पेपरलेस विधानसभा की ओर बढ़ते कदम… अगले सत्र में मिलेगी मंजिल…

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पेपरलेस विधानसभा की ओर बढ़ते कदम… अगले सत्र में मिलेगी मंजिल…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

मध्य प्रदेश विधानसभा पेपरलेस होने की दिशा में मंजिल की तरफ लगातार कदम बढ़ा रही है। ई-विधान के तहत मध्य प्रदेश विधानसभा को पेपरलेस कर देश की दूसरी विधानसभाओं को राह दिखाना, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की प्राथमिकता है। इसी क्रम में मध्य प्रदेश विधानसभा की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है।विधानसभा को पेपरलेस करने की दिशा में एनआईसी के हिस्से का थोड़ा सा काम बाकी है, बस मध्य प्रदेश विधानसभा के पेपरलेस होने में उतना ही इंतजार बाकी है। इसलिए उम्मीद है कि अगला विधानसभा सत्र पेपरलेस ही होगा। वहीं मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य भी पेपरलेस होने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो गए हैं। इस विधानसभा सत्र में ही 60 फीसदी से ज्यादा प्रश्न ऑनलाइन दर्ज हुए हैं। ऐसे में अगले सत्र तक विधायकों का ऑनलाइन परफॉर्मेंस 100 फीसदी तक पहुंचाने के प्रयास में विधानसभा को पूर्ण सफलता मिल सकती है।

मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 28 जुलाई 2025 से शुरू होगा। यह सत्र 8 अगस्त तक चलेगा। सत्र में कुल 10 बैठकें होंगी। सरकार इस सत्र में पहला अनुपूरक बजट भी लाएगी। बजट को सदन से मंजूरी दिलाई जाएगी। अब तक विधानसभा सचिवालय को तारांकित 1718 और अतारांकित 1659 प्रश्न यानि कुल 3377 प्रश्न प्राप्त हुए हैं। इनमें से इस बार दो हजार से अधिक प्रश्न सदस्यों ने ऑनलाइन पूछे हैं। यानि पेपरलेस विधानसभा होने की दिशा में एक बड़ा कदम यह है कि 60 फीसदी से अधिक सदस्यों ने ऑनलाइन प्रश्न पूछे हैं। इसके अतिरिक्त 226 ध्यानाकर्षण, एक स्थगन प्रस्ताव, 23 अशासकीय संकल्प, 65 शून्यकाल की सूचनाएं तथा एक नियम 139 की सूचना भी प्राप्त हुई है। सरकार की ओर से तीन विधेयक भी प्रस्तुत किए जाएंगे।

विधानसभा के मानसून सत्र में इस बार एक अहम बदलाव बैठक व्यवस्था में देखने को मिलेगा। भारतीय जनता पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष और बैतूल से विधायक हेमंत खंडेलवाल की विधानसभा में सीट अब बदल दी गई है। हेमंत खंडेलवाल अब विधानसभा में पहली पंक्ति में 46 नंबर सीट पर बैठे नजर आएंगे। यह बदलाव उनकी नई जिम्मेदारी और भाजपा संगठन के मुखिया के नाते किया गया है। अगर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी विधानसभा चुनाव न हारे होते और विधानसभा सदस्य होते तब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, दोनों उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सदन में पहली पंक्ति में बैठे नजर आते। यह एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता। खैर यह तो फिलहाल एक कल्पना ही है।

वहीं विधानसभा सचिवालय ने सत्र के पहले यह अहम निर्देश जारी किया है कि विधानसभा परिसर में किसी प्रकार की नारेबाजी या प्रदर्शन पर सख्त प्रतिबंध है। साथ ही, सदस्यों को चेताया गया है कि वे बिना अनुमति पत्र वाले किसी भी व्यक्ति को अपने साथ वाहन में या पैदल परिसर और सदन की लॉबी में साथ न लाएं। हालांकि यह आदेश कोई नया नहीं है और विधानसभा परिसर में नारेबाजी या प्रदर्शन पहले भी होते रहे हैं और अब भी होते रहेंगे। विधानसभा अध्यक्ष भी इस मामले में उदारता का परिचय देते रहे हैं और आगे भी उदारता का यह क्रम जारी रहने की पूरी संभावना है। विपक्ष भी इसे संवैधानिक तौर पर अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार मानता है।

तो विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल बिजली, महंगाई, भ्रष्टाचार, कानून व्यवस्था, अपराध, तबादला नीति और किसानों की समस्याओं जैसे मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। वहीं सत्ता पक्ष ने भी योजनाओं और उपलब्धियों के साथ जवाब देने की रणनीति तैयार कर ली है। मध्यप्रदेश विधानसभा के सेंट्रल हॉल में जल गंगा संवर्धन अभियान की उपलब्धियों की प्रदर्शनी पहले दिन ही लगाई जाएगी। इसके अलावा औद्योगिक विकास, स्वच्छ मध्यप्रदेश, मेट्रो परियोजना, लाड़ली बहना सहित विरासत के संग विकास पर सत्ता पक्ष मजबूती के साथ विपक्ष को करारा जवाब देगा। पर विधानसभा के मानसून सत्र में सबसे महत्वपूर्ण बात यही है कि नवाचारों को लगातार क्रियान्वित करने वाले विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ई-विधान के तहत मध्य प्रदेश विधानसभा को पेपरलेस करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। और अगले सत्र तक मध्य प्रदेश विधानसभा का पेपरलेस स्वरूप पूरे देश में एक नया संदेश देगा, यह उम्मीद की जा सकती है। पेपरलेस विधानसभा की ओर बढ़ते मध्य प्रदेश विधानसभा के कदम यही कहते नजर आ रहे हैं कि अगले सत्र में विधानसभा पेपरलेस होने की मंजिल तक हर हाल में पहुंचकर रहेगी…।