समयबद्धता और सृजन की सीख दे रहा ‘सुनें सुनाएं’!

डेढ़ बरस में ढाई सौ से अधिक रचनाएं पढ़ी गईं! 

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समयबद्धता और सृजन की सीख दे रहा ‘सुनें सुनाएं’!

 

Ratlam : समयबद्धता और सृजन के प्रति रुझान रखने वाले रचना प्रेमियों को एकत्र करने का ‘सुने सुनाएं ‘ एक प्रेरणादायी उदाहरण बन चुका है। इस तरह के प्रयासों से ही किसी शहर के प्राण तत्व को संवर्धित किया जा सकता है। उक्त विचार ‘सुनें सुनाएं’ के अठारहवें सोपान में उभर कर सामने आए।

शहर में रचनात्मक वातावरण बनाने के उद्देश्य से विगत डेढ़ वर्ष से सुनें सुनाएं आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन का अट्ठारहवां सोपान जी.डी.अंकलेसरिया रोटरी क्लब सभागार में हुआ।

 

डेढ़ बरस में इस आयोजन में 180 साथियों ने अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ किया वहीं इस दौरान 250 से अधिक रचनाएं पढ़ी गई। इस आयोजन में कोई अपनी रचना का पाठ नहीं करता है। अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ भी बिना किसी भूमिका के पढ़ी जाती है। यह समय पर शुरू हो कर समय पर समाप्त होने वाला आयोजन हैं।

 

अठारहवें सोपान पर दस रचनाप्रेमियों ने अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ किया। सिद्दीक रतलामी ने ताहिर फराज की रचना ‘दिन वो भी क्या थे’, प्रो.दिनेश राजपुरोहित ने अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की रचना ‘जागो प्यारे’, नरेन्द्र त्रिवेदी ने योगेश की रचना ‘कहां तक ये मन को अंधेरे छलेंगे’,श्रीमती इन्दु सिन्हा ने डॉ.जयकुमार ‘जलज’ की लघुकथा ‘हासिल’, डॉ. मनोहर जैन ने प्रो.जयकिरण जोशी की रचना ‘तुम्हें क्या लेना-देना हैं ‘,श्रीमती अनीता दासानी ने मनु वैशाली की रचना “आंगन तक को श्राप लगेगा” ,डॉ .गीता दुबे ने ‘कहां खो गई वो चिट्ठियां ‘ ,डॉ.कविता सूर्यवंशी ने डॉ. जयकुमार ‘जलज’ की रचना ‘ शिकायत ‘,डॉ.खुशबू जांगलवा डॉ. मुरलीधर चांदनी वाला की रचना ‘कितना भरोसा हैं बहन बेटियों पर’, करणजीत सिंह ने डॉ. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की रचना ‘वरदान मांगूंगा नहीं’ का पाठ किया।

 

*इनकी रहीं उपस्थिति*

आयोजन में ललित चौरडिया, अरविंद कुमार मेहता, जी.के.शर्मा, डॉ अभय पाठक,अशोक कुमार शर्मा, रीता दीक्षित, आई.एल. पुरोहित, प्रकाश मिश्रा, डॉ .खुशालसिंह पुरोहित, अनीस खान, जी.एस.खींची, अलक्षेन्द्र व्यास, विनोद झालानी, डॉ. पूर्णिमा शर्मा, नरेंद्र सिंह पंवार, जितेंद्र सिंह पथिक, पद्माकर पागे, विभा राठौर, कीर्ति कुमार शर्मा, नरेंद्र सिंह डोडिया, सुरेंद्र छाजेड़, सुरेश बरमेचा, श्याम सुंदर भाटी, रणजीत सिंह राठौर, संजय परसाई ‘सरल’, सुशीला कोठारी, योगिता राजपुरोहित, रजनी व्यास, डॉ. गोविंद प्रसाद डबकरा , ओम प्रकाश मिश्रा, आशा श्रीवास्तव, गुस्ताद अंकलेसरिया, शिक्षक गोपाल शर्मा, नीरज कुमार शुक्ला, नंदकिशोर भाटी, विष्णु बैरागी, महावीर वर्मा , आशीष दशोत्तर मौजूद रहें।