Story of Information At Midnight: आधी रात की जानकारी की पूरी कथा
ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड लॉयड जॉर्ज ने लगभग सौ साल पहले कहा था -यदि दुनिया के लोग यह जान जाये कि उनके हुक्मरान कितने कम अक़्ल हैं तो सारे संसार में एक ही दिन में क्रान्ति हो जायेगी.शुक्र है कि लोग अपने हुक्मरानों के बारे में खुश फ़हमियों के घेरे में हैं और संसार टिका हुआ है .
हमारे आज के क़िस्से के नायक भी नारायण नहीं नर हैं याने अपने वही मालगाड़ी वाले कमिश्नर साहब। बहादुर का यह क़िस्सा भी कम मशहूर नहीं .
हुआ यों कि मालवा के सबसे मालामाल ज़िले के गुणवंत कलेक्टर के प्रति खिन्नता जताने के लिए भरी बैठक में उन्होंने फ़रमाया कि आपके ज़िले से मौसम की जानकारी नहीं आती . सकपकाये कलेक्टर ने पूछा -सर कृपया स्पष्ट बतायें कब नहीं आई ? आयुक्त महोदय ने कहा -परसों पानी आँधी आया आपने बताया क्या ? सॉरी सर आगे ध्यान रखूँगा -डीएम ने शिष्टता बनाये रखी .आयुक्त संतुष्ट हुए .बैठक संपन्न हुई .
डीएम सोचते रहे कि एक ही ज़िले में एक ही इलाक़े में रहते हुए भी आँधी पानी की सूचना देने का प्रावधान कहाँ है और औचित्य भी क्या है ? मन ही मन उन्होंने वरिष्ठ के आदेश के पालन का दृढ़ संकल्प ले लिया .कुछ दिनों बाद संभाग भर के कुशल क्षेम का बोझ उठाये आयुक्त महोदय गहरी निद्रा के सबल आग़ोश में थे तब मध्य रात्रि के बाद उनका फ़ोन टन टना उठा .घर भर की नींद खुल गई .अलसाये साहब बहादुर की नींद छोड़कर उठे कि क्या माजरा है ? फ़ोन उठाया हेलो किया तो दूसरी ओर डीएम थे .क्या बात है,क्या हुआ ?
सर बारिश हो रही है आपका हुकुम था सो जानकारी दे रहा हूँ .आज आँधी नहीं है सर केवल पानी है .
चकराये आयुक्त महोदय -ओके अब सो जाओ भाई के अलावा कुछ न कह सके .विनम्र और शिष्ट डीएम ने Yes Sir कहा और इस तरह वरिष्ठ के आदेश पालन की परंपरा सुदृढ़ रही आई.