Success Story : छोटी सी लैब को अंतर्राष्ट्रीय बनाने के जुनून की कहानी!

'मेट्रोपोलिस' आज 9 हज़ार करोड़ की कंपनी, 7 देशों में 171 लैब्स!

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Success Story : छोटी सी लैब को अंतर्राष्ट्रीय बनाने के जुनून की कहानी!

New Delhi : पहली भारतीय अंतरराष्ट्रीय पैथोलॉजी लैब ‘मेट्रोपोलिस’ की आधारशिला रखने वाली अमीरा शाह की कारोबारी सफलता अपने आप में अनूठी है। उन्होंने बता दिया कि भविष्य की सोच, कड़ी मेहनत और ईमानदारी से किसी भी कारोबार को कैसे बुलंदियों पर पहुंचा सकती है, इसका जीता जागता उदाहरण है अमीरा शाह की कंपनी ”मेट्रोपोलिस।’
अमीरा ने अपने पिता की एक कमरे में चलने वाली पैथोलॉजी लैब को आज 7 देशों में पहुंचा दिया। जहां कंपनी की 171 लैब्स काम कर रही हैं। अमेरिका की टेक्सास यूनिवर्सिटी से फाइनेंस में ग्रेजुएशन करने वाली अमीरा के माता-पिता दोनों ही डॉक्टर हैं। उनके पिता डॉ सुशील शाह ‘पहले ‘डॉ सुशील शाह लेबोरेटरी’ नाम से एक पैथोलॉजी लेबोरेटरी चलाते थे।
बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के फाउंडर और नोबेल पुरसकार विजेता मुहम्मद यूनुस से प्रभावित अमीरा ने 2001 में अमेरिका से भारत लौटने के बाद अपने पिता के लैबोरेटरी बिजनेस को आगे बढ़ाने की ठानी। उनका मकसद पैथोलॉजी लैब्स की पूरे देश में चेन तैयार करना था। आज वो अपने इस मकसद में कामयाब हो गई। ‘मेट्रोपोलिस’ एक लिस्टेड कंपनी है, जिसका वैल्यूएशन लगभग 1.12 अरब डॉलर यानी करीब 9 हजार करोड़ रुपए है। ‘मेट्रोपोलिस’ 2019 में शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुई थी।

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अमीरा की सफलता का राज
अमीरा शाह के मुताबिक, लैब्‍स के कस्टमर का भरोसा हासिल करना काफी चुनौतीपूर्ण काम था। इसलिए डॉक्टर्स और पेशेंट्स के बीच सिम्पेथी, इंटेग्रिटी और एक्यूरेसी पर फोकस किया गया। शुरुआत में हमारे पास मजबूत मेडिकल टीम थी, लेकिन सेल्स, मार्केटिंग और परचेजिंग टीम कमजोर थी। इस कमी को दूर किया गया। हमारे साथ जुड़े लोग मेडिकल बैकग्राउंड से थे और वे बिजनेस के दृष्टिकोण से कम सोच पाते थे। धीरे-धीरे उन्हें बिजनेस के लिहाज से भी सोचने और योजना बनाने के लिए प्रेरित किया गया। इससे न केवल बिजनेस तेजी से बढ़ा, बल्कि कस्‍टमर्स का भरोसा भी बढ़ता गया।

पहली सैलरी 15 हजार
अमीरा शाह ने अपने पिताजी के साथ मिलकर 2.5 करोड़ रुपए से मेट्रोपोलिस की शुरुआत की थी। शुरुआत में जितना मुनाफा होता, उसे वापस मेट्रोपोलिस के विस्तार में ही लगाया जाता। शुरुआत में अमीरा का वेतन अपनी ही कंपनी में 15 हजार रुपये महीना था। अमीरा का कहना है कि वह और उनके पिता डॉ सुशील शाह कंपनी से केवल वेतन ही लेते रहे हैं। उन्होंने और कुछ नहीं लिया। 2021 तक मेट्रोपोलिस से हुए लाभ को कभी अन्‍य कार्यों के लिए उपयोग में नहीं लिया।