प्रगतिशील लेखक संघ का 18वाँ राष्ट्रीय सम्मेलन संस्कार धानी जबलपुर में हुआ

सांस्कृतिक रैली, पोस्टर-पुस्तक प्रदर्शनी रही आकर्षण केन्द्र में

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प्रगतिशील लेखक संघ का 18वाँ राष्ट्रीय सम्मेलन संस्कार धानी जबलपुर में हुआ

चिंतक हरनामसिंह के साथ डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

जबलपुर। अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में देशभर से आये 500 से अधिक लेखक, कवि, बुद्धिजीवियों ने लोकतंत्र और समता की आवाज को बुलंद किया।

हरिशंकर परसाई के जन्मशती अवसर पर आयोजित अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के 18वें राष्ट्रीय अधिवेशन में विभिन्न सत्रों में विद्वान वक्ताओं ने देश- विदेश की हालात पर अपने विचार रखे। अतिथियों में समाजवादी राष्ट्र क्यूबा के राजदूत एलेजांद्रो सीमांकास की उपस्थिति ने मंच की गरिमा को बढ़ाया।

उद्घाटन वक्तव्य देते हुए पद्मश्री सईदा हमीद ने हरिशंकर परसाई को याद करते हुए कहा कि उनकी रचनाएँ आज के समय से टकराती हैं। उन्होंने बताया कि चाचा ख्वाजा अहमद अब्बास ने उन्हें प्रगतिशील विचारों से अवगत करवाया। लिन्चिंग, अलगावाद मणिपुर पर में हो रही हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह देश के सौहार्द्र पर हमला है।सईदा ने सम्मेलन से रोशन दुनिया के लिए चिंगारी पैदा होने की उम्मीद व्यक्त की।

प्रख्यात रंगकर्मी प्रसन्ना ने श्रम के महत्व पर बल देते हुए कहा कि लोकतंत्र पर खतरे को देखते हुए हम सब यहां पर इकट्ठे हुए हैं। सिर्फ़ सोचने या अच्छी बात करने से समाज नहीं बदलेगा। कबीर, रैदास ने जो किया था हमें भी वही करना होगा।

पंजाब से आई लेखिका नवशरण कौर ने कहा कि देश में बहुत से लोग हैं जो जनवादी सोच रखने वाले हैं। हम उस दौर से गुजर रहे हैं जब हमारे ऊपर काले बादल छाए हुए हैं। इन्हें छटंना ही होगा। उन्होने कहा कि हम देख रहे हैं देश में किस तरह से बुलडोजर चलाये जा रहे हैं, दमन का दौर चल रहा है।

इस दमन का सामना कैसे करना है, इस पर बात होनी चाहिये।

विधायक विनय सक्सेना ने कहा कि जबलपुर विद्वजनों के नगर के नाम से पहचाना जाता है इसीलिए इस शहर को संस्कारधानी शहर का दर्जा मिला हुआ है। जबलपुर क्रांतिकारियों का शहर भी रहा है। उन्होंने आयोजन के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त की। मणिपुर की प्रतिनिधि राजकुमारी निर्मला देवी ने वहां हो रही हिंसा पर चिंता व्यक्त की।

जनवादी लेखक संघ के बालेंदु परसाई व जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय सचिव मनोज कुमार सिंह ने प्रगतिशील लेखक संघ के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए सम्मेलन की सफ़लता के लिए शुभकामनाएं व्यक्त की।

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कार्यक्रम की शुरुआत पोस्टर प्रदर्शनी के साथ हुई। इप्टा अशोकनगर के कलाकारों ने हरिओम राजोरिया के निर्देशन में जनगीतों की प्रस्तुती दी व छत्तीसगढ़ नाचा गम्मत के कलाकार निसार अली ने अपने साथियों के साथ परसाई की व्यंग्य रचना “टार्च बेचने वाला” की नाट्य प्रस्तुति दी । विवेचना रंगमंडल के कलाकारों ने अनूप पांडे के निर्देशन में नाटक “निठल्ले को डायरी” का मंचन किया।

कार्यक्रम में क्यूबा के राजदूत एलेजांद्रो सीमांकास ने सम्मेलन को लेकर अपने देश की तरफ़ से शुभकामनाएं व्यक्त की। उन्होंने प्रलेसं महासचिव को अपने देश की और से स्मृति चिन्ह भेंट किया।

इस अवसर पर मंच पर अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष विभूति नारायण राय, महासचिव सुखदेव सिंह सिरसा, राजेंद्र राजन, विनीत तिवारी,सेवाराम त्रिपाठी, कुंदन सिंह परिहार, मलयजी, नरेश सक्सेना राजेंद्र शर्मा, सुस्कृंति परिहार, हिमांशु राय, प्रकाश दुबे आदि उपस्थित थे। संचालन तरुण गुहा नियोगी ने किया।

कार्यक्रम में पाकिस्तान प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा भेजे गए हरिशंकर परसाई के चित्र, अधिवेशन की स्मारिका, राजेंद्र तिवारी प्रज्ञेय की पुस्तक “लौट आया कबीर” सहित अनेक पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। आभार माना सेवाराम त्रिपाठी ने।