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भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और मध्यप्रदेश के विशेष संदर्भ में कुशाभाऊ ठाकरे और विजयाराजे सिंधिया को याद किया जाता है…तो अब 21 वीं सदी में भाजपा के भविष्य को उर्वर बनाए रखने के लिए किए गए प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी और उनके सखा अमित शाह को याद रखा जाएगा। भाजपा को आगामी समय में मजबूत बनाए रखने के लिए दो दाढ़ी शब्द से मशहूर यह दिग्गज कठोर फैसले लेकर यह साबित कर रहे हैं।
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और दो मंत्र भाजपा को सतत मजबूती के नए शिखर तक पहुंचाना और परिवारवाद से परहेज सफलता के महामंत्र साबित होंगे। विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय के संगठन को समर्पित पिता कैलाश विजयवर्गीय ने यह दोनों बातें साझा कर प्रदेश के राजनैतिक क्षितिज पर छाए भाजपा के दिग्गज नेताओं को साफ इशारा कर दिया है। इशारों को अगर नेता समझ लेंगे, तो अपने पुत्रों की महत्वाकांक्षाओं को पार्टी की सोच में ढालने में कतई परहेज नहीं करेंगे। और यदि मोह और माया ने मजबूर किया तो भी इशारा काफी है कि जहां राह मिले, वहां चाहत को परवान चढ़ाने की आजादी है। गोवा में मनोहर पर्रिकर के बेटे का मामला हो या मध्यप्रदेश में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष-सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे की बात हो…चाहे फिर अन्य दर्जनों उदाहरण हों, दृश्य बहुत साफ है कि परिवारवाद कुबूल नहीं हैं।
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मोदी खुद ऐसे तनावों से मुक्त हैं, शाह ने बेटे को मनमाफिक कैरियर बनाने की छूट दे ही दी है। बाकी नेता भी अपनी हैसियत के मुताबिक अपने पुत्र-पुत्रियों को उनके मनपसंद कैरियर को चुनने में मददगार साबित हो सकते हैं, पर दो दाढ़ी के रहते राजनीति में दो पीढ़ी संग-संग परचम फहराने का सपना न देखें और बाद में भी दूसरी पीढ़ी का सदस्य इस मुगालते में कदापि न रहे कि उत्तराधिकार में राजनीतिक विरासत मिल ही जाएगी। कैडर बेस पार्टी संघ की सीख पर इन मूलमंत्रों को अमलीजामा पहना रही है या फिर भविष्य में भाजपा को बचाने की दूरदर्शिता में यही विकल्प बचे हैं, जिन पर अमल करना मजबूरी है और जरूरी है।
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पार्टी की मजबूती के लिए भाजपा लगातार कठिन परिश्रम कर रही है और विपक्षी दलों को आइना भी दिखा रही है। मध्यप्रदेश में भाजपा मिशन-2023 मोड में आ चुकी है। बूथवार, पन्नावार और संगठनात्मक तौर पर चरैवेति का जो दृश्य दिख रहा है, वह विपक्षी दल को आइना दिखा रहा है। 2022 के मई महीने में प्रदेश भाजपा कार्यालय जिलेवार और विधानसभावार स्थितियों पर गहन दृष्टि डाल रहा है और रणनीति बनाने में मशगूल है। मुरली, शिवराज, विष्णुदत्त संग चर्चा करने वाले संगठन के सदस्यों की कवायद का एक ही लक्ष्य है कि मिशन-2023 को सुपर हिट बनाकर ही दम लेंगे। कभी अटल तो कभी कुशाभाऊ ठाकरे के नाम पर कार्यकर्ताओं को लगातार व्यायाम करवाया जा रहा है, तो अब केंद्र की मोदी सरकार के आठ साल के पूरा होने पर कार्यकर्ता मैदान में नजर आएंगे।
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और अब बात करें परिवारवाद की, तो यह बात कैलाश विजयवर्गीय बता रहे हैं तो भाजपा के बाकी दिग्गज भी समझ गए होंगे कि दाल अब गलने वाली नहीं है। ऐसे में बेहतर है कि पार्टी की मजबूती के नाम पर त्याग-समर्पण का जो जीवन जिया है, उसे ही जारी रखना एकमात्र विकल्प है। या फिर चाह के मुताबिक राह खोजी जाए। क्योंकि संगठन की मजबूती और परिवारवाद से किनारा, चाहे संघ की सीख पर अमल हो या पार्टी का फैसला…भाजपा को बचाने का ठोस सहारा है…।
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कौशल किशोर चतुर्वेदी
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।
इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।