कंगना’ और ‘पंकजा’ के बीच बंटा-कटा ‘योगी’ का बयान…

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‘कंगना’ और ‘पंकजा’ के बीच बंटा-कटा ‘योगी’ का बयान…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

कहते हैं कि बंदूक से निकली गोली और जुबान से निकली बोली वापस नहीं आती। योगी आदित्यनाथ के बयान “बंटोगे तो कटोगे” के साथ महाराष्ट्र में यही हो रहा है। इस बयान को लेकर एक हुई “महायुति” भी दो गुटों में बंटी नजर आने लगी है। पहले पंकजा ने योगी के बयान की खिलाफत की, तो योगीमय होकर अब कंगना ने कमान संभाल ली है। कहते हैं कि ‘डिवाइड एंड रूल’ यानि ‘बांटो और राज करो’ अंग्रेजों की नीति थी। इसके दम पर उन्होंने भारतीय राजाओं के बीच फूट डालकर सफलतापूर्वक सदियों तक राज किया था। और यह भी कहते हैं कि महमूद गजनवी हो, मुहम्मद गौरी हो, दिल्ली सल्तनत या मुगलराज हो, सभी ने भारतीय राजाओं में वैमनस्यता फैलाकर या फूट डालकर अपना उल्लू सीधा किया और भारत को गुलाम बनाया था। पर महाराष्ट्र चुनाव के संदर्भ में योगी का ‘बंटोगे तो कटोगे’ फार्मूला भरे चुनावों के बीच फड़फड़ा रहा है। पंकजा मुंडे ने इसे नकार दिया है, तो कंगना ने अब योगी सुर में शक्ति भरने की ठान ली है। दो देवियों के बीच योगी का बयान पेंडुलम बन महाराष्ट्र में सत्ता योग साधने का प्रयास कर रहा है। फैसला 23 नवंबर को है और परिणाम में योगी की यह आहुति ही महायुति की किस्मत संवारने और बिगाड़ने में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने वाली है।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होने हैं। राज्य में चुनाव प्रचार तेजी से चल रहा है। इस बीच, सीएम योगी आदित्यनाथ के ‘बंटोगे तो कटोगे’ बयान यानि योगी सुर पर कंगना रनौत ने स्वर साधा है। हिमाचल प्रदेश के मंडी से बीजेपी सांसद और एक्ट्रेस कंगना रनौत ने नागपुर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा, ”यह एकता का आह्वान है। हम बचपन से ही पढ़ते आ रहे हैं कि एकता ही हमारी शक्ति है। जब तक हम एक हैं, तब तक नेक हैं। जब हम बंटेंगे तो कटेंगे। परिवार में भी हम यही कहते हैं कि परिवार साथ में होना चाहिए। उसी तरह देश भी एक साथ में होना चाहिए। हमारी पार्टी एक सनातनी पार्टी है। हमारी पार्टी पीओके को भी साथ लेना चाहती है और विपक्ष की बांटने की साजिश नाकाम हो रही है।”

तो दूसरी तरफ पंकजा मुंडे ने कहा था कि एक नेता का काम इस धरती पर रहने वाले हर व्यक्ति को अपना बनाना है। इसलिए हमें महाराष्ट्र में इस तरह का कोई मुद्दा लाने की जरूरत नहीं है। पंकजा मुंडे ने कहा, “सच कहूं तो मेरी राजनीति अलग है। मैं सिर्फ इसलिए इसका समर्थन नहीं करूंगी क्योंकि मैं उसी पार्टी से हूं। मेरा मानना है कि हमें सिर्फ विकास पर काम करना चाहिए। एक नेता का काम इस धरती पर रहने वाले हर व्यक्ति को अपना बनाना है। इसलिए हमें महाराष्ट्र में इस तरह का कोई मुद्दा लाने की जरूरत नहीं है।”

दरअसल पूरा खेल हिंदुत्व और हिंदू मतों का है। और पार्टी के हित में कंगना ने सुर साधकर तेज किया हो या फिर पंकजा का सुर धीमा पड़ा हो, पर यह युति महा-विवाद में उलझ गई है। बीजेपी के सहयोगी अजित पवार और बीजेपी नेता पंकजा मुंडे ने इससे किनारा कर लिया था, तो सीएम एकनाथ शिंदे भी दूर-दूर दिखाई दिए हैं। फडणवीस की सफाई कि इस नारे से दूरी बनाने वाले नेता नारे का मतलब समझ नहीं पाए…भी सबको साधने में सफल नजर नहीं आ रही है। अंतर नकारात्मक और सकारात्मक भाव का है। एक तरफ सीएम योगी ने ‘बंटोगे तो कटोगे’ का नारा नकारात्मक सोच से दिया है, तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी ने सकारात्मक भाव में ‘एक हैं तो सेफ हैं’ नारे संग योगी का समर्थन किया है। बात कितनी बन पाती है, यह एक सप्ताह में सब साफ हो जाएगा। पर फिलहाल ‘कंगना’ और ‘पंकजा’ के बीच बंटा-कटा ‘योगी’ का ‘बंटोगे तो कटोगे’ बयान कभी खुशी और कभी गम मनाता नजर आ रहा है.

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