रविवारीय गपशप: जब कलेक्टर ने सांसद के बंगले पर मुख्यमंत्री के साथ चाय का निमंत्रण अस्वीकारा

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रविवारीय गपशप: जब कलेक्टर ने सांसद के बंगले पर मुख्यमंत्री के साथ चाय का निमंत्रण अस्वीकारा

आनंद शर्मा

पिछले दिनों प्रदेश के एक जिले में कलेक्टर और एस.पी. के मंत्री जी के साथ जन्मदिन मनाने को लेकर वायरल हुई तस्वीरों को सोशल मीडिया पर बड़ी चर्चा मिली । जिला हो या प्रदेश , प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों पर ढेरों निगाहें होती हैं और उनकी जरा सी चूक भी चर्चा का विषय बन जाती है । दरअसल सार्वजनिक जीवन में निष्पक्ष आचरण का बड़ा महत्व होता है , जो ना केवल होना चाहिए बल्कि दिखना भी चाहिए । इसी विषय से जुड़ी कुछ पुरानी घटनाओं को आपके साथ साझा कर रहा हूँ जो नौकरी के शैशवावस्था में ही मुझे सबक के रूप में प्राप्त हो गईं थीं । परिवीक्षा काल में ही मैं राजनांदगांव जिले की डोंगरगढ़ तहसील का अनुविभागीय अधिकारी हो गया था । डोंगरगढ़ दो कारणों से बड़ी महत्वपूर्ण जगह थी , एक तो ये कि वहाँ माँ बगुलामुखी का मंदिर है , जिसे अपभ्रंशित रूप में बमलाई या बम्लेश्वरी देवी कहते हैं और दूसरा राजनांदगांव के तत्कालीन सांसद श्री शिवेंद्र बहादुर सिंह का वहाँ निवास था । शिवेंद्र बहादुर भारत के प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी जी के दून स्कूल के सहपाठी थे , सो प्रदेश में उनका अलग ही स्थान था । हमारे कलेक्टर अजयनाथ हुआ करते थे । एक दिन की बात है प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री वोरा जी डोंगरगढ़ के दौरे पर आए हुए थे । शासकीय कार्यक्रमों की समाप्ति के बाद सांसद महोदय ने अनुरोध किया कि रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री जी उनके निवास “लालमहल” में चाय पी लें । मुख्यमंत्री जी ने सहमति व्यक्त की और वाहनों का काफिला सांसद के निवास की ओर मुड़ गया । व्ही.आई.पी. के वाहन के अंदर जाने के बाद बाकी गाड़ियाँ बाहर ही रुक गईं , तभी सांसद बाहर आए और कलेक्टर से बोले आप लोग भी अंदर आ कर चाय पियें । मुख्यमंत्री के साथ चाय का ऐसा अवसर भला कौन छोड़ेगा ? पर अजयनाथ जी ने बड़ी विनम्रता से उनके अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कहा “हमें माफ़ करें अभी आप माननीय मुख्यमंत्री जी का ध्यान रखें “ और मुझसे कहा “आनंद आप बाहर ही रहना हम रेस्टहाउस जा रहे हैं जब व्ही.आई.पी. महोदय के रवाना होने का समय हो जाए तो हमें वायरलेस में खबर कर देना । “

डोंगरगढ़ के बाद मेरा तबादला खैरागढ़ एस.डी. एम. के पद पर हो गया , तब तक कलेक्टर के पद पर प्रवेश शर्मा की पोस्टिंग हो चुकी थी । एक दिन की बात है , मैं राजस्व अधिकारियों की मासिक बैठक में भाग लेने के लिए राजनांदगांव आया था । बैठक शुरू ही हुई थी कि कलेक्टर प्रवेश शर्मा ने डोंगरगढ़ एस.डी. एम. से कहा “ कल शाम को मैंने आपको फ़ोन लगाया था , आप कहीं बाहर थे ऐसा आपके बंगले से बताया गया पर आपने लौट कर फ़ोन नहीं किया ये ठीक बात नहीं है , ऐसा क्यों किया ? एस.डी. एम. साहब थोड़ा हड़बड़ाये और बोले सर एम.एल.ए. गीतादेवी ने किसी काम से बुला लिया था इसलिए मैं उनसे मिलने महल में चला गया था , लौटते में देर हो गई तो सोचा कल बैठक में चल ही रहे हैं इसलिए फोन नहीं लगाया । एम.एल.ए. गीतादेवी उन्हीं शिवेंद्र बहादुर की पत्नी थीं जो ख़ुद तो सांसद थे ही पर प्रदेश की राजनीति में भी बड़े प्रभावशाली थे । एस.डी.एम. साहब ने सोचा होगा शायद इतने भारी भरकम नाम सुनकर गलती माफ़ हो जाए , पर जवाब सुनकर प्रवेश शर्मा की त्योरियाँ चढ़ गईं । बोले “ घर ? आप जनप्रतिनिधि के बुलाने पर उनके घर चले गए ये ठीक नहीं है , और हम सब से मुखातिब होकर बोले आप सब भी सुनलें , जनप्रतिनिधि सम्माननीय हैं पर किसी भी काम से उनके घर जाना उचित नहीं है , जब भी कभी ऐसा अवसर आए आप ऐसी मुलाकात रेस्ट हाउस या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान में करेंगे ।