रविवारीय गपशप: जब कलेक्टर के सपने में आए हनुमान जी

1084

रविवारीय गपशप: जब कलेक्टर के सपने में आए हनुमान जी

आनंद शर्मा

वैसे तो ये हमेशा का सिद्धांत है कि साधन और साध्य दोनों ही सही होने चाहिये पर प्रशासन में कभी कभी सही काम को करने के टेढ़े तरीक़े आजमाने पड़ते हैं । बात बड़ी पुरानी है तब मैं उज्जैन में कमिश्नर नगर निगम हुआ करता था और उज्जैन विकास प्राधिकरण के सी.ई.ओ. हुआ करते थे श्री विनोद शर्मा । विनोद शर्मा ने उज्जैन विकास प्राधिकरण में बड़ी महत्वपूर्ण योजनाओं को अंजाम दिया है , और प्राधिकरण की एक ऐसी छवि निर्मित की है कि शासन की सभी निर्माण एजेंसियों में यदि चुनने का मौका आए तो लोग सबसे ज़्यादा भरोसा उज्जैन विकास प्राधिकरण पर करेंगे । उन दिनों उज्जैन के कलेक्टर हुआ करते थे , श्री सी.पी. अरोरा , जो फौजी पृष्ठभूमि के अधिकारी थे । अरोरा साहब का शासकीय योजनाओं का क्रियान्वयन करने वाले अधिकारियों पर बड़ा वरदहस्त रहा करता था , सही कम करने वाले बंदे को जरूरत पड़ने पर वे आधी रात को भी मदद को तैयार रहा करते थे ।

एक दिन जिले में प्रति सप्ताह होने वाली टाइम लिमिट की बैठक में विनोद शर्मा जी ने एक समस्या बतायी कि प्राधिकरण की एक महत्वपूर्ण योजना के खाली पड़े लेकिन बेशकीमती प्लाट पर किसी शरारती तत्व ने कब्ज़ा करने की नियत से एक पत्थर रख उसे लाल रंग से रंग दिया है और ईंट पत्थर जैसी निर्माण सामग्री से चबूतरा बनाने का काम चालू करवा रहा है । कलेक्टर ने मुझे फौरन नगर निगम का अतिक्रमण विरोधी दस्ता भेजने को कहा । निगम के अधिकारियों ने जब मौके पर उस अतिक्रमणकार को बुला कर अतिक्रमण हटाने को कहा तो वो कहने लगा कि उसे रात में देवी जी ने स्वप्न में कहा है कि यहाँ मेरी स्थापना करो , इसलिए चबूतरा बना रहा हूँ । इस बीच कुछ व्यर्थ के तमाशाइयों की भीड़ भी बढ़ने लगी तो निगम के अधिकारियों ने सोचा बाद में पुलिस बल के साथ आना ही ठीक होगा । निगम और प्राधिकरण के अधिकारियों ने जो मौके से वापस आकर हमें जो स्थिति बतायी उसे हमने अरोरा साहब को बताया , उन्होंने ध्यान से सुना फिर कहा पता करो ये अतिक्रामक बंदा कहाँ रहता है ? हमने पता लगा के बताया कि इसी मोहल्ले में थोड़ी दुरी पे उनका मकान है , अरोरा साहब बोले “ एक ट्राली में रेत ईंट और गिट्टी भर के कल सुबह इसके घर के दरवाजे पे पटकवा दो । हमने वैसा ही किया जैसा कलेक्टर ने कहा था । उधर सुबह उठ कर जब उस बंदे ने घर के सामने ये माज़रा देखा तो वो बौखला गया । पहले तो वो नगर निगम के अधिकारियों से उलझा पर जब उसे पता लगा कि ये सामान तो कलेक्टर ने डलवाया है तो वो हड़बड़ाया । नगर निगम वालों ने सामान भी ऐसा डाला था कि दरवाजे से बमुश्किल निकलना हो पाये । हम सभी थोड़ी दूरी पर ही खड़े थे , तभी वो बन्दा हड़बड़ा कर भागा भागा आया और हमारे पास आकर कलेक्टर से कहने लगा “सर ये सब क्या करा रहे हैं ? “ अरोरा साहब बोले “कुछ नहीं भाई मुझे हनुमान जी ने कल रात सपने में में आदेश दिया है कि तुम्हारे दरवाजे के ठीक सामने मंदिर बनाऊं , इसलिए ये सामान डाला है “। उसने कहा अरे ऐसा भी होता है क्या , ऐसा आप कैसे कर सकते हो ? इससे तो मेरा घर से निकलना ही बंद हो जायेगा । अरोरा साहब बोले “ जब तुम सपने में दिए आदेश से प्राधिकरण के प्लॉट पर चबूतरा बना सकते हो , तो मैं ऐसा क्यों नहीं कर सकता ? उसे एक पल में समझ में आ गया कि दांव उल्टा पड़ गया है । उस बंदे ने तुरंत माफ़ी मांगी और प्राधिकरण के प्लॉट से अतिक्रमण भी अपने आप हटा लिया ।