Sustainable Medicine: औषधियों और दवाओं से परे चिर स्वस्थता के उपचार

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Sustainable Medicine: औषधियों और दवाओं से परे चिर स्वस्थता के उपचार

                           शाश्वत चिकित्सा:दवाई रहित चिकित्सा

डॉ. तेज प्रकाश पूर्णानंद व्यास

अनुसंधानित लेख का सार:
शाश्वत चिकित्सा: औषधियों और दवाओं से परे चिर स्वस्थता के उपचार:
चिकित्सा के वास्तविक सार की खोज

आज की दुनिया में दवाओं और औषधियों पर अत्यधिक निर्भरता के कारण उपचार का वास्तविक अर्थ कहीं न कहीं ओझल हो गया है। आधुनिक चिकित्सा अद्भुत अवश्य है, किंतु यह स्वास्थ्य का एकमात्र मार्ग नहीं है। प्राचीन ज्ञान, तंत्रिका विज्ञान (Neuroscience) और समग्र चिकित्सा पद्धतियाँ (Holistic Healing) ऐसे शक्तिशाली उपचार प्रदान करती हैं, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण को पोषित करती हैं।
वास्तविक उपचार केवल दवाओं और उपचार पद्धतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे रोजमर्रा के कार्यों, विचारों और संबंधों में निहित है। यदि हम व्यायाम, उपवास, करुणा, मानसिक धैर्य और प्रेम को अपनाएँ, तो हम दीर्घायु, मानसिक संतुलन और आत्मिक शांति प्राप्त कर सकते हैं।

सच्चा उपचार केवल रोगों का निवारण नहीं, बल्कि आनंद, उद्देश्य और सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने की कला है।

यह लेख भगवद गीता, उपनिषद, बौद्ध धर्म, आधुनिक तंत्रिका विज्ञान और विश्व प्रसिद्ध विचारकों जैसे डॉ. मैथ्यू रिकार्ड, न्हाट हान, स्टीव टेलर, डेविड रिचो, डॉ. अमित सूद और परम पावन 14वें दलाई लामा के सिद्धांतों को समाहित कर चिकित्सा की परिभाषा को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है।

इसमें 16 शक्तिशाली “औषधियों” की अभिव्यक्ति की गई है, जो कर्म योग, उपवास, ध्यान, कृतज्ञता, सहानुभूति, मानसिक धैर्य और अन्य उपायों के माध्यम से प्राकृतिक उपचार तंत्र को सक्रिय कर शरीर में आंतरिक संतुलन व दीर्घायु को बढ़ावा देते हैं। यह अध्ययन यह पुष्टि करता है कि वास्तविक चिकित्सा केवल रोगों का इलाज नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक कला है।

परिचय: वैश्विक कल्याण हेतु चिकित्सा की पुनःपरिभाषा

चिकित्सा का मूल अर्थ बदल रहा है। आधुनिक औषधियाँ लाखों लोगों की जान बचा चुकी हैं, लेकिन दीर्घकालिक स्वास्थ्य केवल इन पर निर्भर नहीं रह सकता। वैज्ञानिक शोध स्पष्ट रूप से सिद्ध करते हैं कि व्यायाम, उपवास, सूर्यप्रकाश, करुणा और सचेतनता (Mindfulness) जैसी जीवनशैली आधारित पद्धतियाँ नैसर्गिक शक्तिशाली औषधियाँ हैं।

भगवद गीता कहती है:

“समत्वं योग उच्यते”
*(जो व्यक्ति सुख-दुख, लाभ-हानि और सफलता-असफलता में समान रहता है, वही ज्ञानी है।) — गीता 2.14

आधुनिक तंत्रिका विज्ञान भी इस तथ्य को प्रमाणित करता है कि संतुलित मन-शरीर संबंध मानसिक स्थिरता और दीर्घकालिक स्वास्थ्य का निर्माण करता है (Sood, 2013)। यह लेख व्यायाम, आहार, भावनाओं, आध्यात्मिकता और सामाजिक संबंधों की भूमिका को संपूर्ण उपचार दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है।

शाश्वत चिकित्सा के 16 अमूल्य सूत्र

1. व्यायाम: सबसे सशक्त औषधि (भगवद गीता एवं तंत्रिका विज्ञान)

भगवान श्रीकृष्ण ने कर्म योग के माध्यम से “गतिशीलता” को मानसिक स्पष्टता और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक बताया है। आधुनिक शोध भी यह सिद्ध करता है कि व्यायाम एंडोर्फिन (Endorphins) बढ़ाकर मस्तिष्क की कार्यक्षमता सुधारता है और हृदय रोग, तनाव एवं अवसाद से बचाव करता है।

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2. उपवास: शरीर की शुद्धि की औषधि (उपनिषद एवं कोशिका पुनर्निर्माण)

उपनिषदों में तपस्या (संयम) का विशेष उल्लेख है। 2016 में नोबेल विजेता डॉ. योशिनोरी ओसुमी ने सिद्ध किया कि उपवास “ऑटोफैगी” प्रक्रिया को सक्रिय करता है, जिससे शरीर क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को हटाकर नवीनीकरण करता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा करने में सहायक है।

3. प्रकृति: आत्मिक और शारीरिक उपचार ( न्हाट हान एवं डीप इकोलॉजी)

न्हाट हान ने “इंटरबीइंग” (परस्पर जुड़ाव) सिद्धांत दिया, जो यह दर्शाता है कि मानव और प्रकृति एक-दूसरे पर निर्भर हैं। विज्ञान भी यह प्रमाणित करता है कि वन-स्नान (Shinrin-Yoku) तनाव हार्मोन (Cortisol) को कम करता है और मानसिक शांति लाता है।

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4. हँसी: हृदय और मस्तिष्क की औषधि (डॉ. मदन कतारिया एवं न्यूरोबायोलॉजी)

हँसी योग के संस्थापक डॉ. मदन कतारिया ने सिद्ध किया कि हँसी तनाव हार्मोन (Cortisol, Adrenaline) को कम करती है और डोपामिन व ऑक्सीटोसिन जैसे “खुशी” वाले हार्मोन को बढ़ाती है।

भगवद गीता कहती है:
“जो हर परिस्थिति में प्रसन्न रहता है, वह मुक्ति प्राप्त करता है।” (गीता 6.5)

5. आहार: स्वस्थ जीवन की नींव (आयुर्वेद एवं पोषण तंत्रिका विज्ञान)

सात्विक आहार सर्वश्रेष्ठ है। अंकुरित अनाज अति उत्तम है। छाछ, दही, फर्मेंटेड फूड्स यथा इडली, खमण , डोसा, आदि पाचन को उत्तम रखते है । उत्तम पाचन का सीधे सीधे मानव मस्तिष्क और हृदय की स्वस्थता को श्रेयस्कर करता है।
रंग-बिरंगे फलों और सब्जियों में विटामिन, खनिज और फाइटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो हृदय, मस्तिष्क, फेफड़ों और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं। अनार, सेब, स्ट्रॉबेरी, काले अंगूर में आर्जिनिन अमीनो एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो रक्त संचार, रक्तचाप, मस्तिष्क हृदय स्वास्थ्य एवं अंतरांगों के लिए अत्यंत लाभकारी है (Ferid Murad 1998, Dr. Tej Prakash Vyas 2025)।Sattvic food is now becoming famous in India it gives amazing benefits to health | भारत में अब मशहूर हो रहा है सात्विक भोजन...सेहत को मिलते हैं इससे गजब के फायदे

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6. नींद: मस्तिष्क के लिए अमृत (डेविड रिचो एवं सर्केडियन न्यूरोसाइंस)

गहरी नींद मस्तिष्क विषाक्त पदार्थों को निकालती है, स्मरण शक्ति को सशक्त करती है, और सेरोटोनिन (खुशी का हार्मोन) के उत्पादन को नियंत्रित करती है।

7. सूर्यप्रकाश: जीवन शक्ति का स्रोत (उपनिषद एवं क्रोनोबायोलॉजी)

ऋग्वेद में सूर्य को जीवनदाता कहा गया है। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि सूर्यप्रकाश विटामिन D को बढ़ाता है, मस्तिष्क में सेरोटोनिन उत्पादन को सक्रिय करता है और मौसमी अवसाद (Seasonal Depression) को रोकता है।

8. कृतज्ञता और प्रेम: दीर्घायु का रहस्य (Emma Seppälä एवं सकारात्मक मनोविज्ञान)

स्टैनफोर्ड की एम्मा सेप्पाला ने सिद्ध किया कि कृतज्ञता मस्तिष्क को दीर्घकालिक आनंद के लिए पुनः संरचित करती है।

भगवद गीता कहती है:
“जो सभी को समान दृष्टि से देखता है, वही सच्चा मुक्त आत्मा है।” (गीता 6.29)

9. दयालुता और करुणा है औषधि (दलाई लामा एवं तंत्रिका विज्ञान)

परम पावन 14वें दलाई लामा कहते हैं:
“यदि तुम दूसरों को सुखी देखना चाहते हो, तो करुणा का अभ्यास करो। यदि तुम स्वयं सुखी रहना चाहते हो, तो करुणा का अभ्यास करो।”

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वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि करुणा के कार्य शरीर में ऑक्सीटोसिन हार्मोन का स्तर बढ़ाते हैं, जिससे तनाव और बुढ़ापा कम होता है। यह प्रेम और आत्मीयता को बढ़ाने वाली औषधि है (Dalai Lama, 2008)।

10. सहानुभूति  है औषधि (डॉ. मैथ्यू रिकर्ड एवं न्यूरोबायोलॉजी)

मस्तिष्क वैज्ञानिक से सन्यासी बने डॉ. मैथ्यू रिकार्ड बताते हैं कि मिरर न्यूरॉन्स (आइना न्यूरॉन्स) के कारण हम दूसरों के भावनात्मक अनुभवों को महसूस कर सकते हैं। एमआरआई स्कैन बताते हैं कि गहरी सहानुभूति अकेलेपन, अवसाद, और चिंता को कम करती है (Ricard, 2014)।

11. धैर्य और सहनशीलता है औषधि (डॉ. अमित सूद एवं श्रीमद्भगवद्गीता)

मानसिक दृढ़ता मस्तिष्क के डोपामिन और सेरोटोनिन संतुलन को दीर्घकालिक रूप से सुधारती है। श्रीकृष्ण कहते हैं:
“जो न तो दुख से विचलित होता है, न सुख में आसक्त होता है, वही सच्चा ज्ञानी है।” (गीता 2.15)

वैज्ञानिक दृष्टि से, मानसिक धैर्य वाले व्यक्ति दीर्घायु होते हैं और अधिक खुश रहते हैं (Sood, 2013)।

12. निःस्वार्थ सेवा है औषधि (श्रीमद्भगवद्गीता एवं तंत्रिका विज्ञान)

भगवद्गीता (3.25) में कहा गया है:
“ज्ञानी पुरुष लोक कल्याण हेतु कर्म करते हैं, न कि निजी स्वार्थ के लिए।”

वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि निःस्वार्थ सेवा से हृदय स्वास्थ्य बेहतर होता है और जीवनकाल बढ़ता है (Sood, 2013)।

13. मित्रता है औषधि (बौद्ध धर्म एवं सामाजिक तंत्रिका विज्ञान)

मित्रता ऑक्सीटोसिन हार्मोन को बढ़ाती है, तनाव कम करती है और जीवनकाल को बढ़ाती है (Taylor, 2020)। भगवान बुद्ध ने संघ (सामूहिक समुदाय) को मानसिक और भावनात्मक कल्याण के लिए आवश्यक बताया है।

14. ध्यान है औषधि (डॉ. मैथ्यू रिकर्ड एवं माइंडफुलनेस अध्ययन)

ध्यान से मस्तिष्क में गामा तरंगों (gamma waves) की सक्रियता बढ़ती है, जिससे मानसिक स्थिरता और प्रसन्नता आती है (Ricard, 2014)। एमआरआई स्कैन बताते हैं कि ध्यान करने से प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स (मस्तिष्क का प्रमुख सोचने वाला भाग) मोटा होता है, जिससे एकाग्रता और तनाव प्रबंधन बेहतर होता है।

15. योग है औषधि (स्वामी समर्पानानंद एवं मस्तिष्क-शरीर विज्ञान)

योग पांच कोशों (अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय, और आनंदमय) को संतुलित करता है। न्यूरोसाइंस प्रमाणित करता है कि योग वागल टोन (Vagal Tone) को बढ़ाता है, जिससे शरीर में सूजन कम होती है और अमिगडाला (Amygdala – भावनाओं को नियंत्रित करने वाला भाग) शांत होता है, जिससे मानसिक स्थिरता आती है (Samarpanananda, 2017)।

16. माता-पिता की सेवा है औषधि (श्रीमद्भगवद्गीता एवं तंत्रिका विज्ञान)

Sustainable Medicine:
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भगवद्गीता (17.14) में कहा गया है:
“माता-पिता की सेवा करना दिव्य कर्तव्य है।”

शोध बताते हैं कि माता-पिता की सेवा करने से व्यक्ति में सहानुभूति, ऑक्सीटोसिन, और दीर्घकालिक संतोष की भावना बढ़ती है (Poddar, 2018)।

निष्कर्ष: स्वास्थ्य एक जीवनशैली है

सच्ची चिकित्सा केवल दवाइयों और उपचारों तक सीमित नहीं है। यह हमारे दैनिक जीवन के कार्यों, विचारों और संबंधों में समाहित होती है। जब हम इन सनातन औषधियों को अपनाते हैं—व्यायाम, उपवास, करुणा, धैर्य, और प्रेम—तो हम अपने भीतर एक प्राकृतिक उपचार शक्ति को जाग्रत कर देते हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर सुख और समृद्धि बढ़ती है।

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डॉ. तेज प्रकाश पूर्णानंद व्यास
एंटी-एजिंग वैज्ञानिक एवं वैश्विक आनंद दूत
B-12, विस्तारा टाउनशिप, एबी बायपास, ईवा वर्ल्ड स्कूल के पास, इंदौर, 452010
Email: proftpv49@gmail.comच्ची चिकित्सा केवल रोगमुक्त होने का नाम नहीं है—यह आनंद, उद्देश्य, और सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने की कला है।

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