Tenants and Landlords : मकान मालिक और किराएदार के झगड़े को लेकर SC का ‘क्लासिक फैसला!

कोर्ट ने बकाया किराया और जुर्माना लगाया, खाली भी करवाया!

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Tenants and Landlords : मकान मालिक और किराएदार के झगड़े को लेकर SC का ‘क्लासिक फैसला!

New Delhi : अदालतों में मकान मालिकों और किरायेदारों के झगड़ों के मामले अकसर आते रहते हैं। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के सामने एक ऐसा मामला आया, जिसका कोर्ट ने ‘क्लासिक फैसला’ दिया है। ये मामला पश्चिम बंगाल के अलीपुर में एक दुकान को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आदेश दिया कि दुकान को कोर्ट के आदेश के 15 दिन के अंदर मकान मालिक को सौंप दिया जाए।

मकान मालिक और किरायेदारों के झगड़े आम बात हैं। विवाद बढ़ने पर मामला कोर्ट में भी जाता है और फैसले भी आते हैं। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के सामने एक ऐसा केस आया जिसे कोर्ट ने ‘क्लासिक’ केस कहा है। न्यायिक प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल कैसे किया जाता है, इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने इसे ‘क्लासिक केस’ की संज्ञा दी।

 

किराया भी भरे जुर्माना भी

सुप्रीम कोर्ट ने एक किरायेदार के खिलाफ फैसला सुनाया है, जिसने मकान मालिक को उसकी प्रॉपर्टी से तीन दशक तक दूर रखा। कोर्ट ने किरायेदार पर 1 लाख रुपए की पेनल्टी लगाने के साथ साथ मार्केट रेट पर 11 सालों का किराया भी देने का आदेश दिया। मकान मालिक-किरायेदार के क्लासिक केस पर बेंच के जस्टिस किशन कौल और आर सुभाष रेड्डी ने कहा कि किसी के हक को लूटने के लिए कोई कैसे न्यायिक प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल कर सकता है, ये केस इसका ‘क्लासिक’ उदाहरण है।

 

बाजार रेट से किराया भी देना होगा

कोर्ट ने किराएदार को आदेश दिया कि मार्च, 2010 से अब तक बाजार रेट पर जो भी किराया बनता है, तीन महीने के अंदर मकान मालिक को चुकाए। इसके अलावा न्यायिक समय की बर्बादी और मकान मालिक को कोर्ट की कार्यवाही में घसीटने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किराएदार पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

इसके बाद 2009 में केस फिर दाखिल हुआ और 12 साल तक खिंचा। ये केस देबाशीष सिन्हा नाम के व्यक्ति ने दाखिल किया था जो कि किरायेदार का भतीजा था। देबाशीष का दावा था कि वो किरायेदार का बिजनेस पार्टनर भी है। लेकिन, कोर्ट ने देबाशीष की याचिका को खारिज कर दिया और उसे मार्च 2020 से मार्केट रेट पर किराया देने के लिए भी कहा।