
Supreme Court on SIR Cas: बिहार में लोगों को मतदाता सूची से बाहर रखा तो SC तुरंत हस्तक्षेप करेगा!
New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण मामले पर सुनवाई 12-13 अगस्त तक टाल दी। सुप्रीम कोर्ट ‘एसआईआर’ के खिलाफ याचिका दायर करने वाली राजनीतिक पार्टियों से 8 अगस्त तक जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिकाकर्ताओं ने आशंका जताई थी कि ड्राफ्ट सूची के प्रकाशन के बाद कई लोगों को मतदाता सूची से बाहर रखा गया है।
इस पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि हम एक न्यायिक प्राधिकरण के रूप में इस मामले की समीक्षा कर रहे हैं और अगर बड़े पैमाने पर लोगों को मतदाता सूची से बाहर किया गया तो हम तुरंत हस्तक्षेप करेंगे। चुनाव सुधार संगठन ‘एडीआर’ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि चुनाव आयोग के बयान के अनुसार, करीब 65 लाख लोगों ने मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के दौरान अपने गणना प्रपत्र दाखिल नहीं किए।
चुनाव आयोग का मानना है कि या तो ये लोग मर चुके हैं या फिर दूसरे स्थानों पर बस गए। प्रशांत भूषण ने इन लोगों को भी मतदाता सूची में शामिल करने की मांग की। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ‘चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और यह कानून के तहत काम करेगी। हम सुनिश्चित करते हैं कि हमारा इन चिंताओं पर ध्यान है। हम आपकी बात सुनेंगे।’ इसके बाद पीठ ने ये भी कहा कि जिन लोगों के मृत होने का दावा किया जा रहा है, उनमें से लोग जिंदा है तो 15 लोगों को लेकर आइए, जो कहें कि वो जिंदा हैं।
इस पर याचिकाकर्ता राजद सांसद मनोज झा के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग उनके नाम जानता है, अगर वे ही उनके नाम का जिक्र कर दे, तो हमें कोई आपत्ति नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान बिहार में मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से आधार को भी दस्तावेजों की सूची में शामिल करने पर विचार करने के लिए फिर से कहा।
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