Sulakshana Pandit : एक मधुर आवाज़ और संवेदनशील अदाकारा की विदाई

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Sulakshana Pandit : एक मधुर आवाज़ और संवेदनशील अदाकारा की विदाई

– राजेश जयंत

Mumbai: फिल्म जगत से जुड़ी एक दुखद खबर ने संगीत और सिनेमा प्रेमियों को भावुक कर दिया है। प्रसिद्ध गायिका और अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित का 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह बीते कई वर्षों से अस्वस्थ चल रही थीं और मंगलवार को मुंबई में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से भारतीय फिल्म और संगीत जगत ने एक ऐसी प्रतिभा को खो दिया है, जिसने अपने सुरों और संवेदनशील अभिनय से सत्तर और अस्सी के दशक के दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी थी।

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*संगीत परिवार में जन्म*

सुलक्षणा पंडित का जन्म 12 नवंबर 1954 को एक संगीतप्रधान परिवार में हुआ था। वह मशहूर संगीतकार पंडित जसराज की भतीजी और प्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी जतीन-ललित की बहन थीं। संगीत उनके जीवन का स्वाभाविक हिस्सा था और यही वातावरण उन्हें बचपन से ही सुरों की साधना की ओर ले गया। उनकी मधुर आवाज़ और पारंपरिक संगीत की समझ ने उन्हें जल्द ही फिल्म जगत में पहचान दिलाई।

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*सुरों की दुनिया में पहचान*

उन्होंने playback singer के रूप में अपने करियर की शुरुआत सत्तर के दशक में की। उनकी पहली बड़ी सफलता फिल्म ‘उलझन’ (1975) से मिली, जिसमें उन्होंने किशोर कुमार के साथ गाया गीत “आ गई है खुशियों की बहार” बहुत लोकप्रिय हुआ। इसके बाद उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में अपनी आवाज़ दी जिनमें ‘करोड़पति’, ‘किताब’, ‘फिर वही रात’, ‘संकट’, और ‘सावन को आने दो’ जैसी फिल्में शामिल हैं। उनका गाया गीत “तू ही सागर है तू ही किनारा” आज भी श्रोताओं के दिलों में बसा हुआ है।

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*अभिनय की दुनिया में सादगी*

सुलक्षणा पंडित केवल गायिका ही नहीं, बल्कि एक सधी हुई अभिनेत्री भी थीं। उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत संजीव कुमार के साथ फिल्म “उलझन” से की और बाद में राजेश खन्ना, जीतेंद्र, शशि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा, और विनोद खन्ना जैसे सितारों के साथ काम किया। उनकी फिल्मों में मासूमियत, संवेदना और सादगी का एक विशेष सम्मिश्रण देखने को मिलता था। फिल्म “फिर वही रात” में राकेश रोशन के साथ उनका अभिनय विशेष रूप से सराहा गया।

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*संयम और संवेदनशीलता का प्रतीक*

अपने करियर के शिखर पर भी सुलक्षणना पंडित हमेशा एक संयमी और पारिवारिक व्यक्तित्व के रूप में जानी जाती रहीं। उन्होंने कभी ग्लैमर की चकाचौंध को अपने स्वभाव पर हावी नहीं होने दिया। संगीतकार लता मंगेशकर और आशा भोसले जैसी दिग्गजों के बीच भी उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। उनका गायन पारंपरिकता और आधुनिकता के बीच एक सुंदर संतुलन का उदाहरण था।

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*संघर्ष और एकाकीपन*

कहा जाता है कि सुलक्षणा पंडित का व्यक्तिगत जीवन उतना सहज नहीं रहा। प्रेम और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच उन्होंने कई कठिन दौर देखे। धीरे-धीरे उन्होंने सार्वजनिक जीवन से दूरी बना ली। पिछले दो दशकों से वह मुंबई में अपेक्षाकृत एकांत जीवन जी रही थीं। परिवार के अनुसार, बीते कुछ वर्षों से वह अस्वस्थ थीं और उनकी तबीयत लगातार गिरती जा रही थी।

*परिवार और फिल्म जगत की श्रद्धांजलि*

संगीत और फिल्म जगत के लोगों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। संगीतकार ललित पंडित ने कहा कि “दीदी हमारे परिवार की आत्मा थीं। उन्होंने हमें संगीत सिखाया, अनुशासन सिखाया और संवेदनशील होना सिखाया।” वहीं, फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई कलाकारों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान को याद किया।

*अमर रहेंगे उनके गीत*

सुलक्षणा पंडित का जीवन एक ऐसी यात्रा थी जिसमें संगीत, समर्पण और संवेदना के साथ-साथ संघर्ष और एकाकीपन के रंग भी शामिल थे। उन्होंने अपने करियर में भले ही सीमित समय तक काम किया हो, लेकिन उनके गीत आज भी पीढ़ियों को जोड़ते हैं। उनकी आवाज़ में एक ऐसी मिठास थी जो सीधे दिल में उतर जाती थी।

उनके कुछ यादगार गीत आज भी रेडियो और संगीत चैनलों पर बार-बार बजते हैं, जैसे “बेचारी दिल की तस्लीम कीजिए”, “दिल को खुश करने वाले”, और “सजना है मुझे सजना के लिए”। इन गीतों में उनकी भावनात्मक अभिव्यक्ति और स्वच्छ गायकी का सुंदर मेल दिखाई देता है।

*सुरों की विरासत हमेशा जीवित रहेगी*

सुलक्षणा पंडित का नाम भले ही अब फिल्मों के नए दौर में कम सुनाई देता हो, लेकिन उनका योगदान अमर है। उन्होंने उस दौर में महिला गायिकाओं के बीच अपनी विशिष्ट पहचान बनाई जब प्रतिस्पर्धा अपने चरम पर थी। उन्होंने यह साबित किया कि सच्ची कला केवल प्रसिद्धि से नहीं, बल्कि समर्पण और भाव से पहचानी जाती है।

आज जब हम सुलक्षणा पंडित को विदाई दे रहे हैं, तो यह केवल एक कलाकार का नहीं, बल्कि एक पूरे युग का विदा लेना है। वह उन विरल कलाकारों में थीं जिन्होंने अपने सुरों और सरलता से भारतीय फिल्म संगीत को और समृद्ध बनाया। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है कि कठिनाइयों के बावजूद कला और सच्चाई का रास्ता कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

सुलक्षणा पंडित अब भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके सुर, उनके गीत और उनकी मुस्कान सदा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।

🌷सादर श्रद्धांजलि🌷

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