Supreme Court Order : जिनके घरों पर बुलडोजर चला, सरकार उन्हें ₹25 लाख मुआवजा दें!
New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को आदेश दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने महाराजगंज जिले में सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए घरों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया था। बुलडोजर एक्शन को सुप्रीम कोर्ट ने अराजक बताया और अपने आदेश में कहा कि इस मामले में जांच की जरूरत है। यह पूरी तरह से मनमानी है, क्योंकि उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
बुधवार सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बुलडोजर एक्शन पर जमकर फटकार लगाई। यह मामला महाराजगंज जिले का है, जहां सड़क चौड़ीकरण के लिए घरों को बुलडोजर से तोड़ा गया था। इस मामले में कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया गया था, जिस पर सुप्रीम अदालत सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जिसका घर तोड़ा उसे 25 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप कहते हैं कि वह 3.7 वर्गमीटर का अतिक्रमणकर्ता था। हम इसे सुन रहे हैं, लेकिन कोई प्रमाण पत्र नहीं दे रहे हैं। आप क्या इस तरह से लोगों के घरों को तोड़ सकते हैं? किसी के घर में घुसना अराजकता है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से मनमानी है। उचित प्रक्रिया का पालन कहां किया गया है? हमारे पास हलफनामा है, जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया। आप केवल साइट पर गए थे और लोगों को सूचित किया था। हम इस मामले में दंडात्मक मुआवजा देने के इच्छुक हो सकते हैं। क्या इससे न्याय का उद्देश्य पूरा होगा?
कोर्ट ने पूछा कि कितने घर तोड़े गए
याचिकाकर्ता के वकील ने मामले की जांच का आग्रह किया। सीजेआई ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कितने घर तोड़े गए? राज्य के वकील ने कहा कि 123 अवैध निर्माण थे। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि आपके यह कहने का आधार क्या है कि यह अनधिकृत था? आपने 1960 से क्या किया है, पिछले 50 साल से क्या कर रहे थे, बहुत अहंकारी, राज्य को एनएचआरसी के आदेशों का कुछ सम्मान करना होगा। आप चुपचाप बैठे हैं और एक अधिकारी के कार्यों की रक्षा कर रहे हैं!
सीजेआई ने कहा कि वार्ड नंबर 16 मोहल्ला हामिदनगर में स्थित अपने पैतृक घर और दुकान के विध्वंस की शिकायत करते हुए मनोज टिबरेवाल द्वारा संबोधित पत्र पर स्वत: संज्ञान लिया गया। इसी रिट याचिका पर नोटिस जारी किया गया था। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने यूपी सरकार के वकील से कहा कि आपके अधिकारी ने पिछली रात सड़क चौड़ीकरण के लिए पीले निशान वाली जगह को तोड़ दिया, अगले दिन सुबह आप बुलडोजर लेकर आ गए। यह अधिग्रहण की तरह है, आप बुलडोजर लेकर नहीं आते और घर नहीं गिराते, आप परिवार को घर खाली करने का समय भी नहीं देते। चौड़ीकरण तो सिर्फ एक बहाना था, यह इस पूरी कवायद का कोई कारण नहीं लगता।
मामले में जांच की आवश्यकता
सीजेआई ने आदेश में कहा कि इस मामले में जांच करने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश ने एनएच की मूल चौड़ाई दर्शाने के लिए कोई दस्तावेज पेश नहीं किया। दूसरा यह साबित करने के लिए कोई भौतिक दस्तावेज नहीं है कि अतिक्रमणों को चिह्नित करने के लिए कोई जांच की गई थी। तीसरा यह दिखाने के लिए बिल्कुल भी सामग्री नहीं है कि परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया। राज्य सरकार अतिक्रमण की सटीक सीमा का खुलासा करने में विफल रहा। अधिसूचित राजमार्ग की चौड़ाई और याचिकाकर्ता की संपत्ति की सीमा, जो अधिसूचित चौड़ाई में आती है. ऐसे में कथित अतिक्रमण के क्षेत्र से परे घर तोड़ने की जरूरत क्यों थी? एनएचआरसी की रिपोर्ट बताती है कि तोड़ा गया हिस्सा 3.75 मीटर से कहीं अधिक था।