Teekamgarh Loksabha Constituency: भाजपा को मोदी लहर पर भरोसा, कांग्रेस के पास अहिरवार मतदाताओं का दम

390
40 Star Campaigner For BJP
BJP Leaders not Happy

Teekamgarh Loksabha Constituency: भाजपा को मोदी लहर पर भरोसा, कांग्रेस के पास अहिरवार मतदाताओं का दम

दिनेश निगम ‘त्यागी’ की ग्राउंड रिपोर्ट

बुंदेलखंड अंचल की अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित टीकमगढ़ लोकसभा सीट से भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार एक बार फिर मैदान में हैं जबकि कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बदल दिया है। 2019 में कांग्रेस से मुकाबले में किरन अहिरवार थीं, इस बार पार्टी ने पंकज अहिरवार पर दांव लगाया है। भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लहर और किए गए विकास कार्यों पर भरोसा है तो कांग्रेस की ताकत अहिरवार समाज का वोट है, जो क्षेत्र में सबसे ज्यादा लगभग 6 लाख है। भाजपा के वीरेंद्र बाहरी हैं, इसका कुछ नुकसान चुनाव में हो सकता है जबकि कांग्रेस को मजदूरों के पलायन का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। पलायन करने वाले ज्यादा मजदूर अहिरवार समाज के होते हैं। बहरहाल, दोनों दलों ने मोर्चाबंदी शुरू कर दी है। टीकमगढ़ में मुकाबला रोचक देखने को मिल सकता है।

 

0 भाजपा 5 और कांग्रेस 3 विधानसभा क्षेत्रों में काबिज

– टीकमगढ़ क्षेत्र में तीन जिलों की विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें निवाड़ी जिले की 2, टीकमगढ़ जिले की 3 और छतरपुर जिले की 3 विधानसभा सीटें शामिल हैं। विधानसभा चुनाव की ताकत के लिहाज से इनमें से 5 पर भाजपा और 3 सीटों पर कांग्रेस काबिज है। इस आधार पर क्षेत्र में भाजपा मजबूत स्थिति में है। विधानसभा चुनाव में मिले वोटों की दृष्टि से भाजपा ने सभी 5 क्षेत्रों में बड़ी जीत दर्ज की है जबिक कांग्रेस की जीत का अंतर अपेक्षाकृत कम रहा है। 5 विधानसभा सीटों में भाजपा की जीत 94 हजार 419 वोटों से हुई है जबकि कांग्रेस का तीन सीटों में जीत का अंतर महज 19 हजार 66 वोट है। इस प्रकार टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में भाजपा को कांग्रेस पर 75 हजार से ज्यादा वोटों की बढ़त हासिल है। लोकसभा चुनाव के लिहाज से यह बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन देश का राजनीतिक माहौल भाजपा को और लाभ पहुंचा सकता है।

 

0 अहिरवार समाज से नहीं बैठती अन्य समाजों की पटरी

– कांग्रेस ने अहिरवार समाज के युवा पंकज अहिवार को प्रत्याशी बनाया है। क्षेत्र में अहिरवार समाज के मतदाताओं की तादाद सबसे ज्यादा 6 लाख के आसपास है। सिर्फ यह वोट ही पंकज को मिल जाए तो वे मुकाबले में होंगे। समस्या यह है कि होली के बाद खेतों में कटाई के दौरान ही क्षेत्र का मजदूर बाहर पलायन करता है। इनमें अहिरवार समाज के मजदूरों की तादाद सबसे ज्यादा होती है। मतदान तक इन्हें रोकना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी। दूसरा, अहिरवार समाज का अन्य समाजों के साथ छत्तीस का आंकड़ा रहता है। इसकी वजह से जहां अहिरवार समाज जाता है दूसरे समाज अपने आप दूसरे पाले में चले जाते हैं। यही वजह है कि किरन अहिरवार 2019 में लोकसभा का चुनाव बड़े अंतर से हारी थीं और चार माह पहले जतारा से विधानसभा का चुनाव भी हार गईं जबकि जतारा में इस भाजपा प्रत्याशी हरिशंकर खटीक का काफी विरोध था।

0 चुनाव दर चुनाव बढ़ा भाजपा की जीत का अंतर

– 2008 में परिसीमन के बाद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित टीकमगढ़ लोकसभा सीट का गठन हुआ था। तब से ही यहां से भाजपा जीत ही नहीं रही बल्कि चुनाव दर चुनाव उसकी जीत का अंतर भी बढ़ रहा है। भाजपा ने लगातार चौथी बार यहां से वीरेंद्र कुमार को प्रत्याशी बनाया है। वे 2009 में पहला लोकसभा चुनाव 41 हजार 862 वोटों के अंतर से जीते थे और अगली बार 2014 में उनकी जीत का अंतर 2 लाख 8 हजार से ज्यादा हो गया। वीरेंद्र ने 2019 में अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी किरन अहिरवार को लगभग साढ़े तीन लाख वोटों के बड़े अंतर से हराया।

 

– इस बार भी वीरेंद्र के बाहरी होने का मुद्दा

0 टीकमगढ़ से भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र कुमार 2009 से पहले सागर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते और जीतते थे। तब सागर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित थी। वीरेंद्र यहां 1996 से 2004 तक लगातार चार लोकसभा चुनाव लड़े और जीते लेकिन इसके बाद परिसीमन में सागर सीट सामान्य हो गई। भाजपा नेतृत्व ने इसके बाद भी वीरेंद्र पर भरोसा कायम रखा और उन्हें टीकमगढ़ से प्रत्याशी बनाया जाने लगा। यहां भी वे चौथा चुनाव लड़ रहे हैं और हर बार की तरह इस बार भी टीकमगढ़ में वीरेंद्र के बाहरी होने को मुद्दा बनाया जा रहा है। भाजपा के अंदर भी इसे लेकर असंतोष की खबरें मिल रही हैं।

 

0 भाजपा मोदी लहर, कांग्रेस अपनी गारंटियों के भरोसे

– देश के अंदर भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में चल रही लहर पर सवार है। अयोध्या में राम मंदिर, कश्मीर से धारा 370 को हटाना, नागरिकता का नया कानून और हिंदू-मुस्लिम राजनीति परवान चढ़ने के कारण भाजपा के पक्ष में माहौल बना है। प्रधानमंत्री मोदी लगातार नई परियोजनाओं का शिलान्यास, लोकार्पण कर रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस की अपनी गारंटियां हैं। राहुल गांधी हर वर्ग को न्याय दिलाने की बात कर रहे हैं। जांच एजेंसियों के दुरुपयोग और जातिगत जनगणना भी कांग्रेस के प्रमुख मुद्दों में शामिल हैं।