पंचायत चुनाव में उतरे प्रत्याशियों को बीस करोड़ लौटाएगा राज्य निर्वाचन आयोग

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भोपाल: प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भले ही अब निरस्त हो गए हैं, लेकिन अब भी सरकार , राज्य निर्वाचन आयोग और प्रत्याशी इसमें उलझे हुए हैं। पंचायत चुनाव में नामांकन भरने वाले दो लाख 15 हजार 35 अभ्यर्थियों द्वारा जमा की गई बीस करोड़ रुपए से अधिक की जमानत राशि अब राज्य निर्वाचन आयोग को वापस करना पड़ रहा है। वहीं उधारी लेकर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को भी इसकी वापसी से जूझना पड़ रहा है।

प्रदेश में पंचायत चुनाव ऐसे समय निरस्त किया गया है जब पहले चरण के मतदान के लिए महज नौ दिन का समय ही रह गया था। इसकी वजह से अब पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल कर चुके करीब 2.15 लाख उम्मीदवारों की फीस वापसी की कवायद करनी पड़ रही है। 21 नवंबर से शुरू हुई चुनावी प्रक्रिया के बाद पहले दो चरण के मतदान की तैयारी पूरी की जा चुकी थी।

चुनाव निरस्त होने तक जिला और जनपद सदस्य, सरपंच और पंच के लिए 2 लाख 15 हजार 35 आवेदन मिले थे, जिनमें एसटी, एससी, ओबीसी और महिलाओं के लिए नामांकन के साथ जमानत राशि के रूप में आधी फीस जमा करना थी, जिनकी संख्या 78 हजार के करीब थी। इसके अलावा करीब 1 लाख 37 हजार अनारक्षित उम्मीदवारों ने पूरी फीस जमा की थी। इन उम्मीदवारों से जमानत राशि करीब 20 करोड़ रुपए जमा हुई थी, जो अब वापस की जा रही है।

किस पद के लिए कितने आवेदन- प्रदेश में जिला पंचायत सदस्य के लिए 3 हजार 541 आवेदन आए थे। वहीं जनपद पंचायत सदस्य के पद के लिए 14 हजार 814 नामांकन पत्र जमा हुए थे। सरपंच पद के लिए 60 हजार 415 नामांकन जमा हुए थे और पंच पद के लिए एक लाख 36 हजार 265 नामांकन पत्र जमा किए गए थे।जो कुल दो लाख 15 हजार 35 नामांकन पत्र जमा हुए थे उनमें एक लाख 8 हजार 780 पुरुष और 1 लाख 6 हजार 253 महिला तथा दो अन्य उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र जमा किए थे।

किस पद के लिए कितनी जमानत राशि- पंचायत चुनाव के दौरान जिला पंचायत सदस्य के लिए 8 हजार, जनपद पंचायत सदस्य के लिए 4 हजार , सरपंच पद के लिए 2 हजार और पंच पद के लिए चार सौ रुपए की जमानत राशि जमा की था। यह जमानत राशि सामान्य वर्ग के लिए थी। अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आधी जमानत राशि जमा कराई गई थी।

उधार लेकर चुनाव लड़ रहे थे उम्मीदवार-
पंचायत चुनाव निरस्त होंने के बाद सर्वाधिक दिक्कत में वे उम्मीदवार आ गए है जिन्होंने चुनाव लड़ने के लिए उधारी कर डाली थी या अपने जमीन-मकान बेचकर रकम का इंतजाम किया था। अब इन उम्मीदवारों को उधारी की रकम वापसी की मशक्कत करना पड़ रहा है तो वहीं जमीन-सम्पत्ति बेचने वाले परेशान हो गए है।

प्रचार-प्रसार, प्रचार सामग्री, सामूहिक भोज, बैनर, पोस्टर, पर्चे छपवाने, प्रचार के लिए वाहनों के इंतजाम और कार्यकर्ताओं के भोजन, नाश्ते, परिवहन और अन्य खर्चो के इंतजाम में भारी भरकम राशि उम्मीदवार खर्च कर चुके है। चूंकि इन चुनावों में खर्च के लिए कोई सीमा नहीं है और चुनाव जीतने के लिए धनाड्य उम्मीदवार तो मोटी रकम खर्च कर चुके है।