Super Kid : दुनिया का पहला Three-Parent Baby जो चमत्कार से कम नहीं! 

इसे MDT तकनीक से बनाया गया, कोई जेनेटिक बीमारी असर नहीं करेगी! 

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Super Kid : दुनिया का पहला Three-Parent Baby जो चमत्कार से कम नहीं! 

 

London : मेडिकल साइंस की तरक्की का प्रतीक दुनिया का पहला सुपर किड (Super Kid) जन्म ले चुका है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस खास बच्चे को किसी भी तरह की जेनेटिक बीमारी नहीं होगी। न कोई ऐसा नुकसानदेह जेनेटिक म्यूटेशन, जिसका इलाज नहीं किया जा सकता इस बच्चे पर असर नहीं करेगा। क्योंकि, इसे तीन लोगों के DNA को मिलाकर बनाया गया है।
इस सुपर किड को इंग्लैंड में जन्म दिया गया है। माता-पिता के DNA के अलावा इस बच्चे में तीसरे इंसान का डीएनए भी डाला गया। इस DNA की खासियत को बरकरार रखने के लिए IVF तकनीक का इस्तेमाल किया है। इस बच्चे को माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन ट्रीटमेंट (MDT) तकनीक से बनाया गया है।

थ्री-पैरेंट बेबी है यह बच्चा
वैज्ञानिकों ने एक स्वस्थ महिला के Eggs से ऊतक लेकर IVF भ्रूण तैयार किया था। इस भ्रूण में बायोलॉजिकल माता-पिता के स्पर्म और Eggs के माइटोकॉन्ड्रिया (कोशिका का पावर हाउस) को साथ मिलाया गया। माता-पिता के डीएनए के अलावा बच्चे के शरीर में तीसरी महिला डोनर के जेनेटिक मटेरियल में से 37 जीन को डाला गया। यानी असल में यह थ्री-पैरेंट बेबी (Three-parent Baby) है। हालांकि, 99.8% इसके DNA माता-पिता के ही हैं।

मकसद था जेनेटिक बीमारियों को रोकना
MDT को MRT यानी माइटोकॉन्ड्रियल रीप्लेसमेंट ट्रीटमेंट भी कहा जाता है. इस पद्धत्ति को इंग्लैंड के डॉक्टरों ने विकसित किया है. यह बच्चा भी इंग्लैंड के ही न्यूकैसल फर्टिलिटी सेंटर में पैदा किया गया है। दुनिया में करीब हर 6 हजार में से एक बच्चा माइटोकॉन्ड्रियल बीमारियों, यानी गंभीर जेनेटिक बीमारियों से पीड़ित है। इस बच्चे को बनाने के पीछे वैज्ञानिक मकसद यही था कि माता-पिता की जेनेटिक बीमारियां बच्चे में ट्रांसफर न हों।

MDT का प्रोसेस क्या है 
सबसे पहले पिता के स्पर्म की मदद से मां के एग्स को फर्टिलाइज किया जाता है। उसके बाद किसी दूसरी स्वस्थ महिला के एग्स से न्यूक्लियर जेनेटिक मटेरियल निकालकर उसे माता-पिता के फर्टिलाइज एग्स से मिक्स किया जाता है। इसके बाद इस Egg पर स्वस्थ महिला के माइटोकॉन्ड्रिया का प्रभाव हो जाता है। इस सबके बाद इसे भ्रूण में स्थापित कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है और मेडिकल साइंस के नजरिए से इस प्रक्रिया में कई तरह की चुनौतियां और खतरे भी रहते हैं।