

रविवारीय गपशप : नायब तहसीलदारों की चयन सूची जब अनऑफिशियली करना पड़ी लीक
आनंद शर्मा
व्यवस्था का निर्वहन कठिन चीज है , इसमें कई बार ऐसे अवसर भी आते हैं कि सही काम करने के लिए मर्यादाओं से परे जाकर काम करने पड़ते हैं । इस बात से जुड़ी एक पुरानी घटना याद आ रही है , तब मैं ग्वालियर में आयुक्त भू अभिलेख कार्यालय में संयुक्त आयुक्त के पद पर पदस्थ था । भू अभिलेख , राजस्व विभाग के अधीन आता था और विभाग के प्रमुख थे , श्री सत्यानन्द मिश्र , जो प्रमुख सचिव हुआ करते थे । सत्यानंद मिश्र जी की सरलता , सहजता और ईमानदारी की धाक पूरे प्रदेश में थी । जरूरत पड़ने पर वे बिना हिचक अपने अधीनस्थ किसी भी शख़्स से बात कर लिया करते थे चाहे उसका पद कोई भी हो।
एक बार मैं लंच पर घर गया हुआ था उसी समय मिश्रा जी का फ़ोन आया , स्टेनो ने बताया कि मैं लंच पर हूँ तो उन्होंने कहा ये सेक्शन जो भी देखता हो उससे बात करा दो । मैं वापस आकर ऑफिस में घुसा तो देखा मेरे एक सेक्शन का इंचार्ज राजस्व निरीक्षक फ़ोन पर किसी से बात कर रहा है । उसने फ़ोन का स्पीकर बात ख़त्म करते हुए क्रेडल पर रखा और मेरी तरफ़ देखते हुए मुस्कुरा कर बोला पी.एस. थे ।
सत्यानंद मिश्र जी के कार्यकाल में ही विभाग में लिपिकीय संवर्ग से नायब तहसीलदार के पद पर सीमित प्रतियोगिता परीक्षा के माध्यम से भर्ती का अवसर आया । इस परीक्षा में चयन के लिए लिखित परीक्षा और सेवाकाल में पिछले पाँच वर्षों के गोपनीय चरित्रावली के आधार पर नायब तहसीलदार के पद पर चयन होना था । भर्ती भू अभिलेख विभाग को करानी थी और आयुक्त श्री पुखराज मारू ने इसकी जवाबदारी मुझे सौंप दी । चयन के इंचार्ज बनाने का पत्र लेकर मेरा स्टेनो मेरे पास आया और बोला “साहब पाँच साल पहले राजस्व निरीक्षक से नायब तहसीलदार के पदों की भर्ती के परिणाम अभी तक पूरी तरह जारी नहीं हो पाए हैं और परीक्षा की शिकायतों से लैंड रिकॉर्ड विभाग का एक कमरा भरा हुआ है और अब आपको ये जिम्मेदारी दी गई है तो सम्हल कर रहिएगा”।
भोपाल में प्रमुख सचिव के कक्ष में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि सभी जिला मुख्यालयों से आवेदन भू अभिलेख विभाग में आयेंगे , उनकी स्क्रूटनी के बाद परीक्षा कराने की जबाबदारी व्यावसायिक परीक्षा मण्डल की होगी । परीक्षा जिला मुख्यालय पर कलेक्टरों की निगरानी में आयोजित होना तय हुआ । परीक्षा बड़े साफ़ सुथरे ढंग से सम्पन्न हुई और अब अगला कदम था , लिखित परीक्षा के परिणामों में मिले अंकों में गोपनीय चरित्रावली के अंकों को जोड़ कर मेरिट लिस्ट तैयार करना । मैं अपने विभाग के आयुक्त के साथ भोपाल पहुँचा ताकि आगामी कार्यवाही का मार्गदर्शन प्राप्त हो सके । प्रमुख सचिव से मिले तो उन्होंने ब्रीफिंग के बाद मुझे कहा कि मण्डल से जाकर लिखित परीक्षा के परिणाम ले आओ , फिर गोपनीय अंकों का जोड़ विभाग लेवल पर कर के परिणाम घोषित कर देंगे । मैं व्यावसायिक परीक्षा मण्डल गया तो चेयरमैन साहब ने सूची देने से मना कर दिया और बोले आप लोग सभी प्रतिभागियों के गोपनीय चरित्रावली के अंक हमें लाकर दे दें , चयन सूची तो हमीं बना कर देंगे । मैं उल्टे पाँव लौट कर सत्यानंद जी के पास पहुँचा , मारू साहब भी वहीं बैठे थे । मैंने पूरा वाक़या सुनाया तो सत्यानंद जी उखड़ पड़े , बोले “ भाई उनको क्या मतलब इससे , उन्हें परीक्षा करानी थी , करा दी अब उनका काम ख़त्म हो गया है भला हम ऐसा क्यों करें ? मैंने निवेदन किया कि वे भी वरिष्ठ अधिकारी हैं , आप टेलीफ़ोन पर बात कर लें । मिश्र जी ने फ़ोन लगाया और बड़ी देर बात करने के बाद फ़ोन का रिसीवर रखते हुए बोले “ भाई ये गुप्ता जी तो नहीं मानेंगे नहीं , बहुत ज़िद्दी हैं , हमें ही सेवाकाल के मूल्यांकन अंक सौंपने होगें । सी.एल.आर. ने मेरी तरफ़ देखा और बोले जैसा कहते हैं , वैसा करो । मैंने ग्वालियर से सभी प्रतिभागियों के सेवाकाल के रिकार्ड भोपाल बुलवाए , स्टाफ़ बुलाया और अगले एक सप्ताह तक वल्लभ भवन में बैठ चरित्रवालियों में दिए संसूचकों के निर्धारित अंक बैठ कर उम्मीदवारों के नाम के सामने भरते रहे । प्रमुख सचिव रोज प्रगति की रिपोर्ट लेते , कभी कभी जहां हम काम कर रहे होते , वहां भी आ जाते । एक सप्ताह बाद हमने परीक्षा मण्डल को प्रतिभागियों के नाम और उन्हें प्राप्त अंकों की सूची सौंप दी । अगले ही दिन हमें मेरिट लिस्ट मिल गई । एकदम शुद्ध और साफ़ सुथरे तरीक़े से ये चयन हुआ था , अब घड़ी थी इनके आदेश निकलने की । प्रदेश में चुनाव आने वाले थे , तो प्रमुख सचिव बोले जल्द फ़ाइल तैयार कर अनुमोदन के लिए मंत्री जी के यहाँ भेज देते हैं । हमने सारी तैयारी कर के फाइल भेज दी , पर कई दिनों तक आगे हलचल नहीं हुई । मुझे ये डर था कि यदि चुनाव के पहले आदेश जारी नहीं हुए तो बाद में क्या पता क्या उलझन हो जाए और इतनी मेहनत पर पानी फिर जाए ?
इस बीच मेरे स्टेनो ने एक दिन मुझसे आकर धीमे से कहा “ सर प्रदेश के कुछ बाबू लोग हैं , जो मेरे भी परिचित हैं , वे कह रहे हैं कि उन्हें स्टाफ के लोग भोपाल से फ़ोन कर रहे हैं कि चयन कराना हो तो संपर्क कर लें । मैंने ख़बर अपने सी.एल.आर. को बताई , उन्होंने तुरंत प्रमुख सचिव को फ़ोन लगाया और स्थिति बताते हुए कहा कि अब क्या करें ? प्रमुख सचिव बोले अनऑफ़िशियली लिस्ट लीक कर दो , लोगों को पता चल जाएगा कि उनका नाम ऑलरेडी चयन सूची में है तो कोई काहे को संपर्क करेगा । मैंने अपने विश्वस्त स्टाफ को बिठा कर यही किया। परिणाम स्वरूप लोगों ने ऐसे फोन काल को भाव देना बन्द कर दिया और कुछ दिनों बाद चयन सूची अनुमोदित होकर भी आ गई और शासन से लिपिकीय वर्ग के नायब तहसीलदार पद पर नियुक्ति के आदेश जारी हो गए ।