Tantya Mama Program :कहीं इस बड़े सरकारी आयोजन में बारिश खलल ना डालें,5 दिसंबर तक बारिश का अनुमान

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*महू से दिनेश सोलंकी की रिपोर्ट*

Mhow : शनिवार 4 दिसम्बर को पातालपानी में जनयोद्धा टंट्या भील के बलिदान दिवस पर बड़ा आयोजन होने वाला है। मालवा-निमाड़ के करीब एक लाख आदिवासी इसके लिए आमंत्रित किए गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इसमें शामिल होंगे। प्रशासन ने इसके लिए बड़े इंतजाम कर दिए। लेकिन, किसी भी मंत्री, नेता, अधिकारी ने मौसम विभाग से यह जानना नहीं चाहा कि इस दिन मौसम क्या गुल खिलाने वाला है! किसी ने भी मौसम के पूर्वानुमान पता लगाने की कोशिश नहीं की। कहीं ऐसा ना हो कि इतने बड़े आयोजन पर बारिश की वजह से खलल पड़ जाए।

पिछले सात दिनों से मौसम के ताजा हालात पर सैटेलाइट इमेज बताती है कि मौसम लगातार करवट ले रहा है। बादलों की लहर दक्षिण से पश्चिम और पश्चिम से उत्तर-पूर्व होकर बह रही है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता था कि बारिश की स्थिति आने वाले दिनों में क्या रहेगी। सरकार के पास तो मौसम विभाग भी है जो और भी सूक्ष्म जानकारी देकर सरकार को सतर्क कर सकता है कि आने वाले पूर्वानुमानों को लेकर कोई बड़ा आयोजन खुले में न किया जाए।

दक्षिण राज्यों में बारिश हो रही है और दक्षिण हवाओं का वेग उत्तर-पूर्व की और बना हुआ है। बादलों को तो पश्चिम से होकर गुजरना ही था। 28 नवम्बर को भी बताया गया था कि दक्षिण हवाओं का चक्र उत्तर-पूर्व की ओर चल रहा है। जबकि, 30 नवम्बर को लिखा कि दक्षिण हवाएं पश्चिमी हवाओं के साथ मिलकर उत्तर-पूर्व की और जा रही है।

1 दिसम्बर का अनुमान साफ बता रहा था, कि मौसम अब क्या गुल खिलाने वाला है। अब जो अनवरत वर्षा का सिलसिला शुरु हुआ है, ये ताजा स्थिति आज 2 दिसम्बर की सैटेलाइट इमेज बता रही है। इसमें मध्यप्रदेश का पश्चिमी भाग पूरी तरह से प्रभावित है। जबकि, दूसरा खतरा बड़े चक्रवात के रुप में सामने आ सकता है। इससे हवाओं का वेग और भी बारिश की स्थितियां निरंतर बनी रह सकती है। ऐसे में 4 दिसम्बर को पातालपानी महू में होने वाला आयोजन कही खटाई मे न पड़ जाए?

शासन ने हजारों आदिवासियों को लाने के लिये निजी बसों का सहारा लिया है, जिनके लिए खेतों में पार्किंग बनाई गई। जबकि, यहाँ तो अनवरत वर्षा से खेतों में पानी भरता जा रहा है। कीचड़ और गंदगी की स्थिति बन रही है। यदि बारिश जारी रही (जिसकी सम्भावनाएं कायम है) तो आदिवासियों के लिए भी यह परेशानी का सबब बनेगा। यदि दक्षिणी चक्रवात की ताकत बढ़ी, तो हवाओं का वेग पश्चिम दिशा तक अर्थात मध्यप्रदेश को और भी झकझोर सकता है।