श्रीधरन ने अपनी सफलता का सारा श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दिया

मेट्रोमैन श्रीधरन सेवा संगम आयोजन समिति के अध्यक्ष होंगे

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श्रीधरन ने अपनी सफलता का सारा श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दिया

नई दिल्ली। मेट्रोमैन डॉ.ए.एस.ई श्रीधरन सेवा संगम 2023 की आयोजन समिति के अध्यक्ष के रूप में 1001 सदस्यों वाली आयोजन समिति का नेतृत्व करेंगे।

इस अवसर पर डॉ. ई श्रीधरन ने जारी संदेश में कहा कि “मैंने कई तकनीकि परियोजनाएं शुरू की हैं और उन्हें राष्ट्र को समर्पित किया है, लेकिन यह पहली बार है जब मुझे इस तरह के एक मिशन को लेने के लिए इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। जब मैं छोटा था, तब मुझे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में काम करने का सौभाग्य मिला, लेकिन 1941 के बाद से, मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सक्रिय नहीं रह पाया, क्योंकि 1941 के अंत में मैंने पेशेवर जीवन में प्रवेश किया।उन्होंने कहा कि उन्हें अपने जीवन की सारी चारित्रिक पवित्रता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से ही मिली है।

उन्होंने कहा, अगर संघ और सेवा भारती मेरे पीछे हैं तो मैं कुछ भी आसानी से कर सकता हूं। अगर हम ईश्वर के प्रति समर्पण के रूप में कुछ भी करते हैं , तो सफलता की गारंटी है।” उन्होंने बताया कि यही मेरी सारी सफलता का आधार भी है।

समय के बेहद पाबंद हैं श्रीधरन

12 जून 1932 को केरल में जन्मे ई श्रीधरन भारत के एक प्रख्यात सिविल इंजीनियर हैं। वे 1995 से 2012 तक दिल्ली मेट्रो के निदेशक रहे। उन्हें भारत के ”मेट्रो मैन” के रूप में भी जाना जाता है। भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म श्री तथा 2008 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया।

ई श्रीधरन ने बहुत कम समय के भीतर दिल्ली मेट्रो के निर्माण का कार्य किसी सपने की तरह बेहद कुशलता और श्रेष्ठता के साथ पूरा कर दिखाया था। देश के अन्य कई शहरों में भी मेट्रो सेवा शुरू करने की तैयारी है, जिसमें श्रीधरन की मेधा, योजना और कार्यप्रणाली ही मुख्य निर्धारक कारक होंगे। केरलवासी श्रीधरन की कार्यशैली की सबसे बड़ी खासियत है एक निश्चित योजना के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर काम को पूरा कर दिखाना। समय के बेहद पाबंद श्रीधरन की इसी कार्यशैली ने भारत में सार्वजनिक परिवहन का चेहरा ही बदल दिया। 1963 में रामेश्वरम और तमिलनाडु को आपस में जोड़ने वाला पम्बन पुल टूट गया था। रेलवे ने उसके पुनर्निर्माण के लिए छह महीने का लक्ष्य तय किया, लेकिन उस क्षेत्र के प्रभारी ने यह अवधि तीन महीने कर दी और जिम्मेदारी उत्साही श्रीधरन को सौंपी गई। श्रीधरन ने यह काम मात्र 45 दिनों के भीतर करके दिखा दिया था। भारत की पहली सर्वाधिक आधुनिक रेलवे सेवा कोंकण रेलवे के पीछे श्रीधरन का प्रखर मस्तिष्क, योजना और कार्यप्रणाली रही है। भारत की पहली मेट्रो सेवा कोलकाता मेट्रो की योजना भी उन्हीं की देन है। आधुनिकता के पहियों पर भारत को चलाने के लिए सबकी उम्मीदें श्रीधरन पर टिकी है। टाइम पत्रिका ने तो उन्हें 2003 में एशिया का हीरो बना दिया।

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Sudesh Gaud
सुदेश गौड़

श्री सुदेश गौड़ मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। वे दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, राष्ट्रीय सहारा सहित देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। वे नवदुनिया भोपाल के संपादक भी रहे हैं। वर्तमान में वे प्रदेश के अग्रणी न्यूज़ पोर्टल मीडिया वाला के नेशनल हेड हैं।