28 सिविल जजों पर लटकी तलवार

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28 सिविल जजों पर लटकी तलवार

क्या आपको पता है कि मप्र में लगभग 28 सिविल जज ऐसे हैं जिनकी डिग्री संदिग्ध है। यह हम नहीं कह रहे जस्टिस अभय गोहिल की वह रिपोर्ट कह रही है जो भोपाल के राष्ट्रीय विधि संस्थान विश्वविद्यालय में बीते 4 वर्ष से धूल खा रही है। यह रिपोर्ट संस्थान के गले की हड्डी बन गई है। दरअसल इस विधि संस्थान में लंबे समय तक फेल छात्रों को पास करने का खेल चलता रहा। मामला उजागर होने पर मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने जस्टिस अभय गोहिल से जांच कराई। जस्टिस गोहिल ने लगभग 260 छात्रों की डिग्री गलत मानते हुए संस्थान के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की अनुशंसा की है। मजेदार बाद यह है कि इस कांड के लिए मुख्य जिम्मेदार व्यक्ति इस समय विश्वविद्यालय की अहम कुर्सी पर बैठा है। चर्चा है कि जस्टिस गोहिल की रिपोर्ट को कैसे दफन किया जाए, इसके तरीके खोजे जा रहे हैं।

कांग्रेस के इस बुजुर्ग नेता के साथ क्यों हुई गाली-गलौज?

इस सप्ताह कमलनाथ विदेश यात्रा से वापस लौटे तो मप्र कांग्रेस कार्यालय में पदस्थ एक बुजुर्ग कांग्रेस पदाधिकारी ने रोते हुए उनसे शिकायत की कि पार्टी के एक पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ने उन्हें मां बहन की गालियां देते हुए पीटने की धमकी दी है। कमलनाथ ने इसकी तहकीकात की तो पता चला कि पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ने कई कांग्रेस नेताओं को फोन करके इस बुजुर्ग नेता की हरकतों की जानकारी दी है। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष का आरोप है कि बुजुर्ग नेता द्वारा कांग्रेस कार्यालय में आने वाली महिलाओं से अश्लील हरकतें की जा रही हैं। इससे कांग्रेस की बदनामी हो रही है। कांग्रेस कार्यालय में कोई बड़ा कांड न हो जाए, इसलिए इस बुजुर्ग नेता को कड़ी चेतावनी देना जरूरी था। इस बुजुर्ग नेता पर अभी तक पैसे लेकर पद दिलाने के आरोप लगते रहे हैं। अब नये आरोपों ने कांग्रेस कार्यालय में खलबली मचा दी है।

एडीजी ने बुलाई नोट गिनने की मशीन!

भोपाल पुलिस मुख्यालय पहुंची यह खबर कितनी सही है यह तो नहीं पता, लेकिन इस पर जमकर चटकारे लिये जा रहे हैं कि एक जोन में पदस्थ एक एडीजी ने 28 जुलाई को अपने बंगले पर नोट गिनने की मशीन बुलाई। इस मशीन से लगभग 10 करोड़ रुपये गिने गये। एडीजी की छवि थाना प्रभारियों के जरिये जमकर वसूली करने वाले आईपीएस अफसर की है। चर्चा है कि वे किसी नेता के जरिए परिवहन आयुक्त बनने की जुगाड़ लगा रहे थे। नेता को देने ही यह मोटी रकम तैयार की गई थी। राज्य सरकार ने आश्चर्यजनक ढंग से संजय झा को परिवहन आयुक्त बना दिया तो इस अफसर ने यह रकम ठिकाने लगाने से पहले गिनने के लिए एक टीआई साहब के जरिए मशीन बुलाई थी। यहीं गलती हो गई। वसूली से तंग टीआई साहब ने यह खबर लीक कर दी है।

कौन बनेगा आबकारी आयुक्त!

मप्र में नये आबकारी आयुक्त को लेकर जोड़ तोड़ शुरु हो गई है। मौजूदा आबकारी आयुक्त राजीव दुबे इस माह रिटायर हो रहे हैं। मंत्रालय में चर्चा है कि सीधी भर्ती के एक आईएएस अधिकारी इस कुर्सी के लिए जबर्दस्त लाॅबिंग कर रहे हैं। शिवराज सरकार में अधिकांश समय मलाईदार पद पर रहे इस अधिकारी ने मई 2020 में भी आबकारी आयुक्त बनने एडी चोटी का जोर लगाया था, लेकिन तब यह लाटरी राजीव दुबे के नाम खुल गई। चर्चा है कि यह आईएएस आबकारी आयुक्त बनने सीएम ऑफिस सहित कई भाजपा नेताओं के चक्कर काट रहे हैं। मुख्यमंत्री उन्हें पसंद भी करते हैं। मुखबिर का कहना है कि मौजूदा मुख्य सचिव इस आईएएस को पसंद नहीं करते हैं। यदि मुख्य सचिव की चली तो आबकारी आयुक्त की कुर्सी पर परिवहन आयुक्त की तरह कोई चौंकाने वाला नाम सामने आ सकता है।

कांग्रेस के आस्तीन में 12 सांप

मप्र में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और कमलनाथ अभी से सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। कमलनाथ के बंगले पर विधानसभा चुनाव का वाॅर रूम शुरु हो चुका है। विधानसभा के संभावित प्रत्याशियों के नामों पर चिन्तन मंथन भी हो रहा है। कमलनाथ की कार्यशैली बिल्कुल अलग है। वे पार्टी नेताओं से अधिक भरोसा निजी सर्वे एजेंसियों पर करते हैं। मप्र की सभी 230 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की सर्वे टीम अभी से काम पर लगा दी गई हैं। चर्चा है कि कमलनाथ उन 12 विधायकों को आस्तीन का सांप मानकर काम कर रहे हैं जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी लाईन से हटकर क्रास वोटिंग की है। इन संदिग्ध विधायकों का टिकट कटना तय है। कमलनाथ ने गोपनीय तरीके से इन 12 विधायकों का विकल्प खोजना शुरु कर दिया है। यह भी चर्चा है कि विधानसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस के यह 12 विधायक भाजपा में जा सकते हैं, लेकिन इस बार भाजपा इन्हें टिकट देने की शर्त पर लेने शायद तैयार नहीं है।

ठगे गये माननीय

मप्र की राजधानी भोपाल में एक साथ सौ से अधिक माननीय यानि सांसद, विधायक, न्यायधीश व अफसर स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। भोपाल में आशियाना बनाने का सपना देखने वाले इन माननीयों ने अपनी गाढ़ी कमाई का लाखों रुपया लगा दिया, लेकिन जैसे मकान देने के सपने दिखाये गये थे, वैसे मिले नहीं। भोपाल में सांसदों, विधायक, पूर्व सांसद व पूर्व विधायकों के लिए आवास बनाने का जिम्मा मप्र राज्य सहकारी आवास संघ को सौंपा गया था। आवास संघ ने रचना नगर में सवा छह एकड़ भूमि पर 320 शानदार फ्लैट बनाने का काम शुरु किया। 79 विधायकों, 14 सांसदों, 146 पूर्व विधायकों और 13 पूर्व सांसदों ने यहां फ्लैट बुक कराये। इसमें 68 न्यायाधीश, अफसरों व अन्य ने फ्लैट खरीदे हैं। इस रचना टाॅवर की स्थिति यह है कि बेसमेंट व पार्किंग में जल भराव हो गया है। डक्ट में भारी गंदगी व बदबू है। जिम स्विमिंग पूल व कम्युनिटी हाॅल का अता पता नहीं है। यहां रह रहे माननीयों के परिजन विधानसभा स्पीकर से लेकर आवास संघ के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

और अंत में….!

भोपाल नगर निगम में आजकल नोटिस नोटिस का खेल अफसरों की कमाई का सबसे बड़ा जरिया बन गया है। नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा शहर में बनने वाले नये मकानों में अवैध निर्माण और पुराने मकानों के व्यवसायिक उपयोग को लेकर नोटिस नोटिस खेल रही है। पिछले महीने इस शाखा ने शहर के सभी पंजीकृत आर्किटेक्ट को नोटिस देकर कहा था कि पिछले तीन वर्ष में जितने भी मकानों की भवन अनुज्ञा इन आर्किटेक्ट के जरिये हुई है उनके भवन अनुज्ञा के नक्शे और निर्मित भवन के फोटोग्राफ सहित तीन दिन में निगम में जमा कराएं। बताते हैं कि अधिकांश आर्किटेक्ट ने इस नोटिस को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया। मंत्रालय तक शिकायत पहुंची कि यह नोटिस अवैध वसूली के लिए दिए गये हैं। इस सप्ताह नगर निगम की इसी शाखा ने भोपाल की पाॅश काॅलोनियों जैसे अरेरा काॅलोनी, चूना भट्टी व रोहित नगर आदि में 167 मकान मालिकों को नोटिस देकर आवासीय भवन में व्यवसायिक गतिविधि 10 दिन में बन्द करने की चेतावनी दी है। मजेदार बात यह है कि ऐसे नोटिस नगर निगम अनेक बार दे चुका है, इन काॅलोनी में रहने वाले अपने रसूख या मोटे लिफाफों से हर बार कार्रवाई रूकवा लेते हैं। इस बार भी इन नोटिसों का वैसा ही हश्र होता दिखाई दे रहा है।