Story: मन का आश्रम—-

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Story: मन का आश्रम—-

सुषमा व्यास ‘राजनिधि’ इंदौर

पूरे वृद्धाश्रम में संतो बई की चीख पुकार मची हुई थी।
“हऊं नी जाऊंगी इनका साथ। हऊं नी जाऊंगी।” संतों बई का बेटा उनके पैर के पास बैठा हुआ था। बहु हाथ जोड़कर खड़ी हुई थी। दोनों पोते हाथ पकड़ कर उन्हें वापस चलने के लिए बल्कि ले जाने के लिए लगभग खींच रहे थे। संतो बई टस से मस नहीं हो रही थी। आवाज सुनकर वृद्धाश्रम की संचालिका माधुरी जी आ गई।
“क्या हो गया मिश्रा जी, आपकी माताजी नहीं जाना चाहती फिर आप क्यों जिद कर रहे हैं? वह तो कह रही थी कि वह आपके यहां बेहद परेशान थी।”
“यकीन मानिए मैडम हमने बई को कभी दुख नहीं दिया। ना ही कभी परेशान किया। हम तो इनका बहुत ध्यान रखते हैं। मेरी पत्नी, बच्चे हम सब इनसे बहुत प्यार करते हैं। ”
“क्यों संतो बई यह आपके बेटे क्या कह रहे हैं? सच है? ”
“अरे काहे का सच है?इत्तो बड़ो बंगला में म्हारे बड़ों सो कमरों दई दियो। सगली सुविधा उका म रखी दी । मोटा गद्दा होन पे म्हारे नींद नी आवे। हऊं कई काम नी करी सकती। सब चीज ना नौकर हाथ म दई दे । बेटो रोज शाम के आई ने म्हारा से प्यार से बात करे। पोता होन ना भी परेशान नी करे। या बहू तो म्हारा से लडाई भी नी करे। म्हारो तो जी घबराये। ये सब तो अपनो अपनो काम करे। हऊं बोर हुई जाऊं। या बहू किटी पार्टी करे। ईकी घणी सारी सहेली होन। म्हारे भी सहेली होन चईये थी। टीवी पर तमारो वृद्धाश्रम देख्यो। सब हंसी बोली रया था, लड़ी भी रया था, कैरम, अष्ट चंग पे और ताश खेली रया था। हऊं भी सहेली बनान अरू पार्टी करना वास्ते चली आई। अब हऊं नी जाऊं। म्हारे अईं घनो मजो आई रयो ह।” यह सुनकर सभी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।

Water problem was happening in Mhow's old ashram, when the information  came, teacher Manju didi got boring done | नेक पहल: महू के वृद्ध आश्रम में  हो रही थी पानी की दिक्कत,

वृद्धाश्रम में रहने वाले कर्नल सुधाकर बोले–” यह पहला केस देखा कि लड़ने और पार्टी करने के लिए कोई वृद्धाश्रम में आकर रहना चाहता है।
संतु बई काश सबके पास ऐसा परिवार होता ।
“इन्हें अभी घर ले जाइए मिश्रा जी। जब भी इनका मन हो इन्हें थोड़े दिन के लिए यहां छोड़ जाया करना , लड़ने और किटी पार्टी करने के लिए”हंसकर माधुरी जी ने कहा।
” लेकिन एक शर्त पर” मिश्रा जी बोले।
क्या शर्त है?
“कभी-कभी आप सबको भी किटी पार्टी करने और लड़ने हमारे घर कुछ दिन आकर रहना होगा मंजूर है? ”
“हां हां मंजूर है ,मंजूर है वृद्धाश्रम के सभी सदस्य जोर-जोर से हंसते हुए चहक उठे।

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सुषमा व्यास ‘राजनिधि’ इंदौर

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