Supreme Court में Promotion में आरक्षण पर फैसला 10 अक्टूबर को

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नई दिल्ली। सरकारी पदों पर प्रमोशन पर आरक्षण को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में एक घंटे सुनवाई हुई। मामले में सुप्रीम कोर्ट 10 अक्टूबर को फैसला सुनाएगा।

इसी बीच अपना पक्ष रखने के लिए राज्यों को 2 हफ्ते का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश सहित सभी राज्यों द्वारा अपना-अपना पक्ष रखा। सभी राज्यों के पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि इस मामले में फ़िलहाल सुनवाई नहीं होगी। सभी राज्य 2 सप्ताह में अपना-अपना पक्ष लिखित रूप में पेश करें। इसकी सुनवाई 5 अक्टूबर से शुरू की जाएगी, इसमें केंद्र और राज्य सरकार को आधा-आधा घंटे का समय अपना पक्ष रखने के लिए दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट द्वारा पदोन्नति नियम में आरक्षण, बैकलॉग के खाली पदों को कैरी फॉरवर्ड करने और रोस्टर संबंधी प्रावधान को संविधान के विरुद्ध मानते हुए प्रमोशन पर आरक्षण को लेकर रोक लगा दी गयी थी। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। इस मामले को लेकर फ़िलहाल फैसला होना है।

केस नहीं होगा शामिल
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय बेंच ने कहा कि कई वर्षों से यह मामला लंबित है, इस वजह से कर्मचारियों को प्रमोशन नहीं मिल पा रहा। अब किसी भी स्थिति में आगे तारीख नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस मामले के फैसले में इंदिरा साहनी और नागराज के केस को शामिल नहीं किया जाएगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इन मामलों में फैसला दे चुका है।

10 अक्टूबर को फैसला
मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से इस मामले की पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट मनोज गोरकेला के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने करीब 1 घंटे सुनवाई की, जिसमें सभी राज्य सरकारों की तरफ से मध्यप्रदेश ने लीड किया। केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, विशेष गुप्ता, संजय हेगड़े भी कोर्ट में उपस्थित हुए। गोरकेला ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब इस मामले में अगली तारीख नहीं दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट 10 अक्टूबर को फैसला सुनाएगा. कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा।

सीनियर एडवोकेट मनोज गोरकेला के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह मामला कई वर्षों से लंबित होने के कारण देश में कर्मचारियों को प्रमोशन नहीं मिल पा रहा है. अब 10 अक्टूबर को इस पर विस्तृत आदेश जारी किया जाएगा.जो केंद्र और देश के सभी राज्यों में लागू होगा। सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश के अलावा पंजाब, बिहार, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा राज्यों के वकील भी मौजूद रहे।