
SPS Officer Amritlal Mina: फर्जी जाति प्रमाणपत्र के चक्रव्यूह से 9 साल बाद बाहर आएंगे AIG अमृतलाल मीणा
भोपाल: पुलिस मुख्यालय में पदस्थ एआईजी अमृत लाल मीणा अब नौ साल बाद फर्जी जाति प्रमाणपत्र के चक्रव्यूह से बाहर आ सकते है। फर्जी जाति प्रमाणपत्र की जांच कर रही राज्य स्तरीय छानबीन समिति अब उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग के एक आदेश का हवाला देते हुए उन्हें इस मामले से बाहर करने की तैयारी में है। भले ही उनका जाति प्रमाणपत्र फर्जी है लेकिन इसके आधार पर वे लंबे समय से शासकीय सेवा करते आ रहे है इसलिए जीएडी के आदेश के तहत उन्हें संरक्षण का लाभ दिया जाएगा और उन पर जाति प्रमाणपत्र बनवाने के मामले में कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी।
राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अमृत लाल मीणा वर्ष 1995-96 में हुई एमपीपीएससी की परीक्षा में डीएसपी के लिए चयनित हुए थे। इस परीक्षा में उन्होंने स्वयं को अनुसूचित जनजाति का होना बताया था। अमृतलाल मीणा ने विदिशा जिले के लटेरी तहसील से से एसटी का प्रमाणपत्र बनवाया था। मीणा जाति ओबीसी के अंतर्गत आती है। 2003 से पहले मीणा जाति को सिंरोंज में एसटी का दर्जा प्राप्त था। इसी का फायदा उठाकर उन्होंने अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र बनवा लिया था। शासकीय सेवा में फर्जी जाति प्रमाणपत्र लगाने की शिकायत के बाद छानबीन समिति ने पूरे मामले की पड़ताल की और अमृतलाल मीणा के जाति प्रमाणपत्र को फर्जी पाया। एआईजी अमृतलाल मीणा वर्ष 2023 में जब ग्वालियर जिले में पदस्थ थे तब उनके खिलाफ विदिशा जिले के आनंदपुर थाने में फर्जी जाति प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी पाने के मामले में केस दर्ज हुआ था। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले अमृतलाल रायसेन जिले में एएसपी थे। उन्होंने लटेरी तहसील से जाति प्रमाण पत्र बनवाया था, जिसमें आनंदपुर थाना क्षेत्र का निवासी होना बताया था। इस कारण लटेरी क्षेत्र के आनंदपुर थाने में उनके खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज हुआ था। फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में साल 2016 में राज्य स्तरीय जांच समिति ने रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इस दौरान कई अधिकारियों पर केस दर्ज हुए थे, लेकिन मीणा तब हाइकोर्ट से स्टे ले आए थे। स्टे की अवधि समाप्त होते ही उनके खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया था। इस पर मीणा फिर स्टे ले आए थे। वर्ष 1999 से लगातार 26 साल से अमृतलाल मीणा सेवा में है बल्कि इस दौरान से पदोन्नति का लाभ भी लेते आ रहे है।
*मीणा जाति को संरक्षण का लाभ लेकर बचेंगे मीणा-*
सामान्य प्रशासन विभाग ने सितंबर 2016 में एक आदेश जारी किया था। जिसके तहत भारत सरकार की अधिसूचना दिनांक 8 जनवरी 2003 के पूर्व तक विदिशा जिले के सिरोंज उपखंड में मीना जाति के जो व्यक्ति आरक्षण का लाभ प्राप्त कर शासकीय सेवा में प्रवेश पा चुके है उन्हें अनुसूचि जनजाति का नहीं माना जाएगा। उनकी सेवा प्रभावित नहीं होगी किन्तु भविष्य में उन्हें अनुसूचित जनजाति का नहीं माना जाएगा और इस तिथि के बाद उन्हें आरक्षण का लाभ भी नहीं दिया जाएगा। राज्य स्तरीय छानबीन समिति सामान्य प्रशासन विभाग के इसी आदेश का लाभ देकर अमृतलाल मीणा को इस मामले में राहत देगी।
*आरटीआई में मिली थी जानकारी-*
मीणा के जाति प्रमाणपत्र को लेकर पिटीशन लगाने वाले सुहाने ने आरटीआई लगाई जिसमें तहसील कार्यालय से उन्हें बताया गया कि अमृतलाल मीणा पुत्र रामदयाल मीणा प्रमौत्र बिहारीलाल मीणा लटेरी के निवासी नहीं है। अमृतलाल मीणा पुत्र रामदयाल मीणा ग्राम हरीच्छा जिला गुना के निवासी है प्रशासन ने भी इसकी पुष्टि की थी। तहसीलदारों का भी कहना था कि वे लटेरी के निवासी नहीं है। उन दिनों मध्यप्रदेश के केवल सिरोंज अनुविभाग में मीणा जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा मिला था शेष मध्यप्रदेश में कहीं भी यह दर्जा नहीं था।
*आईपीएस प्रमोशन भी अटका-*
राज्य पुलिस सेवा के पांच अधिकारियों को भारतीय पुलिस सेवा में प्रमोट करने के लिए 12 सितंबर को मंत्रालय में विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक हुई थी। इस बैठक में भी पीएचक्यू में पदस्थ एआईजी अमृत लाल मीणा की फर्जी जाति प्रमाणपत्र के मामले में जांच चलने के कारण प्रमोशन अटक गया था।





