Standard Deduction : वित्त मंत्री ने ये कर दिया तो इनकम टैक्स भरने वालों की बल्ले बल्ले!

इस बजट में 'स्टैंडर्ड टैक्स डिडक्शन' की सीमा बढ़ने के आसार!

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Standard Deduction : वित्त मंत्री ने ये कर दिया तो इनकम टैक्स भरने वालों की बल्ले बल्ले!

Standard Deduction : वित्त मंत्री ने ये कर दिया तो इनकम टैक्स भरने वालों की बल्ले बल्ले!

New Delhi : अगले महीने सरकार का बजट आने वाला है। इस बार का बजट कुछ ख़ास है। क्योंकि, इस साल 9 राज्यों में चुनाव होने वाले है, इसलिए बजट के जरिए सरकार कुछ ऐसी घोषणाएं भी कर सकती है, जो पार्टी के लिए मददगार बने! समझा जा रहा है कि मध्यमवर्ग को लुभाने के लिए इनकम टैक्स भरने वालों को राहत दी जा सकती है। जानकारों का अनुमान है कि वित्त मंत्री इस बार के बजट में 6 घोषणा कर सकती है।

क्या वार्षिक बुनियादी छूट सीमा डबल होगी
अनुमान के मुताबिक सरकार अगले बजट में पुरानी और नई कर व्यवस्था दोनों के तहत वार्षिक बुनियादी छूट सीमा को मौजूदा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर सकती है। 60 साल से कम आयु के टैक्स पेयर के लिए 2.5 लाख रुपए (पुरानी और नई कर व्यवस्था दोनों के तहत) की मौजूदा वार्षिक बुनियादी छूट सीमा वित्त वर्ष 2014-15 से समान है। जीवन की लागत में बढ़ोतरी, महंगाई, इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए जरूरी टैक्सपेयर की संख्या, सरकार द्वारा छोड़े गए कर राजस्व आदि जैसे कई कारकों पर विचार करते हुए इस सीमा पर फिर से विचार किया जा सकता है।

सीमा बढ़ाए जाने के आसार
वित्त वर्ष 2014-15 से आयकर अधिनियम, 1961 (अधिनियम) की धारा 80C के तहत कटौती की सीमा को 1.5 लाख रुपए पर कैप किया गया है। धारा 80C के तहत अधिकांश कटौती करदाताओं को सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF), राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) और सावधि जमा जैसे लंबी अवधि की बचत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जो देश में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए लॉन्ग टर्म फाइनेंस प्रदान करती है। इसके अलावा, करदाता होम लोन चुकाने, स्वयं और आश्रितों के लिए बीमा और बच्चों की पढ़ाई के लिए जरूरी राशि खर्च करते हैं। इसलिए, यह एक उम्मीद है कि कटौती की सीमा को 1.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए किया जा सकता है।

मौजूदा सीमा दुगनी होने की संभावना
फाइनेंशिल ईयर 2018-19 से स्टैंडर्ड डिडक्शन लागू करके टैक्स-फ्री मेडिकल रीइंबर्समेंट और यात्रा भत्ता छूट वापस ले ली गई थी। तब से, जबकि कटौती की मात्रा स्थिर बनी हुई है। मेडिकल खर्च और ईंधन लागत में बढ़ोतरी हुई है। इस प्रकार, मानक कटौती को 50,000 रुपए की मौजूदा सीमा से बढ़ाकर 1 लाख रुपए करने पर विचार करने का एक मेटर है।

मेडिकल खर्च की सीमा बढ़ने की उम्मीद
वर्तमान में, हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए कटौती की सीमा 25,000 रुपये है, जिसमें स्वयं, पति/ पत्नी और बच्चों के लिए चेकअप शामिल है, और माता-पिता के लिए 50,000 रुपये जिनमें से कम से कम एक सीनियर सिटीजन हो। यह देखते हुए कि अस्पताल में भर्ती होने की लागत और मेडिकल खर्च में बढ़ोतरी हुई है। इन सीमाओं को क्रमशः 50,000 रुपये और 1 लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है।

बीस साल बाद क्या बाल शिक्षा भत्ता बढ़ेगा
बाल शिक्षा भत्ता वर्तमान में बच्चों की एजुकेशन और हॉस्टर खर्च के लिए क्रमशः 100 रुपए और 300 रुपए प्रति बच्चा प्रति माह (अधिकतम दो बच्चों तक) की सीमा तक छूट प्राप्त है। छूट की ये रकम करीब दो दशक पहले तय की गई थी। इसलिए, हाल के दिनों में शिक्षा की लागत में बढ़ोतरी को देखते हुए इन छूट की सीमा को क्रमशः कम से कम 1,000 रुपये और 3000 रुपये प्रति बच्चे प्रति माह करने की संभावना है।

होम लोन की ब्याज सीमा बढ़ेगी
होम लोन पर ब्याज के लिए कटौती वर्तमान में 2 लाख रुपए है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी और आवास पर ब्याज के लिए उपलब्ध कटौती को 2 लाख रुपए तक सीमित किए जाने के साथ, होम लोन खरीदारों को नॉन टैक्स कटौती योग्य ब्याज खर्च के मामले में एक चुनौती का सामना करना पड़ता है। उसी को ध्यान में रखते हुए इस कटौती को 2 लाख रुपए की मौजूदा सीमा से बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया जा सकता है। साथ ही नए टैक्स सिस्टम के तहत इस कटौती (खुद की संपत्ति पर होम लोन पर ब्याज) की अनुमति नहीं है। यह देखते हुए कि घर खरीदना एक लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल कमिटमेंट है, इसका मूल्यांकन नई कर व्यवस्था के तहत भी इस कटौती को प्रदान करने के लिए किया जा सकता है।