Bhopal : विधानसभा में पेपरलेस बजट को लेकर हुआ कांग्रेस और भाजपा का विवाद अब टैबलेट पर आ गया। कांग्रेस ने इसे चीन में बने टैबलेट बताकर भाजपा को घेरने की कोशिश की। उधर, भाजपा ने इसे कांग्रेस की तकनीक अज्ञानता बताते हुए कहा कि एप्पल के टैबलेट अमेरिका में बनते हैं, असेम्बल्ड चीन में हुए हैं। सभी 230 विधायकों को टैबलेट दिए गए, जिस पर सरकार ने करीब एक करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया। मगर इस फैसले का कांग्रेस विधायक जमकर विरोध कर रहे हैं।
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने ट्वीट किया ‘शिवराज सरकार ने ई-बजट के बहाने सभी माननीय विधायकों को चीन निर्मित टैबलेट बांटकरक्या भाजपा की केंद्र सरकार का सपना पूरा किया है? चीन परस्त भाजपा सरकार जवाब दे, दोषी कौन? क्या लाल आंखें इसी तरह दिखाते हैं,चाइना निर्मित उत्पादों का विरोध करने वाले संघी कहां गए?
भाजपा की तरफ से इसका जवाब देते हुए प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने ट्वीट करके कहा ‘तकनीकी जानकारी होना चाहिए, एप्पल कंपनी अमेरिका की कंपनी है ,वो अपने प्रोडक्ट का असेम्बल कही से भी करवाती है! अब कांग्रेस एप्पल के टेबलेट को चाइना का बता रही है। कांग्रेस के तमाम नेता एप्पल के प्रोडक्ट का उपयोग करते है,उन सभी को इस हिसाब से इन प्रोडक्ट का त्याग करना चाहिए। अब एप्पल शायद इटली के टेबलेट लाएगा, तभी कांग्रेस उसका स्वागत करेगी!
ई-बजट का कांग्रेस ने इसलिए विरोध किया
कांग्रेस विधायकों का कहना था कि हम ई-बजट का विरोध करते हैं। हमें टैबलेट यह चलाना नहीं आता। जबकि, बीजेपी का कहना था कि कांग्रेस कहती है ‘डिजिटल इंडिया’ के असली जनक राजीव गांधी हैं, ऐसे में जब तकनीक में आगे बढ़ रहे हैं तो फिर कांग्रेस विरोध क्यों कर रही है!
कांग्रेस विधायक सुनील सर्राफ ने कहा कि मैं पहली बार इतने करीब से टैबलेट देख रहा हूं। ये चालू कैसे होता है, मुझे तो ये भी नहीं पता। मेरे घर में बच्चे इसका इस्तेमाल करते हैं। पेपर की बात अलग है। सरकार सिर्फ टैबलेट का झुनझुना पकड़ाकर इससे दूर भाग रही है, ताकि विधायक इसे समझ ही नहीं पाएं।
कांग्रेस विधायक राकेश मावी ने भी वहीं बात दोहराई। उन्होंने कहा कि मुझे ये चलाना नहीं आता, मैं तो इसका विरोध करूंगा। यहां तक कि उन्होंने तो इसे बेफिज़ूल खर्च बताया। विधायक ने कहा कि सरकार इसे लेकर आई है। पहले तो वे खुद अपने मंत्रियों से चलवा लें। ऐसे आधे विधायक हैं, जिन्हे ये चलाना नहीं आता! एक करोड़ रु के करीब खर्चा आया है। हमारी अलमारी कागजों से भरी पड़ी है। फ्री टाइम में हम उन्हें पढ़ते भी है। टैबलेट का कोई मतलब नहीं है, हमें नहीं आता ये चलाना।