सेरामपुर ( श्रीरामपुर ) का विचित्र इतिहास!
एन के त्रिपाठी
चित्र में गंगा नदी के दूसरे (पश्चिमी) तट पर सेरामपुर (श्रीरामपुर ) है। यह जिला हुगली, पश्चिम बंगाल में है। लेकिन यह कलकत्ता महानगरीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है। मैंने इसका भ्रमण किया।
सेरामपुर का एक विचित्र इतिहास है। १४वीं और १५वीं शताब्दी के दौरान यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार का केंद्र था। भारतीय कपास, तेल, चीनी और मसालों को शप्तग्राम ( सेरामपुर के पास के गांव) से बर्मा, सुमात्रा, जावा, मलय प्रायद्वीप, चीन, फारस, और अरब दुनिया में निर्यात किया जाता था। यूरोपीय व्यापारिक कंपनियां भारत के लिए एक समुद्री मार्ग की तलाश में थीं। खोज के बाद, पुर्तगाली सबसे पहले 1500 के प्रारम्भ में बंगाल आए। उनके बाद डच, फ्रांसीसी, ब्रिटिश, डेनिश, और अन्य यूरोपीय व्यापारिक कंपनियां आईं। यूरोपीय लोगों ने मुगलों के साथ समझौते करके गंगा के तट पर अपने-अपने व्यापारिक उपनिवेश स्थापित किए। डेनिश (डेनमार्क) व्यापारिक कंपनी ने 1698 में सेरामपुर में अपना पहला स्टेशन स्थापित किया। हालांकि, डेनिश लोग शीघ्र ही स्थानीय अधिकारियों के लिए समस्याएं उत्पन्न करने लगे। व्यापार के अतिरिक्त वे समुद्री डकैती करने, स्थानीय जहाजों को लूटने और चालक दल को गुलामों के रूप में बेचने लगे। इसके परिणामस्वरूप, डेनिश लोगों को बंगाल छोड़ने के लिए विवश कर दिया गया। डेनिश एशियाटिक कंपनी पुन: 1755 में सेरामपुर लौटी। कंपनी के प्रतिनिधियों ने बंगाल के मुगल सूबेदार के साथ एक नए समझौता किया जिसके अनुसार वे सेरामपुर में बस सकते थे, बशर्ते वे व्यापार पर करों का भुगतान करें। 1777 में, सेरामपुर का प्रशासन डेनिश एशियाटिक कंपनी से डेनिश सम्राट को स्थानांतरित कर दिया गया।शीघ्र ही ब्रिटेन बंगाल और भारत में प्रमुख शक्ति के रूप में उभर गया। ब्रिटिश दबाव के कारण डेनमार्क ने में 1845 में सेरामपुर को ब्रिटिश को बेच दिया। (अब, ट्रम्प डेनमार्क को ग्रीनलैंड बेचने के लिए कह रहे हैं )
सेरामपुर एक सांस्कृतिक और औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित होने लगा। नदी के किनारे समानांतर मुख्य सड़क पर यूरोपीय लोगों ने अपने सुंदर भवन बनाए। डेनिश गवर्नमेंट हाउस और संग्रहालय उस समय की प्रमुख यादें हैं। शहर अब बाजारों, दुकानों और रेस्तरां के साथ एक आधुनिक वाणिज्यिक शहर बन गया है। शासकीय कार्यालय और न्यायालय अभी भी डेनिश द्वारा स्थापित ऐतिहासिक भवनों में स्थित हैं।
भारत का इतिहास उतना ही विविध है जितना कि आप कल्पना कर सकते हैं।