शिवराज सरकार (Shivraj Government) के निशाने पर राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह

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शिवराज सरकार (Shivraj Government) के निशाने पर राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह

अब यह तय हो गया है कि राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह पूरी तरह शिवराज सरकार के निशाने पर आ गये हैं। नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में हुआ कम मतदान भाजपा के लिए नुकसानदायक माना जा रहा है। कम मतदान के लिए भाजपा संगठन चुनाव आयोग को जिम्मेदार मान रहा है। इसके अलावा भाजपा प्रतिनिधि मंडल के साथ चुनाव आयुक्त का व्यवहार भी आपत्तिजनक माना जा रहा है जिसमें आयोग ने अपनी भूल स्वीकार करने के बजाय इसके लिए भाजपा सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। मुखबिर का कहना है कि भाजपा संगठन के साथ साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी चुनाव आयुक्त की कार्यशैली व व्यवहार से खासे नाराज हैं। भाजपा के कई नेता तो खासगी ट्रस्ट की फाइलें तलाशने में लग गए हैं।

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पूर्व मुख्य सचिव का वोट आम आदमी पार्टी को!

मप्र के एक पूर्व मुख्य सचिव के मतदान का किस्सा आजकल चटकारे लेकर सुनाया जा रहा है। इस अधिकारी पर अहसान भाजपा व कांग्रेस ने किया, लेकिन इन्होंने महापौर के लिए वोट आम आदमी पार्टी को दिया है। शिवराज सिंह चौहान ने इन्हें मुख्य सचिव बनाया और कमलनाथ ने महत्वपूर्ण पद पर बिठाया। इस सप्ताह यह नगरीय निकाय चुनाव के लिए वोट डालने गए तो मशीन का बटन दबा रह गया। उन्होंने पीठासीन अधिकारी को हड़काया तो वह दौड़कर उनके पास पहुंच गया। उसने देखा कि साहब ने महापौर के लिए वोट आप आदमी पार्टी को दिया है। मशीन तो ठीक हो गई, लेकिन यह राज की बात बाहर आ गई कि साहब न भाजपा के हैं और न कांग्रेस के!

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RTI की 55 अपीलें एक झटके में रद्द

मप्र के सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने इस सप्ताह सूचना के अधिकार के लिए एक जिले से एक ही व्यक्ति जहूर खान द्वारा की गईं 55 द्वितीय अपीलों को एक ही दिन में सुनवाई करके रद्द कर दी हैं। उन्होंने इस संबंध में एसडीएम के प्रथम अपील के निर्णय को भी रद्द कर दिया है। मामला बहुत रोचक है। बड़वानी जिले के एक कथित आरटीआई कार्यकर्ता जहूर खान ने जिले की लगभग सभी राशन दूकानों की जानकारी आरटीआई में मांगी थी। मनमाफिक जानकारी न मिलने से जहूर खान ने एसडीएम के यहां प्रथम अपील की। अधिकांश अपीलों में एसडीएम ने जानकारी देने के आदेश दिए। फिर भी जानकारी न मिलने पर जहूर खान ने द्वितीय अपील सूचना आयोग में की। सूचना आयुक्त तिवारी का मानना है कि बेहिसाब जानकारी के एक जैसे आवेदन छाया प्रतियों की तरह सरकारी दफ्तरों में वितरित कर देना किसी लोकहित का सूचक नहीं है। उन्होंने सभी 55 मामलों की एकसाथ सुनवाई कर सभी अपीलें खारिज कर दी हैं। उनका यह फैसला आरटीआई के लिए नजीर बन सकता है।

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कानून की फर्जी डिग्री वालों को बचाने की कवायद!

नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी (एनएलआईयू) भोपाल में चर्चा है कि फर्जी डिग्री कांड के आरोपियों को बचाने के गंभीर प्रयास शुरू हो गए हैं। इस संबंध में जस्टिस अभय गोहिल द्वारा की गई जांच को अस्पष्ट मानते हुए नये सिरे से जांच कराने पर विचार किया जा रहा है। मुखबिर का कहना है कि यह खबर छपने के कुछ देर बाद ही एलएनआईयू कार्य परिषद की बैठक में निर्णय कर सकता है। एनएलआईयू भोपाल के कम से कम 200 छात्रों पर संदेह है कि उन्होंने संस्थान के कुछ स्टाफ सदस्यों की मदद से वर्षों से धोखाधड़ी से अपनी डिग्री प्राप्त की है। जस्टिस अभय गोहिल ने वर्ष 2018 में जांच कर अपनी रिपोर्ट में 80 छात्रों को संदिग्ध मानकर तीखी टिप्पणियां की थीं। एलएनआईयू बीते चार साल से इस रिपोर्ट की समीक्षा करता रहा। संस्थान ने संदिग्धों के खिलाफ एक्शन लेने के बजाय जस्टिस अभय गोहिल की रिपोर्ट को अस्पष्ट मानकर नये सिरे से जांच आयोग गठित करने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इस पर आज ही निर्णय होने की संभावना है।

एक और पत्रकार ने शादी कर चौंकाया!

ग्वालियर के एक और पत्रकार ने अचानक शादी कर चौंका दिया है। दैनिक भास्कर के तेजतर्रार पत्रकार कौशल मुदगल ने सोशल मीडिया पर घोषणा कर दी है कि उन्होंने अपनी विधवा भाभी से कोर्ट मैरिज कर ली है। कौशल के इस फैसले की काफी तारीफ इसलिए हो रही है कि उन्होंने यह फैसला अपने बड़े भाई संजीव मुदगल की निशानी उनकी बेटी नव्या के भविष्य को संभारने के लिए किया है। 2016 में भाई के अचानक निधन के बाद कौशल ही उनके परिवार की देखरेख कर रहे थे। पारिवारिक जिम्मेदारी के कारण कौशल स्वयं परिवार नहीं बसा पाये थे। इस सप्ताह उन्होंने भाभी पूनम और कोर्ट मैरिज के प्रमाणपत्र के साथ फोटो शेयर करते हुए भाभी से शादी की घोषणा कर दी है। इसके पहले ग्वालियर के ही पत्रकार राकेश पाठक ने अपनी पत्नी के निधन के बाद मप्र केडर की आईएएस शैलजा मार्टिन से विवाह करके सभी को चौंका दिया था।

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नेता पुत्रों की नजर जूनियर मलैया पर

मप्र के उन भाजपा नेताओं के पुत्रों की नजर सिद्धार्थ मलैया पर लगी हुई हैं जो भाजपा में टिकट के लिए कतार में लगे हुए हैं। सिद्धार्थ मलैया इन नेता पुत्रों के लिए बड़ा उदाहरण बन सकते हैं। दरअसल मप्र भाजपा के दिग्गज नेता व पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया भाजपा से विधायक का टिकट चाहते थे। भाजपा ने टिकट देने के बजाय उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया। सिद्धार्थ और उनके सैकड़ों समर्थकों ने भाजपा छोड़कर पर टीम सिद्धार्थ मलैया (टीएसएम) बनाकर दमोह नगर पालिका के लगभग सभी वार्डों में प्रत्याशी उतारे हैं। दावा किया जा रहा है कि इस चुनाव में भाजपा से ज्यादा पार्षद टीम सिद्धार्थ मलैया के जीतेंगे। यदि ऐसा हुआ तो मप्र भाजपा में नेता पुत्रों के लिए सिद्धार्थ आईकाॅन हो सकते हैं। यह भी चर्चा है कि सिद्धार्थ के बाद अगला नम्बर गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव का है। अभिषेक भी काफी सक्रिय हैं। अगले विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे भी सिद्धार्थ की तरह बागी हो सकते हैं।

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नेताओं के चुंगल में पुलिस!

मप्र पुलिस पूरी तरह मंत्रियों, भाजपा सांसद, विधायकों व नेताओं के चुंगल में फंस चुकी है। इससे आम जनता काफी परेशान और शिवराज सरकार से खफा है। यह बात पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव के दौरान भाजपा संगठन को महसूस हो रही है। मप्र के रीवा शहडोल जबलपुर व ग्वालियर चंबल संभाग में हालात यह बन गए हैं कि अधिकांश थाने भाजपा नेताओं की मर्जी के अनुसार चल रहे हैं। किसकी शिकायत दर्ज होगी, किसकी नहीं…किसे गिरफ्तार किया जाएगा और किसे छोड़ा जाएगा यह सब नेता तय कर रहे हैं। नेताओं के संरक्षण में जुआ सट्टा और अवैध शराब व अवैध उत्खनन का कारोबार चरम पर है। नेताओं व पुलिस के आंतक के डर से बेशक आम आदमी खामोश है, लेकिन इन चुनावों में जनता का गुस्सा साफ महसूस किया जा रहा है। चर्चा है कि चुनाव परिणाम के बाद भाजपा संगठन इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने पर विचार करेगा।