Teacher Upset : दृष्टिबाधित और मूक-बधिर बच्चों को शिक्षित करने वाले परेशान!

आठ साल से मानदेय बढ़ने की बाटजोह रहे शिक्षक और कर्मचारी

542

Teacher Upset : दृष्टिबाधित और मूक-बधिर बच्चों को शिक्षित करने वाले परेशान!

Indore : दृष्टिबाधित और मूक-बधिर दिव्यांगों का जीवन संवारने वाले शिक्षक आठ वर्ष से मानदेय बढ़ाने की बाट जोह रहे हैं। सामाजिक न्याय और नि:शक्तजन कल्याण विभाग ने अंतिम बार इनके मानदेय का निर्धारण 2014 में किया था। इसके बाद से न तो इनका मानदेय ही बढ़ाया गया और न अन्य किसी प्रकार का कोई भत्ता दिया गया।

कोरोना के बाद जब हर दैनिक उपयोग की वस्तु की कीमतें आसमान छू रही हैं, तब भी ये शिक्षक उसी पुराने अल्प मानदेय में अपने परिवार का पालन कर रहे हैं। शहर में दिव्यांगों के जीवन को संवारने वाले करीब 61 टीचर मौजूद हैं। ये सभी सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग के अंतर्गत काम करने वाली विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से कार्य करते हैं।

बताया जाता है कि इनके पदों की संख्या का निर्धारण भी विभाग द्वारा ही स्वीकृत किया जाता है। वहीं दिव्यांगों के जीवन को संवारने वाले इन टीचरों के मानदेय का निर्धारण सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी करते हैं। सूत्रों की मानें तो सामाजिक न्याय विभाग द्वारा इन टीचरों के मानदेय का अंतिम बार निर्धारण अक्टूबर 2014 में किया गया। उसके बाद से आज तक इनके मानदेय के बारे में विभागीय अधिकारियों ने विचार नहीं किया।

टीचरों ने कई बार विभागीय अधिकारियों से मानदेय बढ़ाने के बारे में निवेदन किया, लेकिन उस पर कोई विचार नहीं किया गया। यहां तक कि कई बार तो पत्र भी लिखे, लेकिन उसके बाद भी बात नहीं बनी। इसके बाद कई बार तो भोपाल स्थित उच्च अधिकारियों को भी पत्राचार किया परंतु कोई सफलता नहीं मिली। लगातार कोशिशों के बाद भी मानदेय नहीं बढ़ने से परेशान होकर कई टीचरों ने तो टीचिंग कार्य ही बंद कर दिया और दूसरे प्रोफेशन में चले गए। जानकारी अनुसार अंतिम बार 2014 में टीचरों का मानदेय 16 हजार रुपए तय किया था, जबकि इसी प्रकार का कार्य करने वाले अन्य विभागों के टीचरों का वेतन करीब 55 हजार रुपए है।

तीन महीनों से मानदेय नहीं
इतने कम मानदेय पर काम करने के बाद भी इन टीचरों को दो-दो महीने तक मानदेय प्रदान ही नहीं किया जाता है। वर्तमान में इन्हें तीन महीने का मानदेय नहीं दिया गया है। इसके बाद भी इतनी महंगाई में भी ये अपने परिवार का पालन कैसे करते होंगे। अन्य विभागों में जहां सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष है वहीं इन टीचरों को 60 वर्ष में ही सेवानिवृत्ति दे दी जाती है। टीचरों को किसी प्रकार के भत्ते आदि का भी लाभ नहीं दिया जाता है।

कर्मचारियों का मानदेय भी कम
इसी विभाग के अंतर्गत कार्य करने वाले रसोइया, आया, चौकीदार, भृत्य टेक्नीशियन आदि कई प्रकार के कर्मचारियों का मानदेय भी कम ही है। इन्हें भी किसी प्रकार का कोई अन्य भत्ता आदि नहीं दिया जाता।