Terror of Stray Dogs : सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में आवारा कुत्तों का आतंक!
Sagar : शहरी क्षेत्रों में आवारा स्ट्रीट डॉग के वाहनों के पीछे दौड़ने, लोगों को काटने और घायल कर देने से जनता परेशान है। जिस नगरीय प्रशासन विभाग पर सड़कों पर घूमने वाले इन आवारा कुत्तों की आबादी पर कंट्रोल करने की जिम्मेदारी है वह विभाग ‘पशु क्रूरता अधिनियम’ और ‘पैट लवर्स’ की आड़ लेकर इन पर कार्यवाही करने से बचता है। भोपाल में तो नवजात शिशु की मौत तक कुत्तों के हमले में हो चुकी है।
ताजा मामला सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज का है। यहां के मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर सर्वेश कुमार जैन ने मेडिकल कॉलेज परिसर में रहने वाले परिवारों, यहां रोज इलाज के लिए आने वाले मरीजों और डॉक्टरों को रोजाना घायल कर रहे स्ट्रीट डॉग पर नगर निगम, जिला प्रशासन और सीएम हेल्पलाइन में भी कार्यवाही नहीं होने के बाद अब केंद्रीय वन मंत्री भूपेन्द्र यादव को पत्र लिखकर कहा है कि बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज को ‘डाग सेंचुरी’ घोषित कर दें और मेडिकल कॉलेज को अन्यत्र पुर्नवसित कर दें।
प्रोफेसर सर्वेश जैन ने बताया कि बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में सौ बिस्तरों का अस्पताल है। यहां रोजाना पांच से दस हजार मरीज इलाज कराने आते है। परिसर में प्रोफेसर, चिकित्सकों के परिवार, विद्यार्थी समेत एक हजार से अधिक लोग परिवार सहित रहते है। यहां सवा सौ कुत्ते झुंड बनाकर घूमते रहे है। यहां रहने वाले बच्चों, विद्यार्थियों मरीजों को ये स्ट्रीट डॉग काट रहे है। वे मॉर्निंग वाक पर जाते थे, लेकिन अब कुत्तों के आतंक के कारण बंद कर दिया।
ये कुत्ते अब तक सवा सौ से ज्यादा लोगों को काट चुके है। ये झुंड बनाकर सबके पीछे दौड़ते है। इस समस्या से निजात पाने के लिए सीएम हेल्पलाईन, नगर निगम कमिश्नर को शिकायत की है। इस समस्या को लेकर मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर धरना प्रदर्शन भी कर चुके है। लेकिन, जब समस्या नहीं सुलझी तो हमने केन्द्रीय वन मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि मेडिकल कॉलेज केंपस में आवारा हिंसक कुत्तों की संख्या मानव आबादी से ज्यादा हो चुकी है। मरीज, विद्यार्थी, अध्यापक, परिजन को काटने की घटनाएं हो चुकी है और नगर निगम किंकर्त्तव्यविमूढ़ बना हुआ है। उन्होंने मंत्री को सुझाव दिया है कि बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज परिसर को को डॉ सेंचुरी या श्वान अभ्यारण्य घोषित कर दिया जाए और बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज को अन्य जगह पुनर्वसित कर दिया जाए।
कुत्तों के काटने पर क्षतिपूर्ति देना होगा
इधर मानवाधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोहर ममतानी का इस मुद्दे पर कहना है कि एनिमल बर्थ कंट्रोल के नए नियम लागू हो चुके है। इसमें कई प्रावधान बदले है, इनका पालन होना चाहिए। सांप के काटने और अन्य जानवरों के काटने पर क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान है। बीमा कंपनियां भी कुत्तों के काटने से नुकसान को दुर्घटना मानती है। ऐसे में प्रशासन एनीमल बर्थ कंट्रोल की आड़ लेकर बच नहीं सकता। कुत्तों के काटने से घायल और मृत व्यक्तियों के परिजनों के आँसू तो पोंछना ही होंगे। उन्हें क्षतिपूर्ति भी देना होगी। मानव को भी हिंसक आवारा पशुओं के काटने से होने वाले नुकसान पर क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार है। इसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त मौन
इधर पूरे प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में आवारा स्ट्रीट डॉग के काटने से होने वाली घटनाओं पर नगरीय प्रशासन विभाग क्या कार्यवाही कर रहा है यह जानने के लिए जब नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त भरत यादव से फोन और व्हाट्सएप से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका कोई जवाब नहीं आया।