
29 अक्टूबर, वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर विशेष- ब्रेन स्ट्रोक- स्वस्थ जीवनशैली से ही जीवन बचेगा

डॉ बी आर नलवाया – शिक्षाविद एवं स्तंभकार
_(प्रस्तुति डॉ घनश्याम बटवाल मंदसौर)_
प्रतिदिन शाम सुबह यहां वहां ऐसी सूचनाएं मिल रही है कि सहसा विश्वास ही नहीं होता, जबकि यह रोज़ हमारे – आपके पास घट रहा है। बुजुर्गों, महिलाओं, पुरुषों में ही नहीं इन दिनों तो युवा वर्ग भी आकस्मिक रूप से ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आ रहा है। चिंता की बात तो है पर यह अपनी अस्तव्यस्त जिंदगी और जीवनशैली की आपाधापी को प्रतिबिंबित करता है । मतलब , थोड़ी सी सावधानी जीवन भर बचाव।
वर्ल्ड स्ट्रोक दिवस पर स्वयं अवलोकन करने का अवसर है । देखा जाय तो
युवकों सहित उम्रदराज लोगों में खानपान की गलत आदतों और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां वर्तमान में बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनती जारही है। जरा सी सावधानी और जागरुकता से ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन अटैक से बचा जा सकता है। स्ट्रोक या ब्रेन अटैक की स्थिति में मरीज को तुरन्त इमरजेंसी केयर की जरूरत होती है। बेहतर यही है कि स्वस्थ रहते ही इससे बचे रहने के लिए सही जीवन शैली अपनाई जाए और लक्षण देखने पर विशेषज्ञ डॉक्टर से सहायता तुरंत ली जाए, इसमें देरी न की जाए।
*ब्रेन स्ट्रोक* में यह होता है कि मस्तिष्क में किसी भाग में खून का संचार बाधित हो जाए तो मस्तिष्क के सामान्य कार्यों में बाधा आ आती है। इसी स्थिति का नाम ब्रेन स्ट्रोक है इसमें तुरंत मेडिकल लेने की आवश्यकता है। यह स्पष्ट है कि रक्त संचार में रुकावट आने के कुछ ही समय में मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत् होने लगते हैं। क्योकि उन्हें ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की पूर्ति रुक जाती है। जब मस्तिष्क को रक्त पहुंचाने वाली शिराएँ फट जाती है, तो इसे बेन हेमरेन कहते है। इस वजह से बोलने में बाधा कभी बोलने की क्षमता खो जाती, हाथ या पैर में कमजोरी होनेलगती, शरीर मे एकतरफ सुन्नता आजाती, चलने में बाघा; चक्कर आने, शरीर में असंतुलन, गंभीर मामलों में बेहोशी के लक्षण पनपते हुए दिखते हैं। शरीर में ऐसे लक्षणों की शुरूआत होने के बाद चार घण्टे होने पर इसे विंडो पीरियड कहा गया । इस स्थिति में जल्दी इलाज मिलने से रिकवरी का समय बढ़ता है।
वर्ल्ड स्ट्रोक डे प्रतिवर्ष 29 अक्टूबर, को मनाया जाता है। देश ही नहीं बल्कि विदेश् सहित बढ़ते तनाव, व्यस्त शहरी जीवन शैली, खराब आहार इसके साथ ही व्यायाम या योग पर ध्यान नहीं देना।
इससे 1.5 करोड के करीब लोग प्रतिवर्ष वैश्विक स्तर पर ब्रेन स्ट्रोक के दायरे में आ जाते हैं। देखे तो 20 सेकंड में एक स्ट्रोक अपने स्तर पर हो रहा है। वही 06 व्यक्तियों में 01 एक व्यक्ति जीवन काल में स्ट्रोक में समाहित हो जाता है।
यही नहीं लाखों मरीज़ ब्रेन स्ट्रोक या मस्तिष्क में चोट लगने पर महीनों से कोमा में पड़े हैं और यातना झेल रहे हैं
न्यूरो चिकित्सक की सेवाओं को लेना विवशता है, न्यूरो सर्जरी की आवश्यकता होती है, लंबा इलाज़ चलता रहता है ।
ऐसी विकट स्थिति में यदि व्यक्ति अपने जीवन शैली में बदलाव लाए तो इससे यू बचा जा सकता है कि धुम्रपान बंद कर दे, रक्तचाप नियंत्रित रखे, वजन बढ़ने न दे, नमक की मात्रा कर देने, हेल्दी डाइट ले और नियमित व्यायाम योग करें, ब्लड शुगर नियंत्रित रखे, कोलेस्ट्रॉल को न बढ्ने देवे । मोटापा स्ट्रोक का प्रमुख कारक माना गया है। स्ट्रोक जोखिम कम करने के लिए संतुलित आहार ले, उसमें फल सब्जियां, मोटा अनाज और कम वसा वाले प्रोटीन को शामिल किया जाए। यदि इन बातें का ध्यान रखा गया तो स्ट्रोक का जोखिम कम होता है।
कुछ परिवारों में कम उम्र में दिल का दौरा; स्ट्रोक का इतिहास रहा तो स्पेशलिस्ट डॉक्टर से परामर्श अवश्य लेवे ।यह स्पष्ट है कि कुछ आनुवंशिक कारक भी स्ट्रोक की जोखिम बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वर्ल्ड स्ट्रोक डे मनाने का मुख्य उद्देश्य जन जागृति पैदा की जाना है और जीवन बचाना है ।





