोले तात महेश ।।
गौरी पुत्र गणेश को, करते प्रथम प्रणाम ।
मनोकामना पूर्ण हो, करें सफल सब काम ।।
पूजें प्रथम गजानना, गौरी पुत्र गणेश।
विघ्नहर्ता विनय सुनो, हर लो कष्ट कलेश।।
गणपति- काया देख कर, करें चंद्र उपहास ।
घटे- बढ़ें श्रापित हुए, रूप-गर्व का त्रास
महिमा श्रीवास्तव वर्मा
4. विकट विश्वमुख कीर्ति गान
हे गजवंदन ! तुम्हें प्रणाम।। 🙏💐🙏
~•संजू पाठक
शिव पार्वती तनय जननायक ।
सब देवों में प्रथम विनायक।।
लंबोदर गणपति ।
अखिल सृष्टि के तुम सुखदायक ।।
एकदंष्ट्र हो बुद्धिविधायक।
नादप्रतिष्ठित सिद्धिप्रदायक।।
विद्यावारिधि विघ्नविनाशन।।
वरदविनायक शुभगुणकानन।।
तरुण स्वरूप सुमुख वरगणपति
विकट विश्वमुख कीर्ति गणाधिपति।।
कपिल कीर्ति हेरंब यशस्कर ।
क्षेमंकरी मृत्युंजय कृपाकर।।
पूरण करिए सबके काम।
हे गजवंदन ! तुम्हें प्रणाम।।
संयोजन और प्रस्तुति – डॉ स्वाति तिवारी
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