आरोपों से घिरे मुख्यमंत्री संविधान कानून की उड़ा रहे धज्जियां

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आरोपों से घिरे मुख्यमंत्री संविधान कानून की उड़ा रहे धज्जियां

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और  झारखंड के मुख्या मंत्री   हेमंत सोरेन तथा बिहार के उप मुख्या मंत्री तेजस्वी यादव   मनी लॉन्ड्रिंग ( अवैध रुप से धन की हेराफेरी ) मामलों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दायरे में हैं। तीनों  वित्तीय जांच एजेंसियों के सम्मन से बच रहे  हैं | अटकलें लगाई जा रही हैं कि नेताओं की गिरफ्तारी हो सकती है | केजरीवाल स्वयं भारतीय राजस्व सेवा के अनुभवी अधिकारी हैं और आय कर कानूनों पर अमल और उनसे बचने के तरीकों को बहुत अच्छी तरह जानते हैं | दूसरी तरफ हेमंत सोरेन तथा तेजस्वी यादव के पिता शिबू सोरेन एवं लालू प्रसाद यादव सत्ता तथा जेल में रहने के अनुभव जानते हैं | इसलिए दोनों बेटे  सत्ता और सजा के दांव पेंच समझते हैं |  अब मुद्दा यह है कि अपने समर्थन और बहुमत से सत्तारुढ़  राज्य के मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है?

 इस  सवाल पर पहला तथ्य यह देखना चाहिए कि  पद सँभालते समय ये मुख्या मंत्री या मंत्री शपथ क्या लेते हैं | शपथ है : ” मैं …, ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा, मैं ….. संघ के मुख्य  मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंत:करण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार कार्य करूंगा “| जब वे संविधान और विधि के तहत शपथ लिए हुए हैं , तब शासन व्यवस्था की संवैधानिक जांच एजेंसियों के कामकाज में सहयोग करने से कैसे बच सकते हैं ?लेकिन हाल के वर्षों में खासकर केजरीवाल के सत्ता में आने के बाद  विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और उनके सहयोगी नेता केन्दीय जांच एजेंसियों – ई डी , सी बी आई  के काम में दीवार खड़ी कर रहे हैं | पश्चिम बंगाल में पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो सी बी आई के अधिकारियों को अपनी पुलिस से गिरफ्तार करावा दिया और अब उनके समर्थकों ने ई डी के अधिकारियों को घेर हमला कर भगा दिया |

केंद्र में भाजपा की सरकार है | ये तीनों नेता प्रतिपक्ष के हैं , लेकिन इनके विरुद्ध क़ानूनी प्रकरण बहुत गंभीर और वर्षों से जांच के घेरे में हैं |दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने तीन बार – 3 जनवरी, 2 नवंबर और 21 दिसंबर को तलब किया था । उन्होंने उन सभी को “अवैध” और “राजनीति से प्रेरित” बताते हुए टाल दिया । वित्तीय जांच एजेंसी ने उन्हें उत्पाद शुल्क नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपना बयान दर्ज करने के लिए बुलाया था।केजरीवाल को समन तब जारी किया गया था जब सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2023 में ईडी से यह बताने के लिए कहा था कि राजनीतिक दल, आम आदमी पार्टी (आप), जो कथित तौर पर दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति ‘घोटाले’ की लाभार्थी थी, को क्यों नहीं बनाया गया है।

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इसी मामले में केजरीवाल की पार्टी के सहयोगी मनीष सिसौदिया और संजय सिंह पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी ने पहले दावा किया था कि  आम आदमी पार्टी के नेताओं  ने 2022 के गोवा विधानसभा चुनावों में अपने अभियान के लिए विभिन्न हितधारकों से रिश्वत के रूप में प्राप्त 100 करोड़ रुपयों  का इस्तेमाल किया। यह आरोप लगाया गया है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए दिल्ली सरकार की 2021-22 की उत्पाद शुल्क नीति ने गुटबंदी की अनुमति दी और कुछ डीलरों का पक्ष लिया, जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी थी, इस आरोप का AAP ने बार-बार खंडन किया। बाद में नीति को रद्द कर दिया गया और दिल्ली के उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की, जिसके बाद ईडी ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी कई मामलों में ईडी की जांच के दायरे में हैं। उनमें से कुछ में “भूमि घोटाला मामला” और लाभ के पद से जुड़ा भ्रष्टाचार का मामला शामिल है। खबरों के मुताबिक, वह एक माओवादी के उस आरोप के सिलसिले में भी जांच के घेरे में है, जिसमें उसके गिरोह ने सीएम के करीबी व्यक्तियों को संरक्षण राशि देने का आरोप लगाया था। 3 जनवरी को, ईडी ने अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सोरेन के सहयोगियों के खिलाफ छापेमारी की | 10 से अधिक स्थानों पर तलाशी ली गई, जिसमें हेमंत सोरेन के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद और हजारीबाग के डीएसपी राजेंद्र दुबे के आवास भी शामिल हैं। इससे पहले, ईडी ने कथित भूमि घोटाले के संबंध में पूछताछ के लिए हेमंत सोरेन को नया समन जारी किया था। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत ईडी द्वारा सोरेन को जारी किया गया यह सातवां समन था, जिसमें उन्हें एजेंसी के सामने पेश होने और कथित घोटाले के संबंध में अपना बयान दर्ज करने के लिए कहा गया था। केजरीवाल की तरह, सोरेन ने भी भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र पर उनकी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग करने का आरोप लगाते हुए सभी सात सम्मनों को नजरअंदाज कर दिया ।

 चुनाव आयोग ने अगस्त 2022 में झारखंड के तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस को एक पत्र भेजा था , जिसमें बताया  जाता है कि विधायक के रूप में उन्हें अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की गई थी क्योंकि उन्हें दिए गए खनन पट्टे को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान नवीनीकृत किया गया था |अटकलें लगाई जा रही हैं कि इन दोनों सीएम की गिरफ्तारी हो सकती है |केजरीवाल की पार्टी    ने हाल ही में इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए घर-घर जाकर अभियान शुरू किया था: “क्या अरविंद केजरीवाल को इस्तीफा दे देना चाहिए या गिरफ्तार होने पर उन्हें जेल से काम करना चाहिए?”

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 ईडी छह समन के बाद बिना दिखावे के सोरेन की गिरफ्तारी पर विचार कर सकता है। रिपोर्ट में सोरेन के हवाले से कहा गया है कि उनसे पूछताछ जांच के लिए महत्वपूर्ण है और इस बात पर जोर दिया गया कि समन के खिलाफ उनकी अपील को उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था। कानून की नजर में हर भारतीय नागरिक एक आम इंसान है. मुख्यमंत्रियों को अपने कार्यकाल के दौरान गिरफ्तारी से कोई छूट नहीं है।आपराधिक  दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (सीआरपीसी) के अनुसार, कानून प्रवर्तन एजेंसी किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है, जिसके खिलाफ अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया हो। किसी मुख्यमंत्री को केवल तभी गिरफ्तार किया जा सकता है जब यह मानने के पर्याप्त कारण हों कि आरोपी फरार हो जाएगा, सबूत नष्ट करने की कोशिश करेगा या कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए ऐसा काम करेगा।इसके अलावा, किसी मुख्यमंत्री को केवल तभी पद से हटाया जा सकता है जब उसे किसी मामले में दोषी ठहराया जाता है। जांच के दौरान सीएम को पद संभालने से कानूनी तौर पर मनाही नहीं है।कानून के अनुसार, केवल भारत के राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपालों को पद पर रहते हुए नागरिक और आपराधिक दोनों मामलों में गिरफ्तारी से सुरक्षा दी जाती है। संविधान 1949 में अनुच्छेद 361 कहता है, “राष्ट्रपति, या किसी राज्य के राज्यपाल की गिरफ्तारी या कारावास की कोई प्रक्रिया, उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत से जारी नहीं की जाएगी।”

सुप्रीम कोर्ट ने पहले एक आदेश में कहा था कि कैबिनेट सदस्यों और मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने पर विचार करते समय राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सिफारिश के बिना स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकते हैं “|.यह कहा  गया था कि किसी मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने या न देने का निर्णय लेने में, राज्यपाल अपने विवेक का प्रयोग करके कार्य करेंगे, न कि मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से। ” 2004 में कोर्ट के आदेश में कहा गया था | कि”अगर किसी आपराधिक मामले में भी मुख्यमंत्री या विधानसभा सदस्य को गिरफ्तार करना हो तो सबसे पहले सदन के स्पीकर से मंजूरी लेनी होती है. इसके बाद ही गिरफ्तारी की जा सकती है |”

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ईडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आखिरी नोटिस (समन) जारी किया है। इस नोटिस में ईडी ने लिखा है कि इस बार आपकों पीएमएलए की धारा 50 के तहत आखिरी मौका बयान दर्ज करने के लिए दिया जा रहा है।ईडी ने मुख्यमंत्री को बयान दर्ज कराने के लिए इस बार यह सुविधा दी है कि है कि वे खुद समय, तिथि और जगह बताए। ईडी के अधिकारी उनसे उनके बताए स्थान समय और तिथि को आकर पूछताछ करेंगे। ईडी ने हेमंत सोरेन को जारी नोटिस में यह भी लिखा है कि वे जान बूझकर इस मामले की जांच से बच रहे है और ईडी की ओर से जारी किए गए समन की अवहेलना कर रहे है। अगर उनके द्वारा जारी किए गए समन की जान बूझकर अवहेलना की जाती है तो ईडी के पास इस संबंध में पीएमएलए एक्ट की धारा के तहत उचित कार्रवाई करने का अधिकार है। ईडी ने यह भी लिखा है कि एजेंसी का कोई भी समन दुर्भावना पूर्ण या राजनीति से प्रेरित नहीं है।

ईडी ने हेमंत सोरेन को भेजे नोटिस में यह भी लिखा है कि बड़गाई अंचल के गिरफ्तार अंचल उप निरीक्षक भानू प्रताप प्रसाद के घर से छापेमारी के दौरान ईडी को जमीन के कई अहम दस्तावेज मिले थे, जिसके बाद ईडी ने उक्त मामले में ईसीआईआर (आरएनजेडओ25/2023) दर्ज किया था। जिसका अनुसंधान ईडी कर रहा है।इसी मामले में ईडी पूछताछ के लिए अबतक हेमंत सोरेन को छह समन जारी कर चुका है। ईडी ने नोटिस में यह भी लिखा है कि आपकी जो संपत्ति कब्जे में है उसके संबंध में विवरण प्राप्त करना है।ईडी ने नोटिस में लिखा  आपसे इस मामले में पूछताछ आवश्यक है, क्योंकि इस मामले में जो ईसीआईआर दर्ज किया गया है, उसमें सरकारी दस्तावेजों में छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया गया है। नोटिस में यह भी लिखा कि छह समन जारी किया गया, लेकिन आपकी ओर से निराधार कारण बताया गया और आप ईडी कार्यालय में उपस्थित नहीं हुए। इस वजह से अनुसंधान में बाधा आ रही है।पूर्व में भेजे गए छह समन में प्रत्येक का सीएम ने जवाब दिया था। उन्होंने समन को दुर्भावना से प्रेरित बताया था। सीएम ने ईडी पर केंद्र के इशारे पर काम करने व लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश का आरोप लगाया था।

ईडी ने 5 जनवरी को पूछताछ के लिए दिल्ली डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ) को बुलाया , लेकिन तेजस्वी ने जाने से असमर्थता व्यक्त कर दी | ईडी के सामने  तेजस्वी यादव पेश नहीं  हुए | कहा गया कि  बिहार सरकार के कार्यक्रमों में व्यस्तता के कारण तेजस्वी ईडी (ED) के सामने पेश नहीं हो रहे हैं | तेजस्वी को इससे पहले भी 22 दिसंबर 2023 और 27 दिसंबर 2023 को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को पूछताछ के लिए दिल्ली स्थित मुख्यालय में बुलाया गया था, लेकिन लालू-तेजस्वी दोनों ईडी के समन भेजने के बाद भी दिल्ली नहीं गए थे|जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और तेजस्वी यादव से ईडी पूछताछ करना चाहती है | लालू यादव पर आरोप है कि उन्होंने 2004-2009 तक रेल मंत्री रहते हुए नौकरी देने के बदले लोगों की जमीनें ली हैं | लालू तेजस्वी सहित लालू परिवार के कई सदस्यों से पहले भी जांच एजेंसी के द्वारा पूछताछ की जा चुकी है, लेकिन इस मामले में बीते दिनों ऐसे आरोपियों का बयान दर्ज हुआ है जो लालू परिवार के करीबी हैं और उनके द्वारा दर्ज बयान के आधार पर लालू-तेजस्वी से ईडी की टीम पूछताछ करना चाहती है |

ईडी ने 31 जुलाई 2023 को आरजेडी नेता राबड़ी देवी, मीसा भारती (लालू यादव की बेटी), विनीत यादव (लालू की बेटी हेमा यादव के पति), शिव कुमार यादव (हेमा यादव के ससुर), ए बी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और ए के इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड की 6.02 करोड़ रुपये की छह अचल संपत्तियों को कुर्क किया था | दोनों कंपनियां लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों के स्वामित्व और नियंत्रण में हैं |

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ‘रेलवे में नौकरी के बदले जमीन’ घोटाला मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को नया समन जारी किया और उनसे पांच जनवरी 2024 को पेश होने को कहा। इससे पहले, ईडी ने तेजस्वी (34) को 22 दिसंबर को पेश होने के लिए कहा था, लेकिन वह पेश नहीं हुए थे। तेजस्वी ने ईडी के नोटिस को नियमित प्रक्रिया बताया  | यह घोटाला उस समय का है जब लालू प्रसाद (75) संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के पहले कार्यकाल में रेल मंत्री थे।आरोप है कि 2004 से 2009 तक, भारतीय रेलवे के विभिन्न जोन में समूह ‘डी’ पदों पर कई व्यक्तियों को नियुक्त किया गया था और बदले में, इन व्यक्तियों ने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और एक संबंधित कंपनी ए. के. इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित की थी।ईडी ने लालू प्रसाद के परिवार से जुड़ी कई संपत्तियों पर छापेमारी की और दावा किया कि दिल्ली एक बंगला जो कागज पर 4 लाख रुपये में हासिल किया गया था, उसकी कीमत 150 करोड़ रुपये से अधिक थी।बिहार के उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित बंगले पर शुक्रवार को जब छापेमारी हुई तो वह वहां मौजूद थे।ईडी ने लालू की एक बेटी रागिनी यादव के घर से करोड़ों की ज्वेलरी और नकदी जब्त करने का भी दावा किया है | मतलब एक बार सत्ता के शीर्ष पद पर पहुंचकर आपराधिक मामलों से बचते रहें | तब  सामान्य नागरिक क्या  नियम कानून तोड़ने के लिए प्रोत्साहित नहीं होगा ?