

Start Taking DNA Samples : मृतकों की पहचान के लिए अहमदाबाद में DNA सेंपल लेना शुरू, जांच के बाद शव परिजनों को सौंपे जाएंगे!
जानिए, क्या होती है DNA सैंपल लेने की प्रक्रिया और कैसे होता है इसका मिलान!
Ahmedabad : गुरुवार को हुए प्लेन क्रैश में अब तक 265 लोगों के शव बरामद कर लिए गए। इनमें से 241 मृतक विमान में सवार पैसेंजर्स और क्रू मेंबर्स थे। 5 मृतक उस मेडिकल हॉस्टल के हैं, जहां प्लेन क्रैश हुआ था। प्लेन क्रैश में मारे गए लोगों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट लिए जा रहे हैं। प्लेन क्रैश साइट पर NSG की टीम जांच के लिए पहुंच गई है।
डीएनए टेस्ट का कारण यह कि सभी यात्रियों के शव इतनी बुरी तरह जल गए हैं कि उनकी पहचान करना मुश्किल है। बताया गया कि हज़ार से ज्यादा डीएनए टेस्ट करने पड़ेंगे। ये टेस्ट शुरू भी कर दिए गए। मृतकों के परिजन पहुंचने भी लगे। डीएनए सैंपल लेने की प्रक्रिया भी जल्द पूरी हो जाएगी। इसके बाद शव परिजनों को सौंपे जाएंगे।
क्यों और क्या होता है डीएनए टेस्ट
डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (डीएनए) टेस्ट एक साइंटिफिक टेक्नीक है, जो किसी शख्स के जेनेटिक स्ट्रक्चर की जांच करके उसकी पहचान करती है। दुनिया के हर शख्स का डीएनए अलग होता है और यह कोशिकाओं के नाभिक में पाया जाता है। यह तकनीक विशेष रूप से तब कारगर होती है, जब शवों की पहचान करना बेहद मुश्किल होता है। अहमदाबाद प्लेन हादसे में शव गंभीर रूप से जल गए हैं, जिसके चलते डीएनए टेस्ट ही पहचान का मुख्य जरिया है। डीएनए टेस्टिंग एक मुश्किल, लेकिन व्यवस्थित प्रक्रिया है। इसमें कई स्टेज के तहत जांच की जाती है।
● सैंपल कलेक्शन: डीएनए टेस्ट के लिए सबसे पहले सैंपल लिए जाते हैं। अहमदाबाद प्लेन क्रैश हादसे के बाद गुजरात सरकार ने बीजे मेडिकल कॉलेज में डीएनए के सैंपल रखने की व्यवस्था की है। मृतकों के शवों से हड्डियों, दांत, या टिशूज के सैंपल लिए जाएंगे। इनका मिलान उनके परिजनों जैसे माता-पिता, बच्चे, या भाई-बहन के ब्लड या लार के सैंपल से किया जाएगा।
● शवों से सैंपल कैसे: बुरी तरह जले हुए शवों से डीएनए निकालने के लिए फीमर, ह्यूमरस या रिब जैसी हड्डियों के सैंपल लिए जाते हैं। इसके अलावा दांत या बचे हुए टिशू भी बेहद कारगर होते हैं। दरअसल, हड्डियां और दांत ज्याद अहम होते हैं। क्योंकि, हाई टेंपरेचर पर भी इनमें डीएनए संरक्षित रहता है।
● परिजनों से सैंपल: इसके बाद परिजनों से ब्लड, लार, या गाल की कोशिकाएं (बुक्कल स्वैब) ली जाती हैं। ये नमूने मृतक के डीएनए से मिलान के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।
नमूनों की सफाई और तैयारी
हादसे में जले शवों से डीएनए निकालना मुश्किल होता है। क्योंकि, उच्च तापमान और रसायन डीएनए को नष्ट कर सकते हैं। ऐसे में सैंपल को पहले साफ किया जाता है, जिससे बाहरी प्रदूषक जैसे मलबा या सूक्ष्मजीव हटाए जा सकें। इसके लिए सैंपल को पानी और 100% इथेनॉल से धोया जाता है। हड्डियों और दांतों को पाउडर में पीसने के लिए स्टेराइल यंत्र इस्तेमाल किए जाते हैं।
हड्डियों से भी निकाला जाता है डीएनए
डीएनए लेने के लिए ऑर्गेनिक एक्सट्रैक्शन प्रक्रिया इस्तेमाल की जाती है। इसके तहत सैंपल को रासायनिक घोल में डालकर डीएनए अलग किया जाता है। अहमदाबाद हादसे में शव 1.25 लाख लीटर ईंधन की आग से प्रभावित हुए हैं. ऐसे में डीएनए की क्वालिटी पर असर पड़ सकता है। हालांकि, नई तकनीक जले हुए अवशेषों से डीएनए निकालने में कामयाब होती हैं।
जांच के लिए कितना डीएनए जरूरी
निकाले गए डीएनए की मात्रा और क्वालिटी की जांच रियल-टाइम पीसीआर (पॉलिमरेज चेन रिएक्शन) के माध्यम से की जाती है। ऐसे में सबसे पहले यह सुनिश्चित किया जाता है कि डीएनए जांच के लिए पर्याप्त है या नहीं।