System vs. Truth: हरियाणा के सीनियर IPS वाई पूरन कुमार की रहस्यमय मौत पर सियासी संग्राम, 7 दिन बाद भी नहीं हुआ पोस्टमार्टम, सरकार ने DGP को छुट्टी पर भेजा

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System vs. Truth: हरियाणा के सीनियर IPS वाई पूरन कुमार की रहस्यमय मौत पर सियासी संग्राम, 7 दिन बाद भी नहीं हुआ पोस्टमार्टम, सरकार ने DGP को छुट्टी पर भेजा

विक्रम सेन की रिपोर्ट 

नई दिल्ली। हरियाणा के वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार की रहस्यमय मौत ने पूरे पुलिस तंत्र और राजनीतिक गलियारों को झकझोर दिया है। घटना को सात दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक पोस्टमार्टम नहीं हो सका है।

विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक दबाव बढ़ने के बीच सरकार ने DGP शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया गया है। हालांकि, अधिकारियों ने छुट्टी की अवधि के बारे में कुछ नहीं बताया गया है। हरियाणा सरकार ने कहा है कि किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन अब तक पूरन कुमार का पोस्टमार्टम भी नहीं हुआ है। उनकी पत्नी आईएएस अधिकारी अमनीत पी कुमार ने पोस्टमार्टम की इजाजत देने से इनकार कर दिया और वह इस मांग पर कायम हैं कि सरकार को पहले सुसाइड नोट में नामजद सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे। अब देखना ये होगा कि डीजीपी को छुट्टी पर भेजने के बाद वह पोस्टमार्टम के लिए राजी होंगी या नहीं।

दिवंगत कुमार की पत्नी —IAS अधिकारी अमनीत पी. कुमार, इसे आत्महत्या नहीं बल्कि साजिशन हत्या मान रही हैं। उन्होंने साफ कहा है कि जब तक हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और 15 अन्य आरोपी अफसरों को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक वह शव का पोस्टमार्टम नहीं होने देंगी।

बीती 7 अक्टूबर को आईपीएस वाई पूरन कुमार ने चंडीगढ़ के सेक्टर–11 स्थित सरकारी आवास में गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। उस समय उनकी पत्नी अमनीत जापान में एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ थीं।

घटना की सूचना मिलते ही वे तत्काल भारत लौटीं। बताया गया है कि पूरन कुमार के पास से मिला सुसाइड नोट चौंकाने वाला है — जिसमें उन्होंने हरियाणा के डीजीपी सहित 15 वरिष्ठ अधिकारियों पर मानसिक प्रताड़ना और षड्यंत्र का आरोप लगाया है।

जांच अटकी, परिवार की जिद बरकरार

मृतक के परिवार ने पोस्टमार्टम की अनुमति नहीं दी है, जिसके कारण चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी जांच आगे नहीं बढ़ा पा रही है।

परिवार के पास वह लैपटॉप भी है, जिसमें कथित रूप से सुसाइड नोट टाइप किया गया था। पुलिस का कहना है कि उसी लैपटॉप से फिंगरप्रिंट, ईमेल ट्रेल और डिजिटल साक्ष्यों के जरिए घटना के वास्तविक हालात स्पष्ट हो सकते हैं।

गन पाउडर और बैलिस्टिक साक्ष्य खतरे में

जांच अधिकारियों के अनुसार, छह दिन गुजर जाने से गनपाउडर अवशेष और बैलिस्टिक जांच के लिए आवश्यक साक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं।

चंडीगढ़ पुलिस चाहती है कि PGI चंडीगढ़ की विशेषज्ञ टीम और मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में शीघ्र पोस्टमार्टम कराया जाए, ताकि गोली की दिशा, दूरी और हथियार की पुष्टि की जा सके।

कॉल डिटेल्स से मिले अहम सुराग

आईपीएस पूरन कुमार के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) से पुलिस को कई महत्वपूर्ण संकेत मिले हैं।

घटना से कुछ घंटे पहले उन्होंने कई वरिष्ठ अधिकारियों, एक वकील और अपने कुछ परिचितों से लंबी बातचीत की थी।
अब एसआईटी इन सभी लोगों से पूछताछ की तैयारी में है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कहीं उन पर किसी प्रकार का दबाव या धमकी तो नहीं डाली गई थी।

गनमैन से भी होगी पूछताछ

अब तक पुलिस पांच लोगों से पूछताछ कर चुकी है — जिनमें घर के नौकर और कुछ करीबी सहयोगी शामिल हैं। अगला कदम मृतक के गनमैन सुशील कुमार से पूछताछ का है, जो वर्तमान में एक रंगदारी केस में जेल में बंद है। पुलिस को शक है कि गनमैन और आईपीएस के बीच हुई अंतिम बातचीत कई रहस्यों से परदा उठा सकती है।

राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल

इस घटना ने हरियाणा की ब्यूरोक्रेसी और राजनीति दोनों में भूचाल ला दिया है।

आईएएस अमनीत पी. कुमार के समर्थन में अब कई राजनेता और वरिष्ठ अधिकारी खुलकर सामने आ रहे हैं। सोमवार को तेलंगाना के डिप्टी सीएम मल्लू भट्टी विक्रमार्का और झारखंड कांग्रेस प्रभारी के. राजू ने अमनीत से मुलाकात की।

इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल और इनेलो नेता अभय चौटाला भी संवेदना प्रकट कर चुके हैं। लोकसभा में विधायक के नेता राजीव गांधी भी आज दिवंगत कुमार के परिवार से मिलने वाले है।

अब यह मामला केवल एक अफसर की मौत नहीं, बल्कि एक ‘सिस्टम बनाम सच’ की जंग बन चुका है।

जनचर्चा और सवाल

क्या वाई पूरन कुमार ने सच उजागर करने की कीमत चुकाई?

क्या प्रशासनिक दबावों ने एक ईमानदार अफसर को तोड़ दिया?

क्या न्याय से पहले सियासत हावी हो जाएगी?

यह मामला भारतीय प्रशासनिक सेवा की विश्वसनीयता और जवाबदेही दोनों के लिए परीक्षा की घड़ी बन गया है।