

हनुमान जयंती पर विशेष- तलाई वाले बालाजी मंदिर में मंगलवारी चोले के लिये 2047 तक का इंतजार
श्री तलाई वाले बालाजी की महिमा
सर्वजन की आस्था और श्रद्धा का केंद्र
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मन्दसौर । यूं तो हनुमानजी के संदर्भ में शास्त्रों और पुराणों में उल्लेख है कि बालाजी की चिरंजीवी का वरदान मिला हुआ है और वे सदा शाश्वत विराजित हैं
देश – प्रदेश में हनुमानजी के कई स्थानों की महिमा है और यह आस्था के चलते सफ़ल होते मनोभावों से ओर बढ़ाता है यही स्थिति मंदसौर के प्राचीन दस मोहल्लों में एक बालागंज स्थित शताब्दियों पुरानी श्री बालाजी प्रतिमा की है ।
जानकारी के अनुसार दयालु बाबा के नाम से पहचाने जाने वाले तलाई वाले बालाजी के दरबार में यदि मंगलवार या शनिवार को चोला चढ़ाना है तो आज की तारीख में रसीद कटवाने वाले भक्तों का नम्बर 21 से 22 साल के इतंजार के बाद आएगा। लाखों श्रद्धालुओं के आस्था के केन्द्र बालाजी के दरबार में सामान्य वार में भी चोले के लिये कम से कम 10 साल का इंतजार तो भक्तों को करना ही पड़ेगा।
12 अप्रैल, शनिवार को हनुमान जयंती पर जो चोला चढ़ेगा वह भी करीब 15 साल पुराने भक्त की रसीद का चोला होगा जो 2 अक्टूबर 2010 को सागर होटल नाम से कटी थी।
मन्दसौर के तलाई वाले बालाजी का दरबार अगाध आस्था और श्रद्धा के केन्द्र के रूप में जाना जाता है। गांधी चौराहा और बालागंज के संधि स्थल के बीच स्थित तलाई वाले बालाजी की लीला कितनी अपरम्पार है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां चोला चढ़ाने तक के लिये सालों का इंतजार भक्तों को करना पड़ रहा है।
संकटों को दूर करने वाले और हर मनोकामना को पूर्ण करने वाले चमत्कारिक तलाई वाले बालाजी के यहां सुबह 5 बजे से भक्तों का सैलाब उमड़ना शुरू होता है जो रात 10 बजे तक अनवरत जारी रहता है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी कलियुग के प्रत्यक्ष देवता है, उनके दर्शन मात्र से भगवान श्री राम की कृपा सुलभ हो जाती है। जिससे दैहिक, दैविक एवं भौतिक ताप तुरंत दूर हो जाते हैं। श्री तलाई वाले बालाजी के दरबार में लड्डू चूरमे का प्रसाद चढ़ाने, राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करवाने और चोला चढ़ाने से मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है। यही वजह है कि यहां हर दिन चोला चढ़ाने के बावजूद चोले की प्रतीक्षा सूची सालों की लम्बित है।
श्री बालाजी मन्दिर मुख्य पुजारी पं. रामेश्वर शर्मा व पं. भूपेन्द्र शर्मा के अनुसार मंगलवार के लिए जनवरी 2047 व शनिवार के लिये अगस्त 2046 तक की प्रतीक्षा सूची है। तो वहीं इन विशेष वारों को छोड़कर अन्य वारों के लिये अप्रेल 2035 तक की प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। इतना ही नहीं राम रक्षा स्त्रोत के लिए फरवरी 2027 और लड्डू चूरमे के भोग के लिये आज की स्थिति में जून 2027 तक की प्रतीक्षा भक्तो को करना पड़ रही है।
तलाई वाले बालाजी का मंदिर एक ऐसा अनूठा मंदिर है जहां पट खुलने से राम रक्षा स्त्रोत की गूंज गूंजती है तो वहीं रात को पट बन्द होने तक सुन्दरकाण्ड, हनुमान चालीसा और भजन कीर्तन के सूर गूंजते रहते है। प्रतिदिन सैकड़ों से लेकर हजारों की तादाद में भक्त यहां मत्था टेककर दयालु बाबा के नाम से पहचाने जाने वाले तलाईवाले बालाजी का आशीर्वाद प्राप्त करते है। भक्ति और श्रद्धा इतनी अटूट है कि व्यापारी और नौकरी पर जाने वाले लोग पहलेश्री बालाजी दरबार में मत्था टेकते है और फिर अपने काम-काज की शुरूआत करते है।
श्री राहुल सोनी ने बताया कि मंदिर व्यवस्था के लिए स्थापित ट्रस्ट द्वारा सुचारू संचालन वरिष्ठ अभिभाषक एवं स्वतंत्रता सेनानी स्व. श्री रामनारायण त्रिवेदी के सुपुत्र श्री धीरेंद्र त्रिवेदी के निर्देशन में किया जारहा है । धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों को भी संचालित किया जाता है ।
श्री बालाजी के विग्रह और सिद्ध स्थान के प्रति सभी वर्गों सभी धर्मों के श्रद्धालुओं की आस्था है । संत महात्माओं , शंकराचार्य , महामंडलेश्वर , कथा प्रवक्ताओं के अलावा मंत्री , सांसद विधायक कलेक्टर एस पी ही नहीं सभी मंदिर में आते रहे हैं और महिमा गान करते रहे हैं ।
पिछले साल चर्चा में फिर आया जब मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा श्री बालाजी दर्शन – पूजन आरती के लिए सभी वर्गों महिलाओं और पुरुषों के लिए मर्यादित वस्त्रों का साथ करने की अनुमति दी यह बड़ी ख़बर बनी ।
मंगलवार और शनिवार के चोले की बुकिंग करना पड़ी थी बंद –
श्री बालाजी मंदिर के सेवाव्रती वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुल सोनी ने बताया कि
मंगलवार और शनिवार की प्रतीक्षा सूची काफी लंबी होने पर श्री बालाजी मंदिर ट्रस्ट कों 2019 में मंगलवार और शनिवार के चोले की बुकिंग बंद करना पड़ी थी। ट्रस्ट ने अब अप्रैल 2024 से फिर से मंगलवार और शनिवार के लिए श्री बालाजी चोले व पूजन सेवा की बुकिंग भी चालू कर दी। बता दे कि वर्तमान में मंगलवार और शनिवार के चोले के लिये 1200 रू. की व अन्य वार के चोले के लिये 700 रू. की रसीद भक्त करवाकर अपना चोला बुक कर सकते है।
700 साल पुराना है इतिहास-
लगभग सात सौ वर्ष पुरानी बालाजी की प्रतिमा प्रारम्भ में विशाल वटवृक्ष के नीचे विराजित थी। यह स्थान शहर से दूर सूबा साहब (कलेक्टर) बंगले के पास स्थित था। मंदिर के पास ही एक तलाई थी जिस पर वर्तमान में नगरपालिका तरणताल स्थित हैं। किवदंती है कि इस प्रतिमा की स्थापना अत्यंत सिद्ध परमहंस संत द्वारा की गयी थी। बहुत समय तक यहाँ बनी धर्मशाला, तलाई एवं मंदिर साधु संतों एवं जमातों का विश्राम एवं आराधना स्थल रहा।
उपलब्ध प्रमाणों से ज्ञात होता हैं कि नगर की प्रमुख फर्म एकामोतीजी के फूलचंदजी चिचानी, बद्रीलालजी सोमानी व नत्थूसिंहजी तोमर ने लम्बे समय तक अपनी सेवाएं दी। अनंत श्री विभूषित ब्रह्मलीन पूज्य राजारामदासजी महाराज अधिष्ठाता और श्री पंचमुखी बालाजी मंदिर, भीलवाड़ा ने भी 1940 ई. में यहाँ रहकर साधना की।
अयोध्या में रामलला प्रतिष्ठा के दिन चढ़े स्वर्णकलश-
सन् 1964 में बालाजी मंदिर न्यास के गठन के बाद मंदिर परिसर का योजनाबद्ध तरीके से विस्तार किया जा रहा हैं । 1995 के पश्चात् मंदिर के पुनर्निर्माण के कार्य के अंतर्गत 85 फ़ीट ऊँचा शिखर तथा निज मंदिर का निर्माण पूर्ण हो चुका है। अयोध्या में श्रीराम मंदिर के रामलला के प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत ही मन्दसौर में भी इस मंदिर ट्रस्ट के तत्वावधान में 20 से 25 जनवरी तक 6 दिवसीय स्वर्ण कलशारोहण एवं 108 कुण्डीय श्री हनुमन्त महायज्ञ का आयोजन हुआ। 28 वर्षों के निरंतर निर्माण के सफर के बाद 25 जनवरी 2024 को अभिजीत मुहूर्त में यहां स्वर्ण कलश की स्थापना हुई। इतना ही नहीं 108 कुण्डीय श्री हनुमन्त महायज्ञ के लिये अयोध्याधाम में बनी यज्ञशाला की तर्ज पर ही वहां के ही यज्ञ शिल्पियों ने मन्दसौर यज्ञशाला का निर्माण भी किया था और पूरा महोत्सव राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध भी हुआ। देश विदेश के अनेक श्रद्धालुओं ने वर्चुअल जुड़कर स्वर्णकलश आरोहण व महायज्ञ में सहभागिता की म
इस बार शनिवार को हनुमान जयंती पर लगातार भजन कीर्तन , सुन्दरकाण्ड व रामायण पाठ , हवन पूजन निरंतर विद्वान आचार्य डॉ देवेंद्र शास्त्री के निर्देशन में चल रहा है । शनिवार को सामुहिक हवन पूजन की पूर्णाहुति बाद महाआरती सम्पन्न होगी । अंतरराष्ट्रीय मानस कथा प्रवक्ता आचार्य श्री रामानुज जी ( राजकोट गुजरात ) विशेष रूप से सानिध्य प्रदान करेंगे ।
मंदिर परिसर एवं गर्भगृह में आकर्षक विद्युत सज्जा भी की गई है