Sune Kahani-11 : कोविड काल के बाद फिर शुरू हुआ ‘सुनें कहानी’ आयोजन! 

रहमान अब्बास ने कहा 'लेखक को कभी भी सरेंडर नहीं करना चाहिए!' हरीश पाठक ने कहा 'कहानी मेरी नागरिकता, इसी में मन और प्राण!' 

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Sune Kahani-11 : कोविड काल के बाद फिर शुरू हुआ ‘सुनें कहानी’ आयोजन! 

Mumbai : हर कहानी की अपनी किस्मत होती है। वह लोकप्रिय भी हो जाती है और पाठकों का अपार प्यार भी पा सकती है। पर, जरूरत इस बात की है कि कथाकार धैर्य रखे, सब्र करे। लेखक को कभी सरेंडर नहीं करना चाहिए।

यह विचार केंद्रीय साहित्य अकादमी से पुरस्कृत,उर्दू के प्रख्यात उपन्यासकार रहमान अब्बास ने कोविड काल के बाद फिर शुरू हुए कहानियों के अभिनव आयोजन ‘सुनें कहानी-11’ में व्यक्त किए। ‘संवेद’ व ‘सब लोग’ जैसी बहुपठित पत्रिकाओं के संपादक सम्पादक किशन कालजयी ने कहा कि यह कहानी की वापसी का दौर है। कहानी जीवन में वापस आ रही है।

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इस आयोजन के शिल्पकार, कथाकार व पत्रकार हरीश पाठक ने कहा कि कोविड काल के बाद यह पहला और समवेत में 11वां आयोजन है। इसे इस महानगर में खूब प्यार मिलता रहा है। चित्रा मुदगल, ममता कालिया, असगर वजाहत जैसे कालजयी कथाकार इसमें शामिल रहे हैं। कहानी में ही बसते हैं मेरे मन, मेरे प्राण। कहानी ही मेरी नागरिकता है।

इस अवसर पर दुष्यंत की कहानी तीसरे कमरे की छत, पांचवी सीढ़ी और बारहवां सपना का पाठ अभिनेत्री और लेखिका रेखा बब्बल ने किया। इसकी समीक्षा डॉ दिनेश पाठक ने की। मिथिलेश प्रियदर्शी की कहानी ‘भाड़े की गाड़ी और प्यारी दुल्हन’ का पाठ अभिनेता अजय रोहिल्ला ने किया। बाद में इसकी समीक्षा सुदर्शना द्विवेदी ने की। दोनों कथाकारों ने अपनी-अपनी कहानियों पर अपनी बात रखी।

स्वागत भाषण कमलेश पाठक ने और आयोजन का संचालन अरविंद राही ने किया। इस मौके पर कथाकार शिवेंद्र, विमलचंद पांडेय, विभा रानी, रीता राम दास, रवींद्र कात्यायन, अजय ब्रह्मात्मज, डॉ हूबनाथ पांडेय, सतीश पांडेय, डॉ नीलिमा पाण्डेय, कुसुम तिवारी, कुमार पार्थसारथी, आभा दवे, शशि शर्मा, पेटिम चौहान, सरताज मेहंदी, राजेश विक्रांत, राजेश ऋतुपर्ण, शिवदत्त शर्मा, श्रीधर मिश्र, अक्षरा आदि कवि, कथाकार, रंगकर्मी और संस्कृतिप्रेमी उपस्थित थे।