रविवारीय गपशप: राज बब्बर का वो फिल्मी अंदाज और गर्मजोशी से मिलने का अभिनय

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रविवारीय गपशप: राज बब्बर का वो फिल्मी अंदाज और गर्मजोशी से मिलने का अभिनय

 

हर बार की तरह इस संसद में भी फ़िल्मी दुनिया की लोकप्रिय हस्तियाँ सांसद के रूप में चुनी गई हैं । एक तरफ़ कँगना रनाउत जैसी ग्लैमर क्वीन हैं , तो दूसरी ओर स्वप्न सुंदरी हेमा मालिनी , रामायण के राम गोविल तो भोजपुरी सुपरस्टार मनोज तिवारी । दक्षिण से मलयालम सिनेमा के सितारे गोपी समेत ये सभी स्टार बीजेपी से आये तो टीएमसी से शत्रुघ्न सिन्हा समेत अनेक सितारे संसद में अपनी उपस्थिति देंगे । भारतीय जनमानस में फ़िल्मों कि प्रभाव इतना गहरा है , की जब ये अभिनेता- अभिनेत्री जनता के बीच जाते हैं तो इनके दीवाने उस समय भी इनसे यही अपेक्षा रखते हैं कि वे फ़िल्मी डायलॉग बोलें । ये और बात है कि सेल्यूलाइड के इन सितारों का वास्तविक जीवन में कार्य- व्यवहार अन्य राजनेताओं की तुलना में बड़ा अलग रहता है ।

अभिनेता से नेता बने ऐसी ही एक शख़्सियत से हुई दिलचस्प मुलाक़ात का क़िस्सा मुझे याद आ रहा है । राज बब्बर का बॉलीवुड की दुनिया में चाकलेटी खलनायक के रूप में प्रवेश हुआ था , हालाँकि उनकी पहली फ़िल्म थी क़िस्सा कुर्सी का लेकिन उनकी कीर्ति की पताका लहराई फ़िल्म इंसाफ़ के तराज़ू से जो बी.आर. चोपड़ा ने बनाई थी और इस फ़िल्म में उनका नामांकन फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड के लिए चला गया । उनके पहले फ़िल्मी दुनिया में विलेन का रूप विन्यास ऐसा था कि शक्ल देखते ही लग जाता था की ये फ़िल्म का विलेन है , लेकिन राज बब्बर ने हिरोनुमा विलेन के रूप में एंट्री ली थी । नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के छात्र रहे “राज़” खलनायक के रूप में भी लोगों को लुभाते रहे और उनके अभिनय की अदायगी और चाकलेटी छवि के चलते लड़कियाँ उनकी ग़ज़ब की दिवानी थीं |

राज बब्बर की इस धमाकेदार शुरुआत के बाद उनके पास फ़िल्मों की क़तार लग गयी , और जैसा कि हर सितारे के साथ होता है , वे बहुत जल्द खलनायकी के किरदार को छोड़ नायक के रूप में फ़िल्मों में आने लगे । कॉलेज के दिनों से ही छात्र राजनीति के बीज ने उन्हें फ़िल्मों की रंगीली दुनिया से जल्द ही राजनीतिक गलियारे में खींच लिया | दक्षिण में तो अनेक सितारे ऐसे रहे हैं जो फ़िल्मों के साथ साथ राजनीति में भी हिट रहे हैं , पर उत्तर भारत से आई फ़िल्मी हस्तियों में राज बब्बर जैसे कम ही सितारे हैं , जिन्होंने फ़िल्मों के साथ साथ राजनीति में भी सफल पारियाँ खेली हैं । सन 1989 में व्ही.पी.सिंह की आभा से प्रभावित होकर जनता दल में शामिल होने के बाद जल्द ही वे मुलायम सिंह जी की समाजवादी पार्टी में आ गए और इसी पार्टी से वे राज्यसभा और लोक सभा के सदस्य रहे | कुछ वर्षों बाद उनकी वहाँ बनी नहीं और वे कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर पुनः सांसद बने । बाद के वर्षों में अपने कुछ बेतुके बयानों से उन्होंने आलोचनाएँ भी झेलीं और शनैः शनैः उनकी लोकप्रियता का ग्राफ़ गिरता ही गया ।

संयोग से मेरी राज बब्बर से मुलाक़ात उन दिनों में हुई जब वे राजनीति में प्रवेश कर चुके थे और आगरा से सांसद थे । हुआ कुछ यूँ की मेरी पदस्थापना उन दिनों ग्वालियर में भू अभिलेख विभाग में थी । वर्ष 2003 के दौरान का वाक़या है तब राज बब्बर राजनीति में प्रवेश कर समाजवादी पार्टी के चमकदार सितारे बन चुके थे । ग्वालियर के एक परिचित सज्जन राज बब्बर से मिलने आगरा जा रहे थे । मुझे अपने किसी निजी काम से आगरा जाना था तो रास्ते के साथ और फ़्री की लिफ़्ट के मोह से मैं उन सज्जन के साथ आगरा चला गया । आगरा जाकर जब उन्होंने कहा कि राज बब्बर से पहले मिल लें फिर आपको वहाँ छोड़ देंगे जहाँ आपको काम है तो मैं मना न कर सका । हम सुबह सुबह नौ बजे के आसपास राज बब्बर के बँगले पहुँच गए , उनके सेक्रेटरी ने हमें बाहरी बैठक में बैठा दिया और कहा की राज साहब उठ कर अपने दैनिक कार्यों से निवृत होकर अभी नीचे आते हैं । हम नीचे बैठ गये , और प्रतीक्षा करने लगे , और फिर खबरें आती रहीं कि साहब अभी नाश्ता कर रहे हैं , अभी योगा , अभी पेपर देख रहे हैं । ऊपरी माले से ख़बर आती रही और मेरा मित्र मुझे दिलासा देता रहा कि बस दस मिनट की बात है और दस-दस मिनट होते दोपहर के दो बज गए । मेरा समय हो रहा था और मैं कहने ही वाला था कि भाई मैं टेक्सी लेकर चला जाता हूँ , तभी राज बब्बर सीढ़ियों से नीचे उतरते दिखे | नीचे आते ही मेरा मित्र लपक कर उनसे मिला और उन्हें शिकायती लहजे में बताया कि इतनी देर से हम आपका इन्तज़ार कर रहे हैं और आप अब आ रहे हैं । राज बब्बर ने अपने सेक्रेटरी की ओर घूम कर उसे डाँटा “ तुमने मुझे बताया क्यों नहीं कि ये मिलने आया है , आइन्दा ध्यान रखना ये आएँ तो तुरंत मिलाना “। इसके बाद जब मेरा परिचय कराया गया तो मुझसे तो ऐसे मिले जैसे बरसों के परिचित हों । मैं समझ गया , राजनीति में भी अभिनेता अपना अभिनय का अन्दाज़ नहीं छोड़ते हैं और इसलिए सफल रहते हैं।