Indore : स्वर्णबाग कॉलोनी में हुए भीषण अग्निकांड में सात लोगों की मौत के गुनाहगार को फांसी की सजा मिले, इसलिए 20 दिन में चालान पेश करने का लक्ष्य रखा गया है।
डीसीपी के मुताबिक आरोपी के खिलाफ कड़े सबूत मिले हैं। वारदात की आधी विवेचना पूरी हो चुकी है। मामले को चिन्हित प्रकरणों में शामिल किया गया है।
आरोपी को जल्द फांसी की सजा हो, इसके लिए 20 दिन के भीतर चालान पेश करने का टारगेट रखा है। वहीं आगजनी में मृत ईश्वर के रिश्तेदार भी दोपहर को बयान देने पहुंचे और कहा केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाना चाहिए।
आरोपी ने सात बेकसूरों की जान ली है, उसको मृत्युदंड की सजा मिलनी चाहिए। मृतकों के परिजन पुलिस-प्रशासन और फायर ब्रिगेड को भी दोषी ठहरा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि फायर ब्रिगेड एक घंटे देरी से आई, जिससे आग ज्यादा भड़की और आग पर नियंत्रण नहीं हो सका। सात बेकसूरों की मौत का जिम्मेदार आरोपी शुभम दीक्षित पुलिस की गिरफ्त में है।
कोर्ट से मिले तीन दिन के रिमांड के दौरान उससे कड़ी पूछताछ की जा रही है। पूछताछ के दौरान उसकी तबियत बिगड़ने पर पुलिस उसे दोबारा अस्पताल लेकर पहुंची।
उधर, उससे अन्य घटनओं के संबंध में भी जानकारी जुटा रही है। पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे भी हुए।
पुलिस को पूछताछ में पता चला कि वह हैकिंग का भी मास्टर है। उसने बताया कि वह एटीएम कार्ड और नेट बैंकिंग जैसे काम करता था। शनिवार देर रात पुलिस ने जब गिरफ्तार किया तो उस समय उसके हाथ-पैर टूट चुके थे। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। रविवार को उसे छुट्टी दे दी गई। इसके बाद पूछताछ के लिए विजयनगर थाने लाया गया। यहां पर भी तबियत बिगडऩे का नाटक करने पर फिर अस्पताल ले जाया गया। पूछताछ के दौरान आरोपी थाने में दर्द का बहाना बनाकर रोता-गिड़गिड़ता रहा। पुलिस को यह जानकारी भी मिली कि संजय के कई अलग-अलग आधार कार्ड भी बने हुए वहीं बैंक फ्रॉड करने में वह इन आधार कार्ड को इस्तेमाल करता था। पुलिस इन बिंदुओं पर भी जांच कर रही है।
स्वर्णबाग कॉलोनी में मल्टी में आरोपी संजय उर्फ शुभम ने आग लगा दी थी। इस आग में वहां पर रहने वाले सात लोगों की मौत हो गई थी। आरोपी को पुलिस ने 10 मई तक रिमांड पर लिया है। पुलिस को आरोपी के अपराधों के बारे में पुलिस जानकारी निकाल रही है। अभी तक एक अपराध की जानकारी मिली है। पुलिस अपने स्तर पर भी उसके अपराधों के बारे में पता कर रही है। उसने पुलिस को बताया कि वारदात के बाद उसने मोबाइल बंद कर लिया था। वह केवल ऑनलाइन एप के जरिए ही दोस्तों के संपर्क में था और अपनी गर्लफ्रेंड को परेशान कर रहा था। लेकिन, पुलिस ने 18 घंटे में लोकेशन ट्रैस कर उसे खोज निकाला।
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छोटी आग देखने वाले से सुराग
डीसीपी संपत उपाध्याय के अनुसार 138 स्वर्ण बाग की घटना में सबसे पहले आग लगने का कारण खोजा जा रहा था। पुलिस ने सबसे पहले उस व्यक्ति को ढूंढ़ा जो अपने साथी से कह रहा था कि तुमने छोटी सी आग देखी, तब क्यों नहीं बताया। पुलिस ने उस व्यक्ति से जानकारी जुटाई। उसकी तलाश में सीसीटीवी कैमरे तलाशने शुरू किए। पुलिस ने इलाके में लगे 5 सीसीटीवी कैमरे डीवीआर निकाले और सीधे थाने लेकर उसकी जांच शुरू की।
युवती से भी पूछताछ
पुलिस ने मौके पर लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए तो उसमें आरोपी सबसे पहले पेट्रोल डालकर एक्टिवा में आग लगाते हुए दिखाई दिया। पुलिस को यह शंका हुई कि उस घटनास्थल पर लगभग कई गाडिय़ां खड़ी थी। जिसमें एक स्कॉर्पियो भी खड़ी हुई थी। लेकिन, आरोपी ने सिर्फ एक्टिवा को क्यों निशाना बनाया। पुलिस ने उस एक्टिवा गाड़ी का नंबर निकाला, जो साक्षी उर्फ सना उर्फ रिंकी की थी। सना भी इस हादसे में घायल हुई थी, इसके अस्पताल से डिस्चार्ज होते ही पूछताछ शुरू कर दी गई।
युवती ने बताई कहानी
पुलिस को युवती सना ने बताया कि लगभग 8 माह पहले संजय इलाके में रहने आया था। वह किसी भी लड़की के पीछे पड़ जाता था। इस कारण से कुछ समय बाद सना ने संजय से दोस्ती खत्म कर ली। संजय की एक गर्लफ्रेंड को सना ने संजय की करतूत बताई। जिस कारण से संजय सना से जुड़ा हुआ था। उसने कई बार सना को मारने की धमकी भी दी। इलाके में कई बार आकर सना के साथ झगड़ा किया। इसकी जानकारी बिल्डिंग सहित इलाके के रहवासियों को भी थी। संजय आईटी का जानकार था इस कारण से उसने एक फर्जी आईडी बनाई और वह सना से दोस्ती रखने वाले उस युवक को सना के बारे में कई गलत मैसेज भी लिखता था।
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युवती को करता था परेशान
आरोपी संजय आईडी की जानकारी रखने वाला था, इस कारण से उसने 28 अप्रैल को ही अपना फोन बंद कर लिया था। वह एक एप्लीकेशन के माध्यम से अपने सभी दोस्तों से संपर्क में था। बताया जा रहा है कि वह इसी ऑनलाइन एप के जरिए ही सना को भी परेशान कर रहा था। सना के मोबाइल से जब संजय का फोन नंबर मिला तो पुलिस को उसकी लोकेशन नहीं मिल रही थी। मामले में पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने क्राइम ब्रांच की सहायता ली और इस प्रकार की एप्लीकेशन से किए जाने वाले फोन की लोकेशन को ट्रैस किया।
परिवार ने बेदखल किया
आरोपी संजय उर्फ शुभम दीक्षित झांसी का रहने वाला है। वह यहां खातीबाबा क्षेत्र के ब्रह्मपुरी कॉलोनी में रहता था। पिता रेलवे इंजीनियर देवेंद्र दीक्षित ने कहा कि उसकी हरकतें शुरू से ही खराब थी। 3 साल पहले उसे बेदखल कर दिया था। अब उसने जो अपराध किया है, वही भुगतेगा। वहीं उसकी मां रेखा ने कहा, उसे खूब प्यार किया, लेकिन उसकी संगत खराब हो गई। इस कारण वह बिगड़ गया। हमने उसे सुधारने की पूरी कोशिश की। बेदखल कर उसे बता भी दिया था कि तुझे बेदखल कर दिया। सोचा था कि सुधर जाएगा। मगर, उसकी हरकतों में कोई बदलाव नहीं आया।
संगत में बिगड़ा, पढ़ाई छोड़ी
पिता ने कहा कि शुरूआत में बेटा संजय पढऩे में बहुत होशियार था। करीब 11 साल पहले वह बी-टेक करने भोपाल चला गया। पहला सेमेस्टर क्लियर रहा। फिर वह गलत संगत में पढ़ गया और बुरी तरह बिगड़ गया। बाद में हाल ये रहा कि कई पेपरों में बैक लग गई। आखिरकार उसने फाइनल में बी-टेक छोड़ दी। यहां आकर भी गलत लोगों के साथ उठना-बैठना हो गया। उसकी हरकतों से हम लोग परेशान हो चुके थे।
ठगी में जेल भी गया
आरोपी संजय उर्फ़ शुभम दीक्षित ने पुलिस बताया कि झांसी से ग्रेजुएट होने के बाद कुछ साल आरोपी ने दिल्ली में गुजारे। उसी समय दिल्ली में ठगी की वारदात में आरोपी जेल भी रह कर आया। संजय 8 माह के पूर्व इंदौर आया और उसने स्वर्ण बाग कॉलोनी में 7 हजार रुपए महीने में कमरा किराए पर लिया। आरोपी के पिता रेलवे में इंजीनियर के पद पर है। ठगी के कारण पिता ने युवक को घर से निकाल दिया था।
मकान मालिक पर केस होगा
मकान मालिक इंसाफ पटेल ने कई किराएदारों की जानकारी पुलिस को नहीं दी। इस मामले में उसके खिलाफ पुलिस केस दर्ज करेगी। इसके साथ ही हादसे के दौरान ये पाया गया है कि बिल्डिंग में सुरक्षा के साधन नहीं थे। आने जाने के लिए केवल एक ही रास्ता था। इमरजेंसी में भी बिल्डिंग से बाहर निकलने का कोई विकल्प नहीं था। यदि विकल्प होता तो शायद कुछ और लोगों की जान बच जाती। पुलिस ने बताया कि इस मामले में कानून के जानकारों से चर्चा कर इंसाफ पटेल के खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज किए जा सकते हैं।
कंपनी ने मांगा लेपटाप का पैसा
स्वर्ण बाग कॉलोनी के जिस मकान में आग लगी थी वहां ज्यादातर नौकरी पेशा लड़के लड़कियां रहते हैं । इस हादसे में अरशद नामक युवक भी घायल हुआ है । वह एक कॉल सेंटर कंपनी में काम करता है । अस्पताल में भर्ती अरशद ने बताया कि उसकी गाड़ी जल गई । घर का पूरा सामान नष्ट हो गया। काल सेंटर से उसे काम करने के लिए एक लैपटाप मिला था वह भी आग की भेंट चढ गया। आग में मेरा सब कुछ जलकर खाक हो गया। खाने-पीने के भी लाले पड़ गए हैं। इसी दौरान काल सेंटर का मैनेजमेंट अब उससे लेपटाप के 55 हजार रुपए मांग रहे हैं। मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मैं ये पैसे कहां लाऊंगा। अरशद ने प्रशासन से भी इस मामले में मदद मांगी है। इसी तरह के अन्य पीडि़त भी हैं जो दूसरे स्थान से शहर में नौकरी के लिए आए थे,उनका भी इस आग में सब कुछ जलकर राख हो गया है। उन्हें भी मदद की जरुरत है। पीडि़तों की मदद करने के लिए फिलहाल कोई समाजसेवी संस्था सामने नहीं आई है।
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