Target Killing Combat : कश्मीर में ‘टारगेट किलिंग’ पर काबू के लिए सरकार का नया प्लान!

'सॉफ्ट टारगेट' हत्याओं को रोकने के लिए पुलिस तंत्र मजबूत करने पर फोकस

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New Delhi : केंद्र सरकार ने आतंकवादियों के खिलाफ रणनीतिक चक्रव्यूह तैयार करने का फैसला किया। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा ढांचे को पूरी तरह बदलने की तैयारी है। केंद्र शासित प्रदेश में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बेस्ट पुलिसकर्मियों की पहचान कर उन्हें कम समय में स्पेशल ट्रेनिंग दी जाए। जम्मू-कश्मीर पुलिस के इन स्पेशल जवानों को थाने स्तर पर SHO और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि कश्मीर घाटी में 1990 की तरह हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। इससे वहां बसे हिंदू डरे हुए हैं।
इसका मुकाबला करने के लिए थाना स्टाफ को मजबूत किया जाएगा, जो फिलहाल नाका/बंदोबस्त या वीआईपी ड्यूटी में लगे हुए हैं। उन्हें ट्रेनिंग देकर स्पेशल मिशन के लिए तैयार किया जाएगा। SHO इलाके के उपद्रवियों पर नजर रखने के साथ ही खुफिया जानकारी हासिल करेंगे और हाल में हुई हत्याओं से जुड़े मामलों की जांच के लिए स्पेशल जवानों को लगाया जा सकता है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई हाई लेवल मीटिंग में कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा पर चर्चा हुई। इस दौरान ‘सॉफ्ट टारगेट’ हत्याओं को रोकने के लिए पुलिस तंत्र को मजबूत करने पर फोकस किया गया। गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा और इस माह के अंत से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा की तैयारियों को लेकर बातचीत की। इस मीटिंग में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, NSA अजीत डोभाल, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, खुफिया ब्यूरो के प्रमुख अरविंद कुमार, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के महानिदेशक कुलदीप सिंह, सीमा सुरक्षा बल के प्रमुख पंकज सिंह, जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह सहित प्रमुख अधिकारियों ने भाग लिया।

आतंकी हमलों का नया पैटर्न
इस मीटिंग में बताया गया कि कश्मीर में हाल में हुई हत्याएं आतंकवादियों का नया पैटर्न दिखाती हैं। कम महत्व के टारगेट को युवाओं ने पिस्टल से निशाना बनाया। ये हमलावर अब तक पुलिस या खुफिया एजेंसियों के रडार पर भी नहीं थे। ये हाइब्रिड आतंकियों की एक नई नस्ल के रूप में उभरे हैं। ये ऐसे लोग होते हैं जो अचानक आसान लक्ष्य को टारगेट करते हैं, फिर लोगों में घुल मिल जाते हैं। इन हमलों को अमरनाथ यात्रा में बाधा पहुंचाने के एक संगठित प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
एजेंसियों के रडार पर मौजूद आतंकवादी अब हाइब्रिड आतंकियों का सहारा ले रहा हैं। क्योंकि, इनके लिए हाई-वैल्यू टारगेट को निशाना बनाना मुश्किल हो सकता है। एक अधिकारी ने कहा कि ‘सॉफ्ट टारगेट’ को निशाना बनाना आतंकियों की हताशा दिखाते हैं। जैसे बड़े हमले काफी कम हो गए हैं, उसी तरह सॉफ्ट टारगेट पर इन हमलों से भी रणनीति में बदलाव कर निपटा जाएगा।

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कुछ दिनों में बड़ी गिरफ्तारियां
नई रणनीति के तहत अगले कुछ दिनों में माहौल खराब करने वाले स्थानीय लोगों, छोटे अपराधियों और आतंकियों से हमदर्दी रखने वाले लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया जा सकता है। इसी तरह के कदम अक्टूबर 2021 में उठाए गए थे जब नागरिकों की हत्याओं का यही पैटर्न देखा गया था। सबूत मिलने पर गिरफ्तारियां भी की जाएंगी। अगर जरूरी हुआ तो पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत डिटेंशन में भी रखा जा सकता है।

अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था
अमरनाथ यात्रा को लेकर भी सुरक्षा और बढ़ाने का फैसला हुआ है। इसके तहत सेना और केंद्रीय बलों की अतिरिक्त यूनिट तैनात की जाएगी। निगरानी के लिए ड्रोन और रास्ते भर स्नाइपर्स (निशानेबाज कमांडो) मोर्चा संभालेंगे। बम या किसी अन्य खतरे से फौरन निपटने के लिए यात्रियों के मूवमेंट की 24×7 निगरानी की जाएगी और बख्तरबंद गाड़ियां मौजूद रहेंगी। यात्रियों के बीच मौजूद जवान रेडियो सिग्नल के जरिए सीझे एकीकृत कंट्रोल रूम श्रीनगर से जुड़े रहेंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हर तरह की संभावित घटनाओं के लिए इमरजेंसी प्लान तैयार किया जा रहा है। यात्रा को लेकर कई खतरे हैं लेकिन सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह से तैयार हैं।